आठवीं कक्षा तक परीक्षाएं न कराने की नीति पर नये सिरे से विचार-विमर्श को बदलाव की सार्थक शुरूआत मानना और शिक्षा के लिए जरूरी बहस का प्रारम्भ होना है क्याोंकि परीक्षाओं में फेल न करने की नीति से पढ़ने-लिखने के स्तर में...........
"वैसे अच्छा तो यह होगा कि शिक्षा मंत्रालय नई समिति की जरूरत को समझते हुए 'कोठारी आयोग' की तरह एक समिति गठित करेें, जिससे कि दिसम्बर 2015 तक शिक्षा का एक वैकल्पिक और सार्थक रूप सामने आ सके |"
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