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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

MAN KI BAAT : प्राथमिक विद्यालयों के नाम में इस्लामिया जोड़कर रविवार के बजाय शुक्रवार को अवकाश रखे जाने की घटनाएं हैरतअंगेज हैं, उम्मीद की जानी चाहिए कि जांच एजेंसियां मामलों की गहराई में जाकर वास्तविक तथ्यों का..........

MAN KI BAAT : प्राथमिक विद्यालयों के नाम में इस्लामिया जोड़कर रविवार के बजाय शुक्रवार को अवकाश रखे जाने की घटनाएं हैरतअंगेज हैं, उम्मीद की जानी चाहिए कि जांच एजेंसियां मामलों की गहराई में जाकर वास्तविक तथ्यों का..........

🔴अराजकता की इंतिहा

देवरिया और गोरखपुर समेत कई जिलों में प्राथमिक विद्यालयों के नाम में इस्लामिया जोड़कर रविवार के बजाय शुक्रवार को अवकाश रखे जाने की घटनाएं हैरतअंगेज हैं।

चूंकि यह व्यवस्था कई जिलों के कई विद्यालयों में लागू थी, इसलिए इसे चूक मानकर नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। प्रारंभिक संकेतों से स्पष्ट है कि ऐसा सुनियोजित ढंग से जान-बूझकर किया गया। यह पूरी तरह आपराधिक कृत्य है। इसके लिए जिम्मेदार प्रधानाध्यापकों, शिक्षकों और अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए।

स्कूल के नाम और साप्ताहिक अवकाश दिवस में बदलाव किए जाने की मंशा और मानसिकता समझना कठिन नहीं है, पर यह साफ होना बाकी है कि प्राथमिक विद्यालयों की सामान्य व्यवस्था के साथ यह छेड़छाड़ किस स्तर की साजिश के तहत हुई। कुछ विद्यालयों के प्रकरण सामने आ चुके हैं यद्यपि तय होना शेष है कि इस अराजकता की जड़ें कहां तक फैल चुकी हैं।

प्रकट मामलों में पुलिस और कानून अपना काम करेंगे, पर बेहतर होगा कि एक स्वतंत्र जांच समिति के जरिए पूरे प्रदेश में ऐसे प्रकरण चिह्न्ति किए जाएं और इनके पीछे की साजिश का पर्दाफाश किया जाए। धार्मिक शिक्षा केंद्रों में अनुचित गतिविधियों की घटनाएं पहले भी उजागर हो चुकी हैं, पर सरकारी विद्यालयों की व्यवस्था में अराजक और मनमानी कार्यप्रणाली के उदाहरण पहली बार मिले हैं। इस पृष्ठभूमि में यह अनुमान लगाना कतई मुश्किल नहीं है कि ऐसे विद्यालयों में शिक्षा का माहौल कैसा होगा।

जांच एजेंसियों का दायित्व है कि इन मामलों में गिरफ्तार व्यक्तियों को रिमांड पर लेकर सख्ती से पूछताछ करें ताकि इस साजिश को पूरी तरह बेनकाब किया जा सके। इन मामलों में जितने व्यक्ति आरोपित किए गए हैं उसके प्रति किसी भी तरह का रहम नहीं दिखाया जाना चाहिए। आश्चर्य है कि स्कूलों के नाम और साप्ताहिक अवकाश दिवस में बदलाव किए जाने की भनक न शिक्षा विभाग को लगी और न स्थानीय पुलिस प्रशासन को। ऐसा प्रतीत होता है कि ग्राम इकाइयों के जन प्रतिनिधियों ने भी जाने-अनजाने इसे नजरअंदाज किया।

उम्मीद की जानी चाहिए कि जांच एजेंसियां मामलों की गहराई में जाकर वास्तविक तथ्यों का पता लगाने और इसके लिए जिम्मेदार व्यक्तियों को दंडित करवाने में सफल होंगी।

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