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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

PM, MDM : मोदी सरकार की कसौटी पर ‘मिड डे मील’, पहली से आठवीं तक के बच्चों के लिए चलाई जा रही इस योजना में धन के रिसाव को रोकने के लिए हाल ही में केंद्र सरकार ने इसमें आधार कार्ड लागू किया

PM, MDM : मोदी सरकार की कसौटी परमिड डे मील’, पहली से आठवीं तक के बच्चों के लिए चलाई जा रही इस योजना में धन के रिसाव को रोकने के लिए हाल ही में केंद्र सरकार ने इसमें आधार कार्ड लागू किया

मुकेश केजरीवाल, नई दिल्ली । देशभर के 11 लाख से ज्यादा सरकारी स्कूलों के 10 करोड़ से ज्यादा बच्चों तक पहुंच रही ‘मिड डे मील’ योजना अब मोदी सरकार की कसौटी पर है। सरकार ने दो दशक से ज्यादा पुरानी इस योजना की पहली व्यापक समीक्षा की प्रक्रिया शुरू कर दी है। अगले छह महीनों में यह तय किया जाएगा कि इस योजना को मौजूदा स्वरूप में जारी रखना है या नहीं।

मानव संसाधन विकास मंत्रलय के एक वरिष्ठ सूत्र के मुताबिक, ‘यह अपनी तरह की ऐसी पहली व्यापक समीक्षा होगी जिसमें यह देखा जाएगा कि यह कार्यक्रम वास्तव में अपने उद्देश्य और इससे संबंधित लक्ष्य को कितना हासिल कर पा रहा है।’ यूं तो इस बेहद महत्वाकांक्षी केंद्रीय योजना की नियमित समीक्षा के लिए कई व्यवस्थाएं की गई हैं। वर्ष 2009 से हर वर्ष मंत्रलय के साझा समीक्षा मिशन (जेआरएम) के तहत इसका आकलन किया जाता है। इसी तरह वर्ष 2014 में एक विशेष आकलन किया गया था। लेकिन, वह सिर्फ एक-दो राज्यों तक सीमित था। इस लिहाज से अब तक की सबसे बड़ी समीक्षा वर्ष 2010 में योजना आयोग ने की थी। लेकिन, ताजा समीक्षा का दायरा काफी व्यापक होगा। इसके लिए पेशेवर एजेंसी के चयन की प्रक्रिया चल रही है। इसे तीन महीने की अवधि में 20 राज्यों के 70 जिलों में जमीनी स्तर पर आंकड़े जुटाकर उनका विश्लेषण करना है। इसके लिए हर जिले में 40 स्कूलों का अध्ययन किया जाएगा। अगस्त तक इस प्रक्रिया को पूरा कर लेना है। इस समीक्षा के दौरान मिड डे मील योजना के हर पहलू और हर स्तर पर विचार किया जाएगा। देखा जाएगा कि केंद्र सरकार के खजाने से लेकर बच्चों की थाली तक सरकारी धन किस तरह पहुंच रहा है।

वास्तव में इस योजना से स्कूलों में बच्चों की संख्या और नियमित रूप से उनकी उपस्थिति बढ़ी या नहीं। योजना का एक बड़ा उद्देश्य बच्चों के पोषण की स्थिति को बेहतर करना था। इसलिए आकलन के दौरान यह भी आंका जाएगा कि उनके पोषण की स्थिति में कितना सुधार आ सका है। इसके अलावा सामाजिक एकीकरण के लिहाज से यह योजना कितनी मददगार साबित हुई है। इस लिहाज से स्कूलों में दलित, आदिवासी, अल्पसंख्यक आदि वर्गो के बच्चों की भागीदारी का आकलन किया जाएगा।

स्कूल की रसोई के साथ ही सेंट्रलाइज रसोई से बनकर परोसे जाने वाले खाने की गुणवत्ता भी देखी जाएगी। साथ ही इसे यह भी देखना है कि बच्चों को मिल रहा भोजन पर्याप्त और सुरक्षित है या नहीं और उन्हें यह पसंद कितना आता है। पहली से आठवीं तक के बच्चों के लिए चलाई जा रही इस योजना में धन के रिसाव को रोकने के लिए हाल ही में केंद्र सरकार ने इसमें आधार कार्ड लागू किया है।

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