शिक्षा का अधिकार देने में यूपी पीछे : सूबे में 6 लाख सीटें आरक्षित थीं 0.1 फीसदी को ही मिले एडमिशन-
1-विशेषज्ञों ने कहा- वंचितों के बजाय निजी स्कूलों के हित को तवज्जो दे रही यूपी सरकार
2-परोपकार के लिए खोले स्कूल तो क्यों नहीं बताते फीस बढ़ाने की वजह
सरकार मनमानी के खिलाफ नहीं करती अपील-
दिल्ली में आरटीई की मुहिम चलाने वाले एक्टिविस्ट अशोक अग्रवाल ने कहा कि यूपी में प्राइवेट स्कूलों और सरकार की सोच के खिलाफ मुहिम छेड़नी होगी। उन्हाेंने कहा कि कोर्ट के कुछ निर्देशों का गलत फायदा उठाया जा रहा है। अल्पसंख्यक समुदाय के संस्थानों को आरटीई से परे रख दिया गया। इसका फायदा न केवल मिशनरी और कॉन्वेंट स्कूल ले रहे हैं, बल्कि स्कूल खुद को अल्पसंख्यक संस्थान साबित करने वाला सर्टिफिकेट भी सरकार से हासिल करने में लगे हैं। प्राइवेट स्कूलों के खिलाफ सरकार कोई अपील तक नहीं कर रही है।
कानून का मखौल-
स्वाति नारायण ने बताया कि प्रदेश सरकार ने आदेश निकाल दिया है कि बच्चों को पहले सरकारी स्कूलों में एडमिशन लेना होगा, वहां सीटें भर जाने पर ही वे प्राइवेट स्कूलों का रुख करें। यह सीधे तौर पर शिक्षा के अधिकार कानून का मखौल उड़ाना है। यह सब शिक्षा माफिया के हितों के लिए किया जा रहा है। वहीं आरटीआई डालो तो सरकार कोई जवाब नहीं देती है।
खबर साभार : अमरउजाला
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