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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

ALLAHABAD HIGHCOURT, SHIKSHAK BHARTI : ..तो निरस्त कर देते शिक्षक भर्ती परीक्षा

ALLAHABAD HIGHCOURT, SHIKSHAK BHARTI : ..तो निरस्त कर देते शिक्षक भर्ती परीक्षा


विधि संवाददाता, लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने 69 हजार सहायक शिक्षकों के भर्ती परीक्षा के संबंध में अधिकारियों के रवैये पर शुक्रवार को अदालत में कई बार सख्ता टिप्पणियां की। कोर्ट ने कहा कि लाखों अभ्यर्थियों के भविष्य का ख्याल न होता तो पूरी परीक्षा ही निरस्त कर देते। कोर्ट ने हैरानी जताई कि समझ नहीं आता कि राज्य सरकार के अधिकारी भर्ती प्रक्रिया पूरी कराना भी चाहते हैं अथवा नहीं। दरअसल, कोर्ट ने तय सिद्धांतों को अनदेखा कर छह जनवरी को लिखित परीक्षा होने के बाद नियमों में परिवर्तन कर उत्तीर्ण प्रतिशत तय किये जाने के विधिक औचित्य पर यह टिप्पणी की। साथ ही कोर्ट ने परीक्षा परिणाम पर गुरुवार को यथास्थिति बरकरार रखने संबधित आपने आदेश को 21 जनवरी तक बढ़ा दिया है। अब अगली सुनवाई 21 जनवरी को होगी।

यह आदेश जस्टिस राजेश सिंह चौहान की बेंच ने मो. रिजवान व अन्य समेत दर्जनों अभ्यर्थियों की करीब एक दर्जन याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान दिया।

याचियों ने राज्य सरकार की ओर से सात जनवरी को जारी उत्तीर्ण प्रतिशत तय करने संबधी नियम को चुनौती दी गई है। नए नियम के तहत सरकार ने 65 प्रतिशत सामान्य वर्ग के और 60 प्रतिशत आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों के लिए उत्तीर्ण प्रतिशत घोषित किया है। याचिकाओं में कहा गया है कि कि एक दिसंबर, 2018 को भर्ती के लिए जारी विज्ञापन में कोई उत्तीर्ण प्रतिशत नहीं तय किया गया था। राज्य सरकार के वकील सुनवाई के दौरान इस तर्क का जवाब नहीं दे सके कि पूर्व में हुई सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा में उत्तीर्ण प्रतिशत 45 व 40 प्रतिशत तय किया गया था तो इस बार लिखित परीक्षा के बाद सात जनवरी को अचानक 65 व 60 प्रतिशत क्यों तय कर दिया गया।

कोर्ट ने छह मार्च, 2018 को टीईटी 2017 परीक्षा के पुनमरूल्यांकन के संबंध में दिये आदेश का अब तक अनुपालन न किये जाने पर भी नाराजगी जताई। उल्लेखनीय है कि उक्त आदेश पर दो सदस्यीय खंडपीठ ने रोक लगा दी थी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने खंडपीठ के आदेश को इस आधार पर खारिज कर दिया कि एकल पीठ के समक्ष याचिकाएं दाखिल करने वाले सभी याचियों को सरकार की विशेष अपील में पक्षकार नहीं बनाया गया था। शीर्ष अदालत ने दो सदस्यीय खंडपीठ पीठ को मामले को पुन: सुनने को कहा था। सरकार ने दिसंबर 2018 तक याचियों को पक्षकार नहीं बनाया और न ही छह मार्च, 2018 के आदेश का अनुपालन किया, टीईटी 2017 की परीक्षा देने वाले शिक्षामित्रों के लिए सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा 2019 आखिरी मौका है।

... तो निरस्त कर देते 69 हजार शिक्षक भर्ती परीक्षा, परीक्षा सफलतापूर्वक कराने की अफसरों की मंशा पर कोर्ट ने लगाया सवालिया निशान

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