शिक्षक बने शिक्षामित्रों की नौकरी पर संकट : शिक्षामित्र से शिक्षक बने 720 सहायक अध्यापकों में फर्जी प्रमाण पत्रों के सहारे नौकरी पाने वालों पर लटकी तलवार-
"नियुक्ति के समय जो शैक्षिक प्रमाण पत्र आवेदक ने लगाए थे और शिक्षक बनने के बाद सत्यापन के लिए जो प्रमाण पत्र शिक्षकों ने दिए थे। उन दोनों का मिलान कराया जा रहा है। ताकि असलियत का पता चल सके ।"
मैनपुरी : शिक्षामित्र से शिक्षक बने 720 सहायक अध्यापकों में फर्जी प्रमाण पत्रों के सहारे नौकरी पाने वाले शिक्षा मित्रों की नौकरी पर संकट के बादल छा गए हैं। इन शिक्षामित्रों ने ग्राम शिक्षा समिति को जो शैक्षिक प्रमाण पत्र दाखिल किए थे उनकी चयन प्रकिया की मेरिट के रिकॉर्ड से जांच कराई जाएगी। ताकि फर्जीवाड़ा करने वालों का सच सामने आ सके ।
तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षकों की कमी के कारण शिक्षामित्रों की प्रधान के माध्यम से नियुक्त करने की व्यवस्था लागू की थी। पहली बार जिले में 83 शिक्षामित्रों की नियुक्ति ग्राम शिक्षा समिति के माध्यम से की कई थी। उसके बाद बेसिक शिक्षा में शिक्षकों की कमी होती गई।
इसी दौरान वर्ष 2001 में भारत सरकार ने बेसिक शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए सर्व शिक्षा अभियान लागू किया, तो इस योजना से प्रत्येक विद्यालय में जहां भी शिक्षामित्रों की कमी महसूस की गई। उन गांव में प्रधानों और प्रधानाध्यापकों की ग्राम शिक्षा समिति ने मेरिट के आधार पर हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के अंकपत्रों की मेरिट बनाकर नियुक्ति दी थी। अब यही शिक्षामित्र शिक्षक बन गए हैं।
पहले तो विभाग ने इनसे सत्यापन के लिए शैक्षिक प्रमाण पत्र मांगे। जिसकी जांच बोर्ड और विश्वविद्यालय से करा ली गई। इनके खाते में वेतन स्थानांतरित कर दिया है। लेकिन लगातार शासन को इस बात की शिकायतें मिल रही हैं कि जिन शिक्षामित्रों को शिक्षक बनाया गया है उन्होंने नियुक्ति के समय ज्यादा मेरिट वाले फर्जी अंकपत्र दाखिल किए थे। जबकि सत्यापन के समय कम मेरिट वाले अंक पत्र बीएसए कार्यालय में जमा किया था। इसी पर शासन ने नियुक्ति के समय जमा हुए प्रमाण और सत्यापन में दिए गए प्रमाण पत्रों की जांच कराने के निर्देश बीएसए और डाइट कार्यालय को दिए हैं।
ये है असली खेल-
शिक्षामित्रों को जब ग्राम शिक्षा समिति ने चयन किया था। उस समय किसी को ये नहीं मालूम था कि आगे चलकर वह शिक्षक भी बन जाएंगे। ज्यादातर आवेदकों ने मेरिट से नियुक्ति होने के कारण फर्जी, ज्यादा मेरिट के हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के प्रमाण पत्र लगाकर नौकरी पा ली थी । अब जब शिक्षक बनने के बाद विभाग ने सत्यापन के लिए शैक्षिक प्रमाण पत्र मांगे तो कम मेरिट वाले असली प्रमाण पत्र दे दिए। जिससे सत्यापन होकर आ जाए। लेकिन विभाग ने अब फर्जीवाड़ा करने वालों को फांस दिया है। शासन के निर्देश पर बीएसए ने चयन प्रकिया के समय जमा हुए आवेदनों ग्राम शिक्षा समिति का रजिस्टर आदि के रिकॉर्ड से जांच कराने को फैसला लिया है। ताकि फर्जीवाड़ा करने वालों पर कार्रवाई हो सके।
अधिकारी कहिन-
'नियुक्ति के समय जो शैक्षिक प्रमाण पत्र आवेदक ने लगाए थे और शिक्षक बनने के बाद सत्यापन के लिए जो प्रमाण पत्र शिक्षकों ने दिए थे। उन दोनों का मिलान कराया जा रहा है। ताकि असलियत का पता चल सके ।
~प्रदीप कुमार वर्मा, बीएसए, मैनपुरी।
खबर साभार : दैनिकजागरण
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