बीटीसी के दो सेशन जीरो हो जाएंगे : दो साल पीछे चल रहा है सत्र, अभी हो रहे 2013-14 के दाखिल-
•अगले साल से लागू होना है बीटीसी की जगह चार साल का बीएलईडी कोर्स |
लखनऊ | बीटीसी के सत्र 2013-14 का अभी एक सेमेस्टर पूरा हुआ है और अभी तक एडमिशन चल रहे हैं। उसके बाद 2014-15 और 2015-16 के दाखिले ही शुरू नहीं हुए। इस तरह यूपी में बीटीसी का सेशन दो साल पिछड़ गया है। यदि केंद्र सरकार की तैयारी के मुताबिक 2016 से चार साल बीएलईडी (बैचलर ऑफ एलीमेंट्री एजूकेशन)कोर्स शुरू किया जाता है तो प्रदेश में बीटीसी के दो सेशन जीरो हो सकते हैं। इसकी चिंता अभी से बीटीसी कॉलेज वालों को सता रही है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि 2014-15 के एडमिशन भी अभी से शुरू कर दिए जाएं ताकि एक सेशन बचाया जा सके।
बीटीसी का सत्र साल-दर-साल पिछड़ता जा रहा है। सत्र 2013-14 के ही पूरे छात्र अभी तक कॉलेजों को आवंटित नहीं किए गए हैं। कई कॉलेजों में सीटें खाली हैं। लखनऊ के स्वामी विवेकानंद डिग्री कॉलेज के प्रबंधक मोहन सिंह बताते हैं कि अभी एक सेमेस्टर पूरा हुआ है। थोड़े-थोड़े करके छात्र आवंटित किए जाते हैं। यही वजह है कि तीन सीटें तो अब भी खाली हैं। वहीं महावीर प्रसाद डिग्री कॉलेज के प्रबंधक अवधेश सिंह कहते हैं कि सत्र काफी लेट है। अभी तो 2013 वाले दाखिले ही चल रहे हैं। यही कोर्स पूरा होने में दो साल लग जाएंगे। वहीं 2014 के दाखिले ही अभी तक शुरू नहीं हुए।
उधर केंद्र ने बीटीसी की बजाय चार साल का बीएलईडी कोर्स शुरू करने के निर्देश दिए हैं। अब अगर यह कोर्स 2016 से लागू होता है तो फिर 2015 का सत्र जीरो करना पड़ेगा। यूपी में यदि 2014 के दाखिले नहीं हुए तो यह सत्र भी निकल जाएगा। ऐसे में दो सत्र जीरो हो जाएंगे।
अधर में भविष्य-
"सरकार की लेटलतीफी का खामियाजा प्रदेश के छात्रों और कॉलेजों को भुगतना पड़ेगा। हमारी मांग है कि 2014 के दाखिले शुरू कर दिए जाएं। इस तरह 2013-14 और 2014-15 के सत्र साथ-साथ चलते रहेंगे। इससे एक सत्र जीरो होने से बचाया जा सकता है।"
- विनय त्रिवेदी, अध्यक्ष स्ववित्तपोषित महाविद्यालय असोसिएशन
"चार साल के बीएलईडी कोर्स को शुरू करने के बाबत सरकार के स्तर से निर्णय लिया जाना है। उसके बाद ही उसे लागू करने की कार्यवाही की जाएगी। जहां तक बीटीसी दाखिलों का सवाल है, जल्द दाखिले कराने के प्रयास किए जा रहे हैं।"
-सर्वेंद्र विक्रम, निदेशक एससीईआरटी
खबर साभार : एनबीटी
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