मंत्री जी, प्रॉब्लम तो बता दी,अब सॉल्यूशन भी बताइए! : बेसिक शिक्षा मंत्री के बयान से उठ रहे सवाल, बीएसए को बताया था भ्रष्टाचार की वजह-
कुछ यूं हैं रेट-
१-40 हजार से 80 हजार रुपये तक दूरी के हिसाब से
२-अंतरजनपदीय तबादला-एक लाख से डेढ़ लाख रुपये
३-पेंशन,जीपीएफ एवं अन्य भत्तों का भुगतान-पूरे भुगतान का 10 फीसदी
४-सीसीएल-एक महीने की छुट्टी पर पांच हजार रुपये
मैं शुरुआत से शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार दूर करने में जुटा हूं। कुछ बीएसए की मुझे शिकायत मिली थी, वे नहीं सुधर रहे हैं। सख्त कार्रवाई करूंगा।
-राम गोविंद चौधरी, बेसिक शिक्षा मंत्री
बेसिक शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार चरम पर है। बिना लिए कुछ नहीं होता और हर काम का खुला रेट है। - विनय कुमार सिंह, अध्यक्ष प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक असोसिएशन
सोमवार को बेसिक शिक्षा मंत्री राम गोविंद चौधरी ने बयान दिया कि प्रदेश के बीएसए बहुत भ्रष्ट हैं। अगर वे सुधार जाएं तो शिक्षा की हालत सुधर सकती है। मंत्री जी की इस बात से किसी को नाइत्तेफाकी नहीं हो सकती लेकिन सवाल यही है कि इस भ्रष्टाचार को दूर कौन करेगा/ महकमे में कदम-कदम पर भ्रष्टाचार है और हर काम के रेट तय हैं। जिम्मेदार अफसर सीधे तौर पर भले न स्वीकार करें पर सबको ये रेट रटे हुए हैं। आलम ये है कि अपने काम के लिए शिक्षक या कर्मचारी अगर तय रेट नहीं दे पाते हैं तो उन्हें दूसरे तरीकों से अपने हक की लड़ाई लड़नी पडती है। मुद्दा यह भी है कि जब बीएसए ही कई लाख देकर नियुक्त होते हैं तो फिर यह भ्रष्टाचार कैसे रुकेगा/ विधानमंडल सत्र के दौरान कई विधायकों ने यह मुद्दा हाल ही में उठाया भी था।
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जीपीएफ के लिए शिक्षक ने लगाई आग-
महकमे में भ्रष्टाचार इतना हावी है कि लखनऊ में एक रिटायर्ड शिक्षक को अपनी पेंशन और जीपीएफ के लिए खुद को आग के हवाले करना पड़ा था। वह बुजुर्ग शिक्षक महीनों से लेखाधिकारी कार्यालय के चक्कर काट रहे थे। लेखाधिकारी उनसे पेंशन के एवज में 10 फीसदी की मांग कर रहे थे। आजिज आकर शिक्षक ने लेखाधिकारी के कमरे में ही आग लगा ली थी।
सैकड़ों का एरिअर लटका-
जीपीएफ और पेंशन ही नहीं, सामान्य तौर पर शिक्षकों का एरियर भी बिना कुछ दिए नहीं मिलता। लखनऊ में ही करीब 300 शिक्षक ऐसे हैं, जिन्हें एरियर नहीं मिला। कई बार वेतन बढ़ा लेकिन वह पैसा नहीं दिया गया। सात-आठ साल पुराने शिक्षकों तक का एरियर बकाया है। करीब 300 शिक्षकों का दीपावली बोनस ही बकाया है। डीए अवशेष भी नहीं मिला है। शिक्षकों का सीधा आरोप है, जिसने 10 प्रतिशत लेखाधिकारी को दे दिया, उसका ही भुगतान होता है। बाकी का जानबूझकर फंसाकर रखा जाता है।
सीसीएल का रेट-
महिला शिक्षकों को दो साल की चाइल्ड केयर लीव दी जाती है। बच्चा 12 साल का होने तक की अवधि में अलग-अलग समय पर दी जाती है। शिक्षकों का आरोप है कि इसमें भी छुट्टी के महीने के हिसाब से रेट तय हैं। बिना रिश्वत के तबादला भी नहीं होता। जितनी दूरी, उतना ज्यादा रेट |
खबर साभार : नवभारत टाइम्स
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