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शिक्षामित्रोंकेसमायोजन पर सरकार से जवाब तलब : हाईकोर्ट ने कहा किस आधार शिक्षक बनाना चाह रही है सरकार

शिक्षामित्रों के समायोजन पर सरकार से जवाब तलब : हाईकोर्ट ने कहा किस आधार शिक्षक बनाना चाह रही है सरकार
१-प्रदेश सरकार ने 7 फरवरी 2013 को ही शिक्षामित्रों के समायोजन का शासनादेश जारी करने का निर्देश
२-हाईकोर्ट ने पूछा किस आधार पर शिक्षक बनाना चाह रही है प्रदेश सरकार
३-प्रदेश सरकार व शिक्षामित्र १९ जून तक रखें अपना पक्ष
४-सरकार आरटीई एक्ट २००९ और एनसीटीई की अधिसूचना की पैरा -4 के नियमों के अनुकूल हे रहा समायोजन
५-हाईकोर्ट से अनुरोध कि 7 फरवरी 2014 के समायोजन के शासनादेश पर रोक लगाई जाए
६-उधर शिक्षा मित्रों ने कोर्ट अपना सुनने के लिए दी थी अर्जी
७-शिक्षामित्रों को प्रशिक्षण देने का मामला भी कोर्ट में लम्बित है
८-30 मई 2011 के स्थगन आदेश के निस्तारण के लिए एकल खंडपीठ को भेजा
इलाहाबाद। सूबे में करीब पौने दो लाख शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षक बनाने के मामले को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। इस पर हाई कोर्ट ने प्रदेश सरकार से पूछा कि वह किस आधार पर शिक्षामित्रों को शिक्षक बनाना चाह रही है? हाई कोर्ट को दी गई याचिका में शिक्षामित्रों के समायोजन के लिए 7 फरवरी 2014 के शासनादेश पर रोक लगाने, उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा (अध्यापक) सेवा (19वां संशोधन) नियमावली 2014 और नि:शुल्क व अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार (प्रथम संशोधन नियमावली) 2014 पर भी रोक लगाने का अनुरोध किया गया है। उधर, शिक्षामित्रों ने भी कोर्ट से इस मामले में उनका पक्ष सुने जाने के लिए अर्जी दी। इस पर न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल ने मामले की सुनवाई करते हुए प्रदेश सरकार व शिक्षामित्रों से 19 जून तक अपना पक्ष रखने को कहा है।
बीटीसी प्रशिक्षु शिवम राजन ने शिक्षामित्रों के समायोजन को चुनौती देते हुए याचिका में बताया कि नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (एनसीटीई) ने 23 अगस्त 2010 को सहायक अध्यापक के लिए न्यूनतम योग्यता शिक्षक अर्हता के साथ ही टीईटी उत्तीर्ण होना अनिवार्य कर दिया था। इसके बाद मानव संसाधन मंत्रालय ने गाइडलाइन जारी किया कि अगर किसी राज्य सरकार को एनसीटीई के नियमों में कोई छूट चाहिए तो उसे केंद्र सरकार से अनुरोध करना होगा। लेकिन यूपी सरकार ने केंद्र से अनुमति लिए बिना 14 जनवरी 2011 को एनसीटीई को प्रस्ताव भेजा कि शिक्षामित्रों को बेसिक शिक्षक का प्रशिक्षण दिया जाएगा। एनसीटीई ने भी इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।
याचिका में यह भी बताया गया है कि शिक्षामित्रों को प्रशिक्षण देने के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका लंबित है। हाईकोर्ट की एकल पीठ ने पहले प्रशिक्षण पर रोक लगा दी थी, जिसके खिलाफ विशेष अपील हुई। 30 मई 2011 को स्थगन आदेश को रद्द करते हुए मामले को पुन: निस्तारण के लिए एकलपीठ के समक्ष भेज दिया गया।
साथ ही यह कहा कि शिक्षामित्रों के प्रशिक्षण का मामला एकल पीठ द्वारा याचिका पर दिए अंतिम निर्णय पर निर्भर करेगा। इसके बावजूद प्रदेश सरकार ने 7 फरवरी 2013 को शासनादेश जारी कर शिक्षामित्रों के समायोजन का निर्देश जारी कर दिया। कोर्ट में एनसीटीई के अधिवक्ता रिजवान अजी अख्तर ने भी एनसीटीई का पक्ष रखा।
शिक्षामित्रों के वकील अभिषेक श्रीवास्तव ने कहा कि सरकार आरटीई एक्ट 2009 के प्रावधानों और एनसीटीई की अधिसूचना के पैरा-4 के तहत शिक्षा मित्रों का समायोजन कर रही है, जो नियमानुकूल है। 

        साभार : अमर उजाला

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