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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

MAN KI BAAT : बदतर शिक्षा व्यवस्था की निगरानी के लिए शिक्षकों और बच्चों की उपस्थिति का विवरण जुटाया जा रहा है, जिसमें इंटरएक्टिव वायस रिस्पांस सिस्टम (आइवीआरएस) के जरिये रोजाना स्कूलों में बच्चों और शिक्षकों की उपस्थिति का ब्योरा.......

MAN KI BAAT : बदतर शिक्षा व्यवस्था की निगरानी के लिए शिक्षकों और बच्चों की उपस्थिति का विवरण जुटाया जा रहा है, जिसमें इंटरएक्टिव वायस रिस्पांस सिस्टम (आइवीआरएस) के जरिये रोजाना स्कूलों में बच्चों और शिक्षकों की उपस्थिति का ब्योरा.......

प्रदेश के स्कूलों में पठन-पाठन की स्थिति बदतर है। इसे देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद प्रदेश के 1.59 लाख परिषदीय स्कूलों के बच्चों और शिक्षकों की दैनिक उपस्थिति पर नजर रखने का फैसला किया है। अब बेसिक शिक्षा विभाग बच्चों और शिक्षकों की उपस्थिति को निगरानी के लिए प्रस्तावित डिजिटल डैशबोर्ड पर प्रदर्शित करेगा। फिलहाल 1.59 लाख परिषदीय स्कूलों में से 1.09 लाख विद्यालयों से शिक्षकों और बच्चों की उपस्थिति का विवरण जुटाया जा रहा है। इंटरएक्टिव वायस रिस्पांस सिस्टम (आइवीआरएस) के जरिये रोजाना स्कूलों में बच्चों और शिक्षकों की उपस्थिति का ब्योरा सामने होगा।

परिषदीय स्कूलों में सबसे ज्यादा गड़बड़ियां सामने आती हैं। कहीं बच्चों के नामांकन के सापेक्ष उनकी उपस्थिति काफी कम रहती है, तो कहीं शिक्षकों के गायब रहने की शिकायत मिलती है। अन्य तरह की भी गड़बड़ियां सामने आती हैं। नतीजा है कि कहीं मिड डे मील में जमकर धांधली होती है तो कहीं ड्रेस, बस्ता, किताब, छात्रवृत्ति आदि का मामला सामने आता है। हाल ही में स्कूलों की तस्वीर पेश करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा भी था कि स्कूलों में 26 लाख से भी ज्यादा बच्चों की संख्या कम हो गई है। उनका यह कहना इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि स्कूली बच्चों की संख्या वास्तव में कम नहीं हुई है, बल्कि सरकारी स्कूलों की तरफ वे रुख नहीं कर रहे हैं। वर्तमान में बच्चों को शिक्षित करने और गुणवत्तापर्ण शिक्षा के प्रति अभिभावक जागरूक हो चुके हैं।

सरकारी स्कूलों की दशा-दिशा और उसमें पढ़ने वाले बच्चों के भविष्य को भी वे समझने लगे हैं। इसलिए यदि बहुत ज्यादा मजबूरी नहीं है तो वे अपने बच्चों को इन स्कूलों में भेजने से परहेज करने लगे हैं। हालात सुधारने के लिए जिलों में बैठे उच्च अधिकारियों को भी इन सब चीजों से कोई मतलब नहीं रहता है, वजह यही है कि उनके बच्चे इन स्कूलों में नहीं पढ़ते। कुल मिलाकर शासन से लेकर कोर्ट तक जो भी आदेश-निर्देश और योजना पठन-पाठन की दशा सुधारने के लिए सामने ला रहे हों, वे सभी निष्प्रभावी साबित हो रहे हैं। जबकि कमजोर नींव पर खड़ी यह भावी पीढ़ी भविष्य में प्रतिस्पर्धा करने लायक भी नहीं बचेगी। वस्तुत: मुख्यमंत्री ने एक पहल की है, देखना वाली बात होगी कि राजनीतिक के चंगुल से निकलकर यह पहल कितनी सफल होती है।

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1 Comments

  1. *📌 MAN KI BAAT : बदतर शिक्षा व्यवस्था की निगरानी के लिए शिक्षकों और बच्चों की उपस्थिति का विवरण जुटाया जा रहा है, जिसमें इंटरएक्टिव वायस रिस्पांस सिस्टम (आइवीआरएस) के जरिये रोजाना स्कूलों में बच्चों और शिक्षकों की उपस्थिति का ब्योरा.......*
    👉 http://www.basicshikshanews.com/2017/09/man-ki-baat_24.html

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