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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

मिड-डे-मील में "दूध" की जगह "खीर या फल" : अक्षय पात्र फाउंडेशन के चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर ने बीएसए को पत्र भेजकर मांगे निर्देश ;कहीं बंटा दूध, कहीं बच्चे करते रहे इंतजार ;कढ़ी से पकौड़ी गायब

मिड-डे-मील में "दूध" की जगह "खीर या फल" : अक्षय पात्र फाउंडेशन के चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर ने बीएसए को पत्र भेजकर मांगे निर्देश ;कहीं बंटा दूध, कहीं बच्चे करते रहे इंतजार ;कढ़ी से पकौड़ी गायब

लखनऊ। अक्षय पात्र फाउंडेशन परिषदीय विद्यालयों के बच्चों को अब सप्ताह में एक बार दूध की जगह मिड-डे-मील में खीर या मौसमी फल उपलब्ध करा सकता है। बीते बुधवार को कैंट स्थित माध्यमिक विद्यालय आरए बाजार में दूध पीने से बीमार हुए बच्चों की घटना को देखते हुए फाउंडेशन के चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर ने इस संबंध में बीएसए को पत्र भेजकर निर्देश मांगे हैं।राजधानी के चिनहट, सरोजिनीनगर, काकोरी तथा नगर क्षेत्र के परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले 72 हजार बच्चों को मिड-डे-मील देने की जिम्मेदारी अक्षय पात्र फाउंडेशन को दी गई है। वहीं राजकीय तथा एडेड माध्यमिक विद्यालयों में स्वयं सेवी संस्थाएं मिड-डे-मील उपलब्ध करा रही हैं। बीते 15 जुलाई से मिड-डे-मील के मेन्यू में परिवर्तन करके प्रत्येक बुधवार को बच्चों को 200 ग्राम उबला दूध व कोफ्ता-चावल देने का फरमान जारी किया गया। लेकिन दूध की व्यवस्था कहां से होगी, इसका अफसरों के पास कोई जवाब नहीं है। काफी जद्दोजहद के बाद अक्षय पात्र ने 92 स्कूल में फ्लेवर्ड मिल्क बांटा। लेकिन आरए बाजार माध्यमिक विद्यालय में दूध पीने से 75 बच्चे बीमार पड़ गए। इस घटना के बाद अक्षय पात्र ने दूध देने से इनकार कर दिया। साथ ही यह कहा कि फ्लेवर्ड मिल्क की जगह बच्चों को खीर उपलब्ध कराई जा सकती है। जो कि हमारे केंद्रीय किचेन में तैयार की जाती है। इसके अलावा खीर के स्थान पर सप्ताह में एक बार बच्चों को मौसमी फल भी उपलब्ध कराया जा सकता है। दि अक्षय पात्र फाउंडेशन के चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर ने इस संबंध में बीएसए को पत्र भेजा है।

मिड-डे-मील में निर्धारित मेन्यू के अनुसार बुधवार को बच्चों को दूध व कोफ्ता-चावल दिया जाना था। लेकिन दूध का स्वाद सिर्फ बख्शी का तालाब नगर पंचायत तथा माध्यमिक विद्यालयों के बच्चों को ही मिल सका। कन्या पूर्व माध्यमिक विद्यालय बरगदी, प्राथमिक विद्यालय बीकेटी व नगर पंचायत के स्कूलों के साथ-साथ माध्यमिक विद्यालयों में कक्षा एक से आठ तक के बच्चों को दूध वितरित किया गया। हालांकि अक्षय पात्र फाउंडेशन की ओर से दूध न वितरित करने की वजह से करीब 72 हजार बच्चे इसका इंतजार रहे। उन्हें पुराने मेन्यू के अनुसार ही खाने में कढ़ी-चावल दिया गया।

चिनहट (डीएनएन)। चिनहट के उत्तरधौना, तिवारीगंज, सेमरा के परिषदीय स्कूलों में मेन्यू के हिसाब से बच्चों को मिड-डे-मील में कढ़ी चावल वितरित की गई। खाने की गुणवत्ता दूर से ही देखकर खराब लग रही थी। कढ़ी में पकौड़ी, चना नगण्य था। कढ़ी में केवल बेसन का पानी में लाल मिर्च की भरमार थी। मासूम बच्चे लाल मिर्च को निकाल फेंक रहे थे। सवाल उठता है कि बच्चों के खाने में इतनी अधिक मात्रा में लाल मिर्च डालने की क्या आवश्यकता। वहीं, जो चावल उपलब्ध कराया गया उसकी गुणवत्ता काफी खराब थी। चावल देखने में काफी मोटा प्रतीत हो रहा था। और काफी गीला था। मेन्यू में कढ़ी चावल के साथ दूध भी वितरित किया जाना था। सुबह मिड-डे-मील तो पहुंच गया लेकिन दूध नही आया। प्रधानाध्यापकों के पूछताछ करने पर मिड-डे-मील कर्मियों ने बताया कि संस्था ने दूध वितरण करने से मना कर दिया। मिड-डे-मील के तहत बंटने वाले भोजन में आए दिन हो रही लापरवाही से अभिभावकों एंव शिक्षकों में नाराजगी देखी जा रही है।

अक्षय पात्र को छोड़ सभी एनजीओ ने दूध बांटा है। फिलहाल अक्षय पात्र की ओर से दूध की जगह खीर देने का पत्र अभी नहीं मिला है। देखने के बाद ही कुछ कहा जा सकेगा।
-प्रवीण मणि त्रिपाठी, बीएसए लखनऊ

        खबर साभार : डीएनए

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  1. मिड-डे-मील में "दूध" की जगह "खीर या फल" : अक्षय पात्र फाउंडेशन के चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर ने बीएसए को पत्र भेजकर मांगे निर्देश ;कहीं बंटा दूध, कहीं बच्चे करते रहे इंतजार ;कढ़ी से पकौड़ी गायब
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