logo

Basic Siksha News.com
बेसिक शिक्षा न्यूज़ डॉट कॉम

एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

भुलाए नहीं जा सकेंगे कलाम साहब, देश में विज्ञान-चेतना एवं अनुशासनप्रिय के प्रेरक डॉ. कलाम युवाओं और बच्चों में ऊंचे सपने देखने की आदत डालने……

भुलाए नहीं जा सकेंगे कलाम साहब, देश में विज्ञान-चेतना एवं अनुशासनप्रिय के प्रेरक डॉ. कलाम युवाओं और बच्चों में ऊंचे सपने देखने की आदत डालने……

सोमवार भारत के लिहाज से अत्यंत नुकसान वाला दिन साबित हुआ। एक तरफ सुबह पंजाब में हुए आतंकी हमले में आठ लोग मारे गए तो दूसरी तरफ शाम ने मिसाइल मैन को हमसे हमेशा के लिए छीन लिया। देश के अत्यंत लोकप्रिय राष्ट्रपति रहे भारत रत्न एपीजे अब्दुल कलाम भारत को हमेशा विश्व के अग्रणी देशों में खड़ा करने की कोशिश में जुटे रहे। आखिरी सांस भी शिलांग में उन्होंने ऐसी ही कोशिश के दौरान ली।

15 अक्टूबर, 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम जिले के एक छोटे-से गांव धनुषकोडी में जन्म लेनेवाले एपीजे भारत की नई मिसाइल प्रणाली के जन्मदाता थे। एपीजे सभी धर्मों का सम्मान करते थे। गरीबी में जन्म लेनेवाले एपीजे ने अपनी शिक्षा जारी रखने के लिए अखबार तक बेचने का काम किया। मद्रास के इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से अंतरिक्ष विज्ञान में स्नातक करने के बाद हावर क्राफ्ट परियोजना पर काम करने के लिए भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान में प्रवेश किया। 1962 में वे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन में आए और कई उपग्रह प्रक्षेपण परियोजनाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। परियोजना निदेशक के रूप में भारत के पहले स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान एसएलवी3 का निर्माण कराया तथा 1980 में रोहिणी उपग्रह को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में प्रक्षेपित करवाया। इसके बाद भारत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब का सदस्य बना। इसरो लांच व्हीकल प्रोग्राम को सफल बनाने का श्रेय भी एपीजे अब्दुल कलाम को जाता है। डॉक्टर कलाम ने स्वदेशी लक्ष्यभेदी गाइडेड मिसाइल्स को डिजाइन किया। उन्होंने अग्नि व पृथ्वी जैसी मिसाइलों को स्वदेशी तकनीक से बनाया था।

डॉक्टर कलाम जुलाई 1992 से दिसम्बर 1999 तक रक्षा मंत्री के विज्ञान सलाहकार और सुरक्षा शोध व विकास विभाग के सचिव थे। उन्होंने स्ट्रेटेजिक मिसाइल्स सिस्टम का उपयोग आग्नेयास्त्रों के रूप में किया। 1998 में कलाम के निर्देशन में पोखरण में दूसरी बार न्यूक्लियर विस्फोट किया गया। इसके बाद भारत परमाणु हथियार के निर्माण की क्षमता प्राप्त करने में सफलता अर्जित कर परमाणु संपन्न देशों में शामिल हो गया। डॉक्टर कलाम ने भारत के विकास स्तर को 2020 तक विज्ञान के क्षेत्र में अत्याधुनिक करने के लिए एक विशिष्ट सोच प्रदान की। वे भारत सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार भी रहे। एपीजे को उनके कार्यों के लिए देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया। अपनी सादगी के लिए विख्यात एपीजे ने देश को राष्ट्रपति के रूप में भी एक नई दिशा दिखाई। एनडीए के सहयोग से सन् 2002 में 90 फीसदी बहुमत केसाथ देश के 11वें राष्ट्रपति बनने वाले एपीजे ने यहां भी सादगी भरा जीवन जिया।

एक सूटकेस के साथ राष्ट्रपति भवन पहुंचने वाले डॉ. कलाम ने एक कमरे में ही पांच साल बिताया और जब राष्ट्रपति भवन छोड़ा तो वही एक सूटकेस उनके साथ था। अनुशासनप्रिय एपीजे देश को आगे ले जाने के लिए आखिरी समय तक सक्रिय बने रहे। उन्होंने कई किताबें भी लिखीं। इंडिया 20-20, अग्नि जैसी पुस्तकें बेहद पसंद की गईं। भारत रत्न डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के जाने के बाद पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है। देश में विज्ञान-चेतना के प्रेरक डॉ. कलाम युवाओं और बच्चों में ऊंचे सपने देखने की आदत डालने का अनथक प्रयास करते रहे। उन्हें भुलाया नहीं जा सकता। बहुत-बहुत याद आते रहेंगे कलाम साहब।

डॉक्टर कलाम ने भारत के विकास स्तर को 2020 तक विज्ञान के क्षेत्र में अत्याधुनिक करने के लिए एक विशिष्ट सोच प्रदान की। भारत रत्न डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के जाने के बाद पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है। देश में विज्ञान-चेतना के प्रेरक डॉ. कलाम युवाओं और बच्चों में ऊंचे सपने देखने की आदत डालने का अनथक प्रयास करते रहे। उन्हें भुलाया नहीं जा सकता। बहुत-बहुत याद आते रहेंगे कलाम साहब..............

Post a Comment

0 Comments