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PURANI PENSION : पुलवामा आतंकी हमला, शहीदों के परिजनों को पुरानी व्यवस्था के तहत ही पेंशन

PURANI PENSION : पुलवामा आतंकी हमला, शहीदों के परिजनों को पुरानी व्यवस्था के तहत ही पेंशन


नई दिल्ली। पंकज कुमार पाण्डेय, पुलवामा में शहीद हुए अर्धसैन्य बलों के जवानों के परिजनों को पुरानी व्यवस्था के तहत ही पेंशन का लाभ मिलेगा। वर्ष 2004 के बाद ज्वाइन करने वाले जवानों के लिए पेंशन योजना में हुए बदलाव का इनपर कोई असर नहीं होगा। शहीद की पत्नी को जवान के आखिरी बेसिक पे के बराबर पेंशन जीवनपर्यंत दी जाएगी। शहीद की विधवा पत्नी को पूरी पेंशन देने की व्यवस्था है। जबकि जवान अगर अविवाहित हो तो उसके माता पिता को 70 फीसदी पेंशन मिलेगी। अगर माता पिता में से किसी एक का देहांत हो गया है तो पेंशन का लाभ 60 फीसदी तक मिलेगा। विधवा पत्नी के पुनर्विवाह के मामले में सामान्य पारिवारिक पेंशन की व्यवस्था 30 फीसदी तक है।


शहीदों के परिजनों को एलपीए

सीआरपीएफ के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि 2004 के पहले ज्वाइन करने वाले जवान हों या 2004 के बाद, हर जवान के परिजनों को लिब्रलाइज्ड पेंशन अवॉर्ड (एलपीए) मिलेगा। नई पेंशन स्कीम से इसका कोई सरोकार नहीं है। अधिकारियों के मुताबिक जवानों के साथ इस तरह की असाधारण परिस्थितियों में हुई घटनाओं के लिए असाधारण पेंशन नियम के तहत फैसले लिए जाते हैं। इसलिए अन्य नियम से कोई फर्क नहीं पड़ता। 

विसंगति का आरोप

पूर्व केंद्रीय सशस्त्र बल सैनिकों की ओर से पेंशन विसंगति का मामला जोर शोर से सरकार के सामने उठाया गया है। अर्धसैन्य बल के जवानों में भी पेंशन योजना को लेकर छटपटाहट है। वे चाहते हैं कि उन्हें सैन्य बलों की तरह ही सुविधा दी जाए। सरकारी सूत्रों ने कहा कि इस मसले पर अलग से विचार हो रहा है।

सेना की तरह सुविधा की मांग

अर्धसैनिक बल से जुड़े संगठनों की मांग रही है कि उन्हें सेना की तरह ही वन रैंक-वन पेंशन मिले। साथ ही जनवरी 2004 के बाद भर्ती होने वालों को लाभकारी पेंशन के बजाए नई स्कीम से जोड़ने का फैसला वापस लिया जाए। देश के लाखों जवान अर्धसैन्य बल के रूप में बीएसएफ, सीआरपीएफ, आईटीबीपी, एसएसबी, सीआईएसएफ और असम रायफल्स में देश की सेवा कर रहे हैं। 

क्या है पेंशन का मसला  
 
केंद्र सरकार की अंशदायी पेंशन योजना (एनपीएस)  के लागू होने से पहले अर्धसैन्य बल के जवानों के लिए लाभकारी पेंशन योजना लागू थी। इसमें कर्मचारी को अपने वेतन से कुछ नहीं देना होता था। सेवानिवृत्ति के बाद अंतिम माह में मिले वेतन का करीब 50 फीसदी पेंशन के रूप में मिलने लगता था। एनपीएस में मूल वेतन का करीब 10 फीसदी कर्मचारी को देना होता है और इतना ही पैसा सरकार भी देती है। इस धन को निवेश किया जाता है। अर्धसैन्य बल से जुड़े जवानों का कहना है कि उनकी पेंशन को बाजार जोखिम से जोड़ दिया गया है। ऐसे में उनको मिलने वाला लाभ तय नहीं है।

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