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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

बेसिक शिक्षकों की वेतन विसंगतिया दूर : 30 दिन में चुनना होगा विकल्प -





बेसिक शिक्षकों की वेतन विसंगतियां दूर : 30 दिन में चुनना होगा विकल्प-
   १-30 दिन में चुनना होगा पदोन्नति या चयन तिथि से वेतन का विकल्प
    २-01 जनवरी 2006 से 01 दिसंबर 2008 के बीच पदोन्नति अथवा चयनित वेतनमान पाने वाले शिक्षकों को मिलेगा लाभ
    ३-शिक्षकों को 2000 से 3500 रुपये प्रतिमाह का हो रहा था नुकसान
    ४-सचिव बेसिक शिक्षा ने जारी किया शासनादेश
लखनऊ। राज्य सरकार ने बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूल के प्रधानाध्यापक और उच्च प्राइमरी स्कूलों के सहायक अध्यापकों की छठे वेतन आयोग समिति की संस्तुतियों के आधार पर वेतन विसंगतियां दूर कर दी हैं। शिक्षकों को 30 दिन के अंदर विकल्प देने का मौका दिया गया है। इस संबंध में सचिव बेसिक शिक्षा नीतीश्वर कुमार ने सोमवार को शासनादेश जारी कर दिया है।

प्राथमिक शिक्षक संघ ने 1 जनवरी 2006 के बाद पदोन्नति पाने वाले शिक्षकों को न्यूनतम मूल वेतन 17,140-18,150 का लाभ देने की मांग की थी। इसके आधार पर 1 जनवरी 2006 से 1 दिसंबर 2008 के बीच पदोन्नति अथवा चयनित वेतनमान पाने वाले शिक्षकों को पदोन्नति या चयन तिथि से वेतन विकल्प चुनने का अवसर देकर न्यूनतम 17,140-18,150 वेतन देने का रास्ता खोल दिया है।

मौजूदा समय प्राइमरी के प्रधानाध्यापक व उच्च प्राइमरी के सहायक अध्यापक को 4600 ग्रेड पे मिल रहा है। इसी तरह उच्च प्राइमरी के प्रधानाध्यापक को 4800 ग्रेड वेतन दिया जा रहा है। प्राइमरी स्कूलों में 1 जनवरी 2006 से पहले प्रधानाध्यापक बनने वाले को 4600 के ग्रेड वेतन पर न्यूनतम मूल वेतन 17,140 तथा 4800 पर 18,150 रुपये दिया जा रहा है। इसके बाद पदोन्नति पाने वालों को सरकार ने यह कहकर न्यूनतम वेतन का लाभ देने से मना कर दिया कि यह लाभ सीधी भर्ती के शिक्षकों के लिए है।

इसलिए जिनका निर्धारण छठे वेतनमान में सीधे 4600 अथवा 4800 ग्रेड वेतन में हुआ उनको न्यूनतम वेतन का लाभ दे दिया गया। जबकि 1 जनवरी 2006 के बाद पदोन्नति पाने वालों को 4200 से 4600 अथवा 4600 से 4800 में पदोन्नति हुए या चयन वेतनमान मिला उनको मात्र एक वेतन वृद्धि व ग्रेड वेतन के लाभ का अंतर दिया गया, जो न्यूनतम 17,140 व 18,150 से कम था। प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष लल्लन मिश्रा और वरिष्ठ उपाध्यक्ष दिनेश चंद्र शर्मा बताया कि इससे शिक्षकों को 2000 से 3500 रुपये प्रतिमाह का नुकसान हो रहा था। संघ की मांग पर किए गए निर्णय का उन्होंने स्वागत किया है।

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