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MAN KI BAAT : आज "मन की बात" में "पेंशन गीत" के रूप में भाई अनुराग कुमार मिश्र के विचारों को जानें और समझें।

MAN KI BAAT : आज "मन की बात" में "पेंशन गीत" के रूप में भाई अनुराग कुमार मिश्र के विचारों को जानें और समझें।

"पेंशन गीत"

अभी नसों में दौड़ रहा है
अभी नसों में दौड़ रहा है
रक्त बहुत तूफानी
अभी नसों में दौड़ रहा है
रक्त बहुत तूफानी
चिंतित नही जरा भी है हम
ऐसी अपनी जवानी
अभी नसों में दौड़ रहा है
रक्त बहुत तूफानी
बहे पसीना ,प्यास लगेगी
मेहनत रंग है लानी
सपने सबके पूरे होंगे
जिद हमने भी ठानी
कुआ खोद के पी सकते है
कुआ खोद के पी सकते है
है लहू में इतनी रवानी
अभी नसों में दौड़ रहा है
अभी नसों में दौड़ रहा है
रक्त बहुत तूफानी।
दिन और रात ,करेंगे मेहनत
किंचित न घबराएंगे
हम अपने कर्तव्यमार्ग पर
सबकुछ आज लुटाएंगे
अग्निपरीक्षा भी दे करके
है अपनी आस बचानी
अभी नसों में दौड़ रहा है
रक्त बहुत तूफानी
अभी नसों में दौड़ रहा है
रक्त बहुत तूफानी।
अभी तलक एक पुत्र ही था मैं
अब बढ़ेगी आगे कहानी
पती पिता बन जीवनपथ पर
होगी रेल चलानी
मजबूरी कितनी भी हो
संकट कुछ भी आये
हमको बन स्तंभ लौह का
हमको बन स्तंभ लौह का
है ड्यूटी सभी निभानी
अभी नसों में दौड़ रहा है
रक्त बहुत तूफानी ।
आएगा जब मेरा बुढापा ,
बदन शिथिल हो जाएगा,
आएगा जब मेरा बुढापा ,
बदन शिथिल हो जाएगा,
नही बहेगा रक्त भी ऐसा
मन भी ये घबराएगा
कौन बनेगा मेरा सहारा,
ये दुनिया भी है बेगानी
बर्फ से भी शीतल होगी तब
आज की अपनी जवानी
अभी नसों में दौड़ रहा है
रक्त बहुत तूफानी-2 ।
अपने बच्चे मुँह मोड़ेंगे
अपने बच्चे मुँह मोड़ेंगे
कोई युक्ति काम न आनी
घोर निराशा घेरेगी तब
न रुकेगा आंख से पानी
रिश्ते कोई काम न आते
मुश्किल घड़ी बितानी
नही नसों में दौड़ेगा तब
रक्त भी ये तूफानी
नही नसों में दौड़ेगा तब
रक्त भी ये तूफानी ।

काश हमें भी मिल जाती तब
*पेंशन वही पुरानी*
काश हमे भी मिल जाती तब
*पेंशन वही पुरानी*
*पेंशन वही पुरानी*
गीत के रचयिता- *अनुराग कुमार मिश्र*
प्राथमिक विद्यालय *मुबारकपुर* खैराबाद सीतापुर उत्तर प्रदेश

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