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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ एक विधिमान्य संगगठन है चूंकि प्रजातंत्रीय व्यवस्था के अन्तर्गत विधि मान्य संगठनों एवं संस्थाओं की भूमिका महत्वपूर्ण होती हैं। तो इसी श्रेणी.........

सादर प्रणाम मित्रों,

दो शब्द चर्चा के.........
प्रजातंत्रीय व्यवस्था के अन्तर्गत विधि मान्य संगठनों एवं संस्थाओं की भूमिका महत्वपूर्ण होती हैं। तो इसी श्रेणी में उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ जो प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक शिक्षकों का एक मात्र संगठन है जो शिक्षकों की सेवा सुरक्षा के साथ-साथ सामाजिक, आर्थिक, नैतिक एवं शिक्षा के स्तरोन्नयन की दिशा में सदैव प्रयत्नशील है। संघ में जीवन्तता बनाये रखने हेतु पदाधिकारियों के साथ-साथ सदस्यों में भी नैतिक बोधगम्यता का होना अति आवश्यक है।

परन्तु दिखावे और जोर जबरदस्ती की अंधी दौड़ में उदाहरण के रूप में लगता है जैसे कल की ही बात है उत्तर प्रदेश का हमेशा से संघर्षरत महराजगंज जिला जो किसी जमाने में तमाम झंझावतों से एकाकार होते हुए अपनी छाप बनाये रखा था परन्तु अब संगठन धूल फांकते नजर आता है और शिक्षक बेचारा असमंजस व प्रताड़ना की स्थितियों से विखरा हुआ है उसे सही दिशा और मार्ग नहीं सूझता क्योंकि कुकुरमुत्ते की तरह तमाम संगठन अपनी दुहाई देते नजर आते हैं जो शिक्षक हित को छोड़कर अपने सारे कार्य करते हैं तो 'प्रश्न' खड़ा 'समय' से अपना जबाब मांग रहा है कि 'महराजगंज जिले' का भविष्य किस ओर ?

तो मैं चर्चा को आगे बढ़ाता हूं कि कुछ प्राणी ऐसे निराश होते हैं कि हम कभी सफल नहीं हो सकते, क्योंकि हमारी तकदीर या परिस्थितियां ही ऐसी हैं। परन्तु ऐसा है नहीं, क्योंकि यदि हम अपनी असफलताओं के बारे में ही सोचते रहेंगे तो सफलता को नहीं प्राप्त कर सकेंगे। "सफल होना हर मनुष्य का अधिकार है" पर अपनी क्षमता पर कभी भी अविश्वास न करें, क्योंकि विश्वास के बिना प्रत्येक काम कठिन है। आपके मन का विश्वास ही आपके मुश्किलों को आसान बना सकता है। किसी भी कार्य की सफलता के लिए श्रद्धा व लगन अति आवश्यक है। जो कौम अनवरत अपनी स्थिति का आकलन-परिकलन कर विकास के मार्ग को प्रशस्त करती रहती है उसे किसी भी प्रकार की अड़चने रोक नहीं पाती।

आप सब www.basicshiksha.net पर इस चर्चा को पढ़ रहे हैं |

आज शिक्षक का वेतन अपने संवर्ग के अन्य कर्मचारियों से काफी आगे है। शिक्षकों के वेतन से अब अधिकारियों के वेतन की तुलना की जा रही है। आज समूचे समाज, शासन, प्रशासन की शिक्षक पर विशेष नजर है। अतः आज के इस समय में आप से मात्र यही अपेक्षा है कि अब अपना रहन-सहन बदलें। रहन-सहन बदलने से तात्पर्य यह है कि आपके व्यक्तित्व आचरण वेशभूषा, आप का संग-साथ व आपके विचार-विमर्श से यह प्रतीत होना ही चाहिए कि आप भारत के सर्वश्रेष्ठ शिक्षक मात्र वेतन व सुविधाओं के मामले में ही नहीं बल्कि अपने व्यक्तित्व, दक्षता, कौशल एवं विचार विमर्श के प्रसंगों के चलते भी आप समाज के आदर्श व अनुकरणीय हैं। आज आपके बीच चर्चा का यह विषय होना चाहिए कि पाठ्यक्रम का विकास कक्षा में किस प्रकार के शिक्षण पद्धति से किया जाय कि बच्चे की रूचि कक्षा में बनी रहे। शिक्षक के रुप में समाज में आपकी गौरवमयी स्वीकार्यता कैसे बढ़े।

हम चर्चा करें अपने कक्षा में पढ़ाये गये विषयों की व उन्हें सरल बनाने की उपायों पर नित नये-नये हो रहे मनोवैज्ञानिक, सामाजिक, भौगोलिक शोधों से परिचित होकर उन्हें अपने छात्रों में इनके मानसिक स्तर के अनुरुप सरलीकृत कर परिचित करायें। यदि शिक्षक अपने आचरण में इन समस्त अवयवें का समावेश किया तो निश्चित रुप से शिक्षक स्वाभिमान की वृद्धि होगी व अपनी स्वर्णिम उपलब्धियों की रक्षा भी कर सकेगा, तथा निरन्तर विकास की नई ऊचाईयां भी प्राप्त करता रहेगा।

आदिकाल से ही शिक्षा व छात्र का परम् हितैषी शिक्षक ही रहा है और आज भी वही है। छात्र के लिए शिक्षक से बड़ा हितैषी और कोई नहीं हो सकता। आखिर जब शिक्षक को ही पढ़ाना है तो यह कोई दूसरा क्यों तय करता है कि छात्रों को कैसे पढ़ाया जाय ? इसे शिक्षक व छात्र को ही तय करने दिया जाय, क्योंकि शिक्षक के पास उसका अनुभूत सत्य होता है तथा किन-किन स्तरों पर कौन सी व्यवहारिक कठिनाइयां आती हैं इसका सबसे अच्छा ज्ञान शिक्षक को ही होता है, परन्तु शिक्षा व्यवस्था के इस कथित सुधार यज्ञ में शिक्षक से परामर्श लेने की जहमत नहीं उठायी जा रही है, जो उचित नहीं है। विद्यालयों में मिड-डे-मिल योजना लागू है उसके क्रियान्वयन के सम्बन्ध में मिड-डे-मिल प्राधिकरण आज तक यह निश्चित ही नहीं कर पा रहा है कि मिड-डे-मिल की जिम्मेदारी शिक्षक की है या ग्राम प्रधान की। इससे एक अजीब टकराव की स्थिति बनती जा रही है।

एक तरफ सरकार निरन्तर बच्चों के शिक्षा के मौलिक अधिकार प्रदान करने के लिए पूरजोर प्रयत्न कर रही है तो वहीं दूसरी ओर शिक्षकों से शिक्षण कार्य के बजाय परिवार सर्वेक्षण, बी0एल0ओ0 ड्यूटी, स्वास्थ सम्बन्धी कार्यक्रम, निर्वाचन सहित जनगणना के कार्य भी ले रही है, यह सोचने का विषय है कि जब शिक्षक स्कूल ही नहीं पहुंच पायेगा, तो स्कूल में पढ़ाई कैसे होगी तथा जब विद्यालय में पढ़ाई नहीं हो सकेगी, तो बाल शिक्षा अधिकार का लक्ष्य कहां से प्राप्त होगा।

गुणवत्ता परक शिक्षा वह सुविचारित सम्पूर्ण शैक्षिक वातावरण है जिसमें पर्याप्त शिक्षक हों तथा शिक्षक को पढ़ाने के अलावां किसी अन्य कार्य में न उलझाया जाये। विद्यालय परिसर सुरूचिपूर्ण व सुरक्षित हो तथा उसमें पढ़ाने वाला शिक्षक समस्या मुक्त व तनाव मुक्त हो। परन्तु यह सब करने की अपेक्षा मात्र प्रचार-प्रसार के माध्यम से गुणवत्ता परक शिक्षा जमीन पर उतारने की कवायद चल रही है।

उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ की मांग है कि प्रत्येक विद्यालय में अनिवार्य रुप से प्रथम पद प्रधानाध्यापक का सृजित हो तथा 30 छात्रों पर एक शिक्षक का पद सृजित हो, उक्तानुसार विद्यालयों में पर्याप्त शिक्षक उपलब्ध करा दिया जाय, तथा शिक्षकोंको एक शिक्षा सत्र में कम से कम 220 दिन विद्यालयों में पढ़ाने का अवसर प्रदान कर दिया जाय, तो पूर्ण विश्वास है कि, ऐसा होने पर शैक्षिक परिदृष्य अवश्य बदल जायेगा। इसके लिए तमाम बौद्धिक गैर जरूरी कसरत करने की किसी को जरूरत नहीं होगी।

उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ की मांग है कि 01 अप्रैल 2005 व उसके पश्चात नियुक्त शिक्षकों को पुरानी पेंशन व्यवस्था से आच्छादित किया जाय, मृतक आश्रितों को अध्यापक पद पर नियुक्ति देकर सेवारत प्रशिक्षण व टी0ई0टी0 करायी जाय, शिक्षामित्रों को सेवा अनुभव का लाभ देकर पूर्ण शिक्षक बनाया जाय, परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों को उच्चीकृत ग्रेड वेतन 4600 व 4800 पर न्यूनतम मूल वेतन क्रमशः 17140 व 18150 प्रदान किया जाय, पदोन्नति हेतु 5 वर्ष की सेवा अनुभव की सीमा को कम कर 3 वर्ष किया जाय, उच्च प्राथमिक विद्यालयों में सीधी भर्ती पर रोक लगाकर रिक्त पदों को पदोन्नति के माध्यम से प्राथमिक शिक्षकों से भरा जाय, साथ ही गणित व विज्ञान के शिक्षकों की भर्ती रोक कर पद अनुभवी शिक्षकों द्वारा विज्ञान व गणित के पदों को पदोन्नति से भरा जाय, शिक्षकोंके पाल्यों को बी0एड0/बी0टी0सी0 व शिक्षक पात्रता परीक्षा सहित नियुक्ति में दस अंक का भारांक प्रदान किया जाय, उच्च प्राथमिक विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों की पदोन्नति खण्ड शिक्षा अधिकारी के रिक्त पदों के सापेक्ष 20 प्रतिशत की जगह, उक्त कोटा 30 प्रतिशत कर पदोन्नति का लाभ दिया जाय, अनुदेशकों के समस्याओं का निराकरण प्राथमिकता के आधार पर किया जाय, केन्द्रीय कर्मचारियों की भांति शिक्षकों को चिकित्सा भत्ता, यात्रा भत्ता व संतान शिक्षा भत्ता का लाभ प्रदान किया जाय। जिससे शिक्षकों को उक्त लाभ प्राप्त हो। इसके लिए हम निरन्तर संघर्षशील हैं।

छठें वेतन आयोग की संस्तुतियां तो हमें मिली परन्तु उसके साथ भत्तों का पैकेज हमें जस का तस अभी तक नहीं मिला है, यदि भत्तों की समानता कायम नहीं हो सकी तो हम निरन्तर पिछड़ते चले जायेंगे तथा सातवें वेतन आयोग के समय यह दूरी एक नई चुनौती के रुप में हमारे सामने खड़ी होगी।

वैसे एक बात पर और चर्चा व विचार विमर्श करना होगा कि "कोई भी संगठन किसी व्यक्ति के चलाने से नहीं चलता वह स्वयं चलता है |" इसलिए इस मुगालफते में कोई न रहे कि हम ही सब कुछ हैं | इसकारण जिससे आपकी पहचान है उसे संजोकर रखना होगा वैसे कठिनाईयां बहुत है लेकिन शिक्षकों के हितों के लिए पूरी मन:स्थिति से कार्य करना होगा जिसमें कहीं न कहीं खामिंया दिखायी देती हैं कारण चाहे जो भी हो आगे आप सब वैसे पुरोधा हैं मैं क्या कहूँ आप सब समझदार हैं  "प्रश्न और जबाब" दोंनो आप सबके लिए छोड़ता हूं ?

उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ आपके बलबूते संघर्ष के लिये हमेशा तत्पर हैं। कुछ राजाज्ञाएं निर्गत कराने में सफलता मिली है तथा कुछ के लिए निरन्तर प्रयास कर रहा है। अपने संगठन के प्रति निष्ठा बनाये रखें तथा संगठन की गतिविधियों में जोश के साथ हिस्सा लें, विश्वास करें, जिससे आप अवश्य सफल होगें। अपने महान संगठन के बल पर हम अपनी विजय-यात्रा निरन्तर जारी रख सकते हैं। 

तो लो भाइयों चर्चा करते-करते बाबा विश्वनाथ की नगरी पहुँच ही गये और अपने पग रखने से पहले प्रणाम हूं जगत पालक को, प्रेम से बोलो जय बाबा विश्वनाथ ||                 

आभार : psskvp.org

~डीएन त्रिपाठी

           || जय शिक्षक जय भारत ||

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  2. उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ एक विधिमान्य संगगठन है चूंकि प्रजातंत्रीय व्यवस्था के अन्तर्गत विधि मान्य संगठनों एवं संस्थाओं की भूमिका महत्वपूर्ण होती हैं। तो इसी श्रेणी.........
    >> READ MORE @ www.basicshiksha.net या http://news.basicshiksha.net/2015/04/blog-post_99.html

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  3. लेख में कुछ तथ्य मेरे द्वारा जोड़े गये हैं |जिससे हो सकता है कुछ लोग इत्तेफाक न रखते हों पर बातें सही हैं |

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