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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

हर स्कूल में टॉयलेट के लक्ष्य के करीब पहुंची सरकार : मोदी ने किया था एक साल में हर स्कूल को टॉयलेट देने का किया था वादा, स्कूलों में स्वच्छता और छात्राओं की निजता को लेकर मंत्रालय ने लगाया पूरा जोर 

हर स्कूल में टॉयलेट के लक्ष्य के करीब पहुंची सरकार : मोदी ने किया था एक साल में हर स्कूल को टॉयलेट देने का किया था वादा, स्कूलों में स्वच्छता और छात्राओं की निजता को लेकर मंत्रालय ने लगाया पूरा जोर 

स्कूलों में स्वच्छता और छात्राओं की निजता को लेकर मंत्रालय ने लगाया पूरा जोर 
√2.86 लाख टॉयलेट बने 31 जुलाई तक
√4.19 लाख का है लक्ष्यअंडमान निकोबार, दमन एवं दीव, दादर और नगर हवेली, केरल, पुडुचेरी, सिक्किम के सभी स्कूल में टॉयलेट 

बीते साल 15 अगस्त को लाल किले से हर स्कूल में साल भर के भीतर शौचालय बनाने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वायदे को परखने की तारीख करीब आ गई है। देशभर के सरकारी स्कूलों में टॉयलेटों के निर्माण का लक्ष्य भले शत प्रतिशत पूरा नहीं हुआ हो, मगर मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इस लक्ष्य के करीब जाने के लिए जिस तरह से पूरी ताकत झोंकी है, उससे स्कूलों में स्वच्छता और खासकर छात्राओं को उनकी निजता का अधिकार मिलता दिख रहा है। साथ ही लक्ष्य पूरा करने के अलावा इन शौचालयों की साफ सफाई और अस्तित्व को बनाए रखने की नई चुनौती भी मंत्रालय के सामने आ गई है। मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी सोमवार को स्वच्छ विद्यालय योजना की उपलब्धि के बारे में बताएंगी। 

प्रधानमंत्री भी 15 अगस्त को बताएंगे कि उनकी सरकार ने स्कूलों में शौचालय बनाने में आखिर कितना लक्ष्य पूरा किया है। 31 जुलाई तक 2.86 लाख टॉयलेटों का निर्माण हो चुका था। देशभर के स्कूलों में कुल 4.19 लाख टॉयलेट का निर्माण होना है। मंत्रालय ने सभी शौचालयों को बनवाने का लक्ष्य 30 जून, 2015 रखा है। अंडमान निकोबार, दमन एवं दीव, दादर और नगर हवेली, केरल पुडुचेरी, सिक्किम ऐसे राज्य हैं, जो शत प्रतिशत लक्ष्य हासिल कर चुके हैं। गुजरात और कर्नाटक भी शत प्रतिशत लक्ष्य को पूरा करने के काफी नजदीक हैं।

मंत्रालय ने शौचालय निर्माण के लिए लगभग 310 शीर्ष अधिकारियों को केंद्रीय पर्यवेक्षक के तौर पर राज्यों में भेजा है। कई अधिकारियों ने मंत्रालय को रिपोर्ट भेजी है। कई अधिकारी बताते हैं कि सड़क के किनारे स्कूलों में शौचालय निर्माण और साफ सफाई काफी है। मगर दूर दराज में स्थिति कुछ खराब है। कई अधिकारी बताते है कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां यानी पीएसयू और 10 निजी क्षेत्र की कंपनियों की ओर से तैयार शौचालयों की हालत काफी खराब है।

           खबर साभार : अमरउजाला

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