12 अक्तूबर से पहले बीएड में दाखिले वालों को राहत
१-हाईकोर्ट ने कहा- परीक्षा देने दें, लेकिन रिजल्ट पर रोक
२-सरकार की तरफ से कहा गया कि जिन्होंने ने पढ़ाई की उन्हें परीक्षा में बैठने का हक है
लखनऊ। हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने सूबे के विश्वविद्यालयों को निर्देश दिया है कि 12 अक्तूबर 2013 से पहले दाखिला लेने वाले स्टूडेंट्स को 4-5 अगस्त से शुरू होने वाली परीक्षा में प्रोेविजनली (अस्थायी रूप से) शामिल होने की इजाजत दी जाए। हालांकि अदालत ने कहा है कि अग्रिम आदेशों तक इनका परीक्षाफल घोषित नहीं किया जाएगा।
कोर्ट के इस आदेश से बीएड की पढ़ाई कर रहे उन विद्यार्थियों को फिलहाल राहत मिल गई है, जिन्हें परीक्षा में शामिल नहीं होने दिया जा रहा था। मामले की अगली सुनवाई 4 हफ्ते बाद होगी।
जस्टिस सुधीर कुमार सक्सेना ने शनिवार को यह आदेश अंकित कुमार व अन्य समेत दायर 31 याचिकाओं पर दिया। याचियों का कहना था कि वे विभिन्न कॉलेजों से बीएड कोर्स कर रहे हैं लेकिन 8 अक्तूबर 2013 के राज्य सरकार के शासनादेश का हवाला दे कुछ विश्वविद्यालय 12 अक्तूबर 2013 से पहले एडमिशन लेने वालों को परीक्षा में शामिल होने की इजाजत नहीं दे रहे हैं। साथ ही अदालत को बताया गया कि बुंदेलखंड, झांसी व लखनऊ विश्वविद्यालय ऐसे छात्रों को भी परीक्षा में शामिल होने की इजाजत दे रहे हैं। उधर, राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि जिन छात्रों ने दाखिला लेकर पढ़ाई की, उन्हें परीक्षा में बैठने का हक है। कोर्ट ने कहा कि चूंकि स्टूडेंट्स ने प्रवेश लिया, कोर्स करने में साल व धन खर्च किया, लिहाजा पहली नजर में यह दखल दिए जाने का मामला बनता है। अदालत ने इस टिप्पणी के साथ ऐसे विद्यार्थियों को परीक्षा में प्रोविजनली शामिल होने की इजाजत देने के निर्देश पक्षकार विश्वविद्यालयों को दिए।
साभार : अमरउजाला
१-हाईकोर्ट ने कहा- परीक्षा देने दें, लेकिन रिजल्ट पर रोक
२-सरकार की तरफ से कहा गया कि जिन्होंने ने पढ़ाई की उन्हें परीक्षा में बैठने का हक है
लखनऊ। हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने सूबे के विश्वविद्यालयों को निर्देश दिया है कि 12 अक्तूबर 2013 से पहले दाखिला लेने वाले स्टूडेंट्स को 4-5 अगस्त से शुरू होने वाली परीक्षा में प्रोेविजनली (अस्थायी रूप से) शामिल होने की इजाजत दी जाए। हालांकि अदालत ने कहा है कि अग्रिम आदेशों तक इनका परीक्षाफल घोषित नहीं किया जाएगा।
कोर्ट के इस आदेश से बीएड की पढ़ाई कर रहे उन विद्यार्थियों को फिलहाल राहत मिल गई है, जिन्हें परीक्षा में शामिल नहीं होने दिया जा रहा था। मामले की अगली सुनवाई 4 हफ्ते बाद होगी।
जस्टिस सुधीर कुमार सक्सेना ने शनिवार को यह आदेश अंकित कुमार व अन्य समेत दायर 31 याचिकाओं पर दिया। याचियों का कहना था कि वे विभिन्न कॉलेजों से बीएड कोर्स कर रहे हैं लेकिन 8 अक्तूबर 2013 के राज्य सरकार के शासनादेश का हवाला दे कुछ विश्वविद्यालय 12 अक्तूबर 2013 से पहले एडमिशन लेने वालों को परीक्षा में शामिल होने की इजाजत नहीं दे रहे हैं। साथ ही अदालत को बताया गया कि बुंदेलखंड, झांसी व लखनऊ विश्वविद्यालय ऐसे छात्रों को भी परीक्षा में शामिल होने की इजाजत दे रहे हैं। उधर, राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि जिन छात्रों ने दाखिला लेकर पढ़ाई की, उन्हें परीक्षा में बैठने का हक है। कोर्ट ने कहा कि चूंकि स्टूडेंट्स ने प्रवेश लिया, कोर्स करने में साल व धन खर्च किया, लिहाजा पहली नजर में यह दखल दिए जाने का मामला बनता है। अदालत ने इस टिप्पणी के साथ ऐसे विद्यार्थियों को परीक्षा में प्रोविजनली शामिल होने की इजाजत देने के निर्देश पक्षकार विश्वविद्यालयों को दिए।
साभार : अमरउजाला

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