ढाई अरब बच्चों के भविष्य पर हुआ मंथन : विश्व में बच्चों की सुरक्षा से सम्बन्धित बहुत अच्छे नियम नहीं : कुछ हैं भी तो कड़ाई से प्रभावी नहीं है-
लखनऊ (एसएनबी)। दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति कगामा मोटलैंथे ने शुक्रवार को कहा कि बच्चे देश ही नहीं विश्व के भविष्य होते हैं। विश्व में बच्चों का भविष्य सुरक्षित नहीं है। सभी देशों को अपने भविष्य को सुरक्षित रखने का प्रयास कर देना चाहिए। विश्व में बच्चों की सुरक्षा के लिए न तो बहुत अच्छे नियम हैं और न ही नियमों को ठीक से लागू किया जा रहा है। ऐसे में सभी देशों को चाहिए कि वे आगे बढ़ें और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक ऐसा कानून बनाने की पहल करें जिससे सभी बच्चे सुरक्षित रहें। श्री कगामा शुक्रवार को राजधानी स्थित सिटी मांटेसरी स्कूल कानपुर रोड में आयोजित 15वें अंतरराष्ट्रीय मुख्य न्यायाधीश सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। श्री कगामा ने कहा कि वास्तव में संसार को सुरक्षित रखना है तो इससे अच्छा पहल नहीं हो सकती है। समारोह में विश्व के चार देशों के पूर्व राष्ट्रपतियों के साथ-साथ 60 देशों के 250 से अधिक न्यायाधीश शिरकत कर रहे हैं। रोमानिया के पूर्व राष्ट्रपति एमिल कांसटेंटिंजू, अल्बानिया के पूर्व राष्ट्रपति रेक्सेप मेदानी व क्रोएशिया के पूर्व राष्ट्रपति स्टीपन मेसिक भी सम्मेलन में शामिल हुए हैं। सम्मेलन के अध्यक्ष और विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पाण्डेय ने कहा कि यह भविष्य के लिए सकारात्मक पहल है। राजधानी के मेयर डा. दिनेश शर्मा ने कहा कि जिस तरह विश्व भर से आये न्यायाधीशों ने बाल सुरक्षा के लिए पहल शुरू की है। इसकी जितनी तारीफ की जाय कम ही होगी। गुयाना के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति कार्ल अशोक सिंह ने कहा कि सम्मेलन के माध्यम से विश्व के बच्चों के लिए एक नया भविष्य निर्मित किया जा रहा है। कोस्टारिका की न्यायमूर्ति सुश्री रोजा मारिया एकन ने कहा कि सम्मेलन में विश्व को संगठित करने व अन्तरराष्ट्रीय कानून व्यवस्था बनाने के लिए नई प्रेरणा शक्ति मिलेगी। सम्मेलन 16 दिसंबर तक चलेगा। सम्मेलन के संयोजक व सीएमएस के संस्थापक डा. जगदीश गांधी ने कहा कि अब संसार भर के बच्चों के भविष्य को लेकर उठाये प्रश्नों को टाला नहीं जा सकता। संसार भर के ढाई अरब बच्चों और आने वाली पीढ़ियों के भविष्य की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठायें। सम्मेलन में सीएमएस के छात्रों ने एकता गान, एकता नृत्य आदि का आयोजन किया।
न्यायाधीशों का हुआ सम्मान : सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एपी मिश्र को महात्मा गांधी पीस विजनरी अवार्ड दिया गया। मेडागास्कर सुप्रीम कोर्ट की प्रेसीडेंट न्यायमूर्ति सुश्री नेल्ली रोकोटोबे को मदर टेरेसा सर्विस टु ह्यूमैनिटी अवार्ड से सम्मानित किया गया। राजधानी के मेयर डा. दिनेश शर्मा ने राजधानी के नागरिकों की ओर से इजिप्ट के डिप्टी चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति डा. आदेल ओमर शेरीफ को ‘लखनऊ नगर की चाभी’ भेंट कर सम्मानित किया।
मुख्यमंत्री अवास पर रात्रि भोज आज : विश्व के 60 देशों से आये न्यायाधीशों को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शनिवार को रात्रि भोज पर निमंतण्रदिया है। सीएमएस के जनसंपर्क अधिकारी हरिओम शर्मा ने बताया कि विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पाण्डेय की ओर से 14 दिसंबर को रात्रिभोज पर आंमत्रित किया गया है।
बाल सुरक्षा के लिए तैनात हैं अधिकारी : क्रोएशिया के पूर्व राष्ट्रपति स्टीपन मेसिक ने बताया कि क्रोएशिया गणराज्य में बच्चों की सुरक्षा के लिए एक विशेष अधिकारी की नियुक्ति किया जाता है जिसका काम केवल बाल सुरक्षा और अधिकार दिलाना है।
अफ्रीका में पढ़ाया जाता है बाल सुरक्षा पाठ : दक्षिण अफ्रीका में बच्चों और नाबालिग लड़कियों की समस्याओं से निपटने के लिए एक विशेष पाठ्यक्रम तैयार किया गया है। दक्षिण अफ्रीका के सुप्रीम कोर्ट आफ अपील की न्यायाधीश न्यायमूर्ति एन डानबुजा ने बताया कि यह पाठ्यक्रम 15 साल से अधिक उम्र के बच्चों को पढ़ाया जाता है जिसमें उन्हें उनके अधिकारों के साथ सामाजिक व्यवस्थाएं, सेक्स, उनके शरीर, सामाजिक संबन्धों समेत अन्य आवश्यक जानकारी दी जाती है।
बच्चों के लिए है चाइल्ड कोर्ट : इंडोनेशिया के कांस्टय़ूशनल कोर्ट के जज डा. अनवर उस्मान ने कहा कि उनके देश में बच्चों की सुरक्षा व अधिकारों के लिए अलग कोर्ट है।
भारत में हर माह गायब हो जाते हैं तीन लाख बच्चे : भारत में हर माह तीन से पांच लाख बच्चे गायब हो रहे हैं, लेकिन उनके लिए कोई आवाज उठाने वाला नहीं है। यह बात मद्रास हाईकोर्ट के न्यायाधीश डा. टीएन विल्लीनयागम ने कही। उन्होंने कहा कि विश्व एक ग्लोबल विलेज हो गया है, लेकिन देश में लाखों बच्चों को शिक्षा, सेहत और अधिकार नहीं मिल रहा है। इसके लिए नियमों को ठीक से लागू कराने की आवश्यकता है।
अभिभावकों को नैतिक पाठ पढ़ाने की आवश्यकता : न्यायमूर्ति एस. तमिलवानन ने कहा कि देश में बाल सुरक्षा की स्थिति बहुत खराब हो गयी है। 70 प्रतिशत बच्चों को अपने अधिकारों के बारे में कोई ज्ञान ही नहीं है। जरूरत है कि अभिभावकों को अधिकार और नैतिक पाठ पढ़ाने की। इससे ही बच्चों का अधिकार सुरक्षित रह सकता है। देश में बाल सुरक्षा के लिए कई नियम बनाये गये हैं, लेकिन ठीक से लागू नहीं हो पा रहा है। नियम बनाने से ज्यादा जरूरी है कि सरकार उन नियमों को ठीक से लागू कराये। सीएमए में 60 देशों के 250 न्यायाधीशों का अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन शुरू|
खबर साभार : राष्ट्रीयसहारा
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