बीटीसा 2013 से पाठ्यक्रम प्रभावी : शिक्षक पढ़ेंगे अब शांति का पाठ : एससीईआरटी ने हर स्तर पर किया बदलाव-
सोमवार , 01 सितम्बर 2014
जासं, इलाहाबाद : देश भर में यहां-वहां सांप्रदायिक घटनाएं हो रही हैं। प्रदेश में आए दिन माहौल बिगड़ने की वारदातें होना आम बात हो गई है। ऐसे परिवेश में 'शिक्षक समाज का निर्माता है' उक्ति पर शिक्षा विभाग केंद्रित हुआ है और समाज को एकता के सूत्र में बांधे रखने की जिम्मेदारी शिक्षकों पर डाली गई है। इसीलिए प्रशिक्षु शिक्षकों को शांति का पाठ पढ़ाया जाएगा, ताकि उनकी स्कूलों में तैनाती होने पर बच्चों में सर्वधर्म समभाव की समझ विकसित की जाए।
प्रदेश भर के जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों में बीटीसी के पाठ्यक्रम में तीन नए पाठ जोड़े गए हैं, इसमें शांति शिक्षण व सतत विकास, समावेशी शिक्षा और आरम्भिक स्तर पर भाषा एवं गणित के पठन व लेखन क्षमता का विकास शामिल हैं। इन सबके बीच समाज को एक रखने का प्रयास विशेष रूप से उल्लेखनीय है। शांति शिक्षा की पढ़ाई सामान्य विषय के तहत होगी। जिसमें प्रशिक्षुओं को सामाजिक ताने-बाने की जानकारी देने के साथ ही सभी धर्मो से प्यार करने की शिक्षा दी जाएगी, ताकि वह आगे चलकर बच्चों को भी धर्म, वर्ग, भाषा, जाति आदि के आधार पर न बंटने और समाज में प्रेम-भाव पूर्वक रहने के लिए प्रेरित कर सकें।
एक दशक बाद बीटीसी प्रशिक्षुओं के पाठ्यक्रम में बदलाव किया गया है। राज्य शैक्षिक अनुसंधान प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) के निर्देशन में राज्य शैक्षिक संस्थान इलाहाबाद ने यह बदलाव हर स्तर पर किया है। मसलन पाठ्यक्रम का कुछ हिस्सा हटाया गया तो कुछ जोड़ा गया है। ऐसे ही सेमेस्टर प्रणाली में फेरबदल हुआ है। और तो और परीक्षा प्रणाली तक में आमूलचूल परिवर्तन कर दिया गया है। पहले मुख्य रूप से तीन सेमेस्टर होते थे, अब आठ हो गए हैं। यही नहीं बीटीसी के दो वर्षीय पाठ्यक्रम में कला, संगीत व शारीरिक शिक्षा जैसे विषय पहले अनिवार्य होते थे अब वे वैकल्पिक हो गए हैं। ऐसे ही सामाजिक अध्ययन विषय में अर्थशास्त्र का कुछ भाग जोड़ा गया है। खास बात यह है कि बदला पाठ्यक्रम बीटीसी बैच 2013 से ही प्रभावी हो गया है। यानी इसी वर्ष से इस पर अमल शुरू हो गया है।
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'बीटीसी के पाठ्यक्रम में व्यापक बदलाव हुआ है अभी फिलहाल इसे प्रथम सेमेस्टर से लागू किया गया है, आगे के सेमेस्टर के अनुरूप पाठ्यक्रम तैयार भी हो रहा है। शांति के पाठ से समाज में असर दिखेगा'
-आरएन विश्वकर्मा, प्रभारी राज्य शिक्षा संस्थान प्रारम्भिक शिक्षा विभाग इलाहाबाद।
खबर साभार : दैनिक जागरण
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