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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

लंबे संघर्ष के बाद नियुक्ति तो मिल गई लेकिन जेब अभी भी खाली : सत्यापन कब तक पूरा होगा इसको बताने के लिए विभाग को कोई भी तैयार नहीं-

लंबे संघर्ष के बाद नियुक्ति तो मिल गई लेकिन जेब अभी भी खाली : सत्यापन कब तक पूरा होगा इसको बताने के लिए विभाग को कोई भी तैयार नहीं-

इलाहाबाद : लंबे संघर्ष के बाद नियुक्ति तो मिल गई लेकिन जेब अभी भी खाली है। पैसे के अभाव में आर्थिक संकट गहराता जा रहा है, कई तो कर्ज के बोझ तले दबते जा रहे हैं। यह व्यथा है प्रदेश में नियुक्त किए गए हजारों शिक्षामित्रों की। सरकार ने उन्हें सहायक अध्यापक पद पर समायोजित तो कर लिया परंतु न तो शिक्षामित्र का मानदेय मिल रहा है और न सहायक अध्यापक का वेतन। तर्क दिया जा रहा है कि प्रमाणपत्रों का सत्यापन न होने से मामला अटका है। सत्यापन कब तक पूरा होगा इसको बताने के लिए विभाग को कोई भी तैयार नहीं है।

परिषदीय स्कूलों में पठन-पाठन व्यवस्था सुधारने के लिए सरकार ने शिक्षामित्रों का सहायक अध्यापक पद पर समायोजन कराने का निर्णय लिया। इसके तहत शिक्षामित्रों को प्रशिक्षित करके समायोजित करने की कवायद की जा रही है। अगस्त 2014 को हुए प्रथम चरण में प्रदेश भर में 62 हजार शिक्षामित्रों का समायोजन हुआ। मंडल में इलाहाबाद के 1445, फतेहपुर के 945, कौशांबी के 564 और प्रतापगढ़ के करीब 1100 शिक्षामित्र समायोजित किए गए। इसमें इलाहाबाद में 1200, फतेहपुर में 345, कौशांबी में 164 एवं प्रतापगढ़ में 111 सहित प्रदेश भर में दस हजार के लगभग शिक्षामित्रों को वेतन नहीं मिल रहा। वहीं द्वितीय चरण में प्रदेश भर में 60 हजार के लगभग शिक्षामित्रों का समायोजन मई माह में हुआ। इसमें भी किसी को वेतन नहीं जारी हुआ। उचित विभागीय पैरवी न होने से शिक्षामित्रों का मामला संबंधित विश्वविद्यालय एवं बोर्ड आफिस में फंसा है। उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षा मित्र संघ के जिलाध्यक्ष वसीम अहमद का कहना है शिक्षामित्रों के प्रमाणपत्रों के सत्यापन की समयावधि तय होनी चाहिए, जो सहायक अध्यापक बन चुके हैं, उन्हें जल्द वेतन जारी किया जाए। वहीं बेसिक शिक्षाधिकारी इलाहाबाद राजकुमार का कहना है जिन समायोजित शिक्षकों का सत्यापन आ रहा है, उनकी नियुक्ति कर रहे हैं।

         खबर साभार : दैनिकजागरण

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