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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

बिना टीईटी शिक्षक बनाने के मामले में अखिलेश सरकार को झटका : अब तक शिक्षक बनाए गए 1.36 लाख शिक्षामित्रों की बढ़ी धुकधुकी

बिना टीईटी शिक्षक बनाने के मामले में अखिलेश सरकार को झटका : अब तक शिक्षक बनाए गए 1.36 लाख शिक्षामित्रों की बढ़ी धुकधुकी

लखनऊ : अध्यापक पात्रता परीक्षा (टीईटी) उत्तीर्ण किए बिना शिक्षामित्रों को परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में सहायक अध्यापक के पद पर समायोजित करने का अखिलेश सरकार का दांव उल्टा पड़ गया है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के फैसले पर रोक लगाकर असहज स्थिति पैदा कर दी है। इससे 37 हजार शिक्षामित्रों की नौकरी पाने की संभावना पर ग्रहण लग गया है, शिक्षामित्रों से सहायक अध्यापक का दर्जा पाने वाले 1.36 लाख शिक्षकों की धुकधुकी बढ़ गई है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश की खबर मिलते ही बेसिक शिक्षामंत्री राम गोविंद चौधरी ने सोमवार शाम सचिव बेसिक शिक्षा एचएल गुप्ता को बुलाकर इस मुद्दे पर चर्चा की।

राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद ने 23 अगस्त 2010 को अधिसूचना जारी कर पहली से आठवीं कक्षा के शिक्षकों की नियुक्ति के लिए टीईटी को उत्तीर्ण करना अनिवार्य किया था। अधिसूचना के क्रम में राज्य सरकार ने 27 जुलाई 2011 को उत्तर प्रदेश नि:शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियमावली में यह प्रावधान किया। समाजवादी पार्टी ने बीते विधानसभा चुनाव के लिए अपने घोषणापत्र में शिक्षामित्रों को शिक्षक पद पर समायोजित करने का वादा किया था। लोकसभा चुनाव से पहले फरवरी 2014 में अखिलेश सरकार ने सियासी दांव चलते हुए दूरस्थ शिक्षा के जरिये बीटीसी ट्रेनिंग पूरी करने वाले शिक्षामित्रों को टीईटी से छूट देते हुए शिक्षक बनाने का फैसला किया।

शिक्षामित्र एनसीटीई की अधिसूचना लागू होने के पहले से परिषदीय स्कूलों में पढ़ा रहे हैं, इसलिए टीईटी उनके लिए बाध्यकारी नहीं है। एक तरफ तो सरकार ने शिक्षामित्रों को टीईटी से छूट देने का फैसला किया, वहीं परिषदीय विद्यालयों और अनुदानित जूनियर हाईस्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए टीईटी को अनिवार्य कर दिया। यही दोहरा पैमाना अब राज्य सरकार के लिए गले की फांस बना है। बहरहाल सचिव बेसिक शिक्षा एचएल गुप्ता ने कहा कि 27 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में उपस्थित होकर वह राज्य सरकार का पक्ष रखेंगे। वह शीर्ष अदालत को बताएंगे कि चूंकि शिक्षामित्र अधिसूचना लागू होने के पहले से स्कूलों में पढ़ा रहे हैं, इसलिए उन्हें टीईटी से छूट देने का फैसला किया गया।

पहले भी हो चुकी है फजीहज : यह पहला मौका नहीं है जब बेसिक शिक्षा के मामले में अखिलेश सरकार की सुप्रीम कोर्ट में फजीहत हुई हो। इससे पहले परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 72825 शिक्षकों की भर्ती शैक्षिक मेरिट के आधार पर कराने के अखिलेश सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने पलटते हुए मायावती सरकार द्वारा भर्ती को टीईटी-2011 की मेरिट पर कराने के निर्णय पर मुहर लगायी थी।

* वर्ष 2000 में ग्रामीण क्षेत्रों के परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में इंटरमीडिएट उत्तीर्ण शिक्षामित्र संविदा पर नियुक्त

* 2006 में नगरीय क्षेत्रों के स्कूलों में भी नियुक्त

* उत्तर प्रदेश में कुल 1.73 लाख शिक्षामित्र

* 14 जनवरी 2011 को एनसीटीई ने स्नातक उत्तीर्ण शिक्षामित्रों को दूरस्थ शिक्षा के जरिये दो वर्षीय ट्रेनिंग कराने की राज्य सरकार को अनुमति दी

* 11 जुलाई 2011 को शिक्षामित्रों को दूरस्थ शिक्षा के जरिये दो वर्षीय बीटीसी प्रशिक्षण देने के लिए राज्य सरकार ने दिशा-निर्देश दिए

* अगस्त 2011 से 58986 शिक्षामित्रों के पहले चरण की ट्रेनिंग शुरू हुई

* 23 जुलाई 2012 को अखिलेश सरकार ने बीटीसी ट्रेनिंग पूरी करने वाले शिक्षामित्रों को चरणबद्ध तरीके से शिक्षक बनाने का निर्णय किया

* अगस्त 2012 में दूसरे बैच के शिक्षामित्रों की ट्रेनिंग शुरू

* फरवरी 2014 में अखिलेश सरकार का शिक्षामित्रों को शिक्षक बनाने के लिए टीईटी से छूट देने का फैसला

*जुलाई-अगस्त 2014 में पहले बैच के 58826 शिक्षामित्रों का समायोजन

* दूसरे बैच में बीटीसी ट्रेनिंग पूरी करने वाले 91104 शिक्षामित्रों के समायोजन की प्रक्रिया वर्तमान में जारी जिसमें से 77000 शिक्षामित्र समायोजित

      खबर साभार : दैनिकजागरण

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