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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

BOOKS : परिषदीय स्कूलों के 12 करोड़ किताबों का मुद्रण प्रकाशन फंसा, बिना किताबों के ही शुरू हो गया नया सत्र, पुरानी किताबों से पढ़ाई का आदेश, बेसिक शिक्षा की किताबों के टेन्डर में घपले का भी आरोप

BOOKS : परिषदीय स्कूलों के 12 करोड़ किताबों का मुद्रण प्रकाशन फंसा, बिना किताबों के ही शुरू हो गया नया सत्र, पुरानी किताबों से पढ़ाई का आदेश, बेसिक शिक्षा की किताबों के टेन्डर में घपले का भी आरोप

लखनऊ (डीएनएन)। परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले करीब एक करोड़ 80 लाख बच्चों में दी जाने वाली करीब 12 करोड़ पाठ्यपुस्तकों के मुद्रण प्रकाशन का कार्य अफसरों की लापरवाही की भेंट चढ़ गया है। पहले तो अफसरों ने किताबें छापने की प्रक्रिया शुरू करने में लेटलतीफी की। उसके बाद आचार संहिता और अन्य कारणों से मामला फंसा रहा। अब नया सत्र शुरू होने के 15 दिन बीतने के बाद भी किताबें छापने वाले प्रकाशक नहीं तय हो सके हैं। जिसकी वजह से किताबें छपाई का काम अटका हुआ है।

दरअसल, सर्व शिक्षा अभियान के तहत हर साल परिषदीय विद्यालयों, राजकीय, सहायता प्राप्त, मदरसों आदि में कक्षा एक से आठ तक के बच्चों को निशुल्क किताबें मुहैया कराई जाती हैं। लेकिन एक करोड़ 80 लाख बच्चों को दी जाने वाली तकरीब साढ़े 12 करोड़ किताबों को छापने की प्रक्रिया में इस बार भी जमकर लेटलतीफी की गई। नतीजा, 31 दिसंबर को टेंडर के लिए विज्ञाप्ति जारी कर प्रकाशकों से आवेदन मांगे गए। इसकी अंतिम तिथि 6 फरवरी निर्धारित की गई। इस दौरान उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव की वजह से आचार संहिता प्रभावित हो गई, जिससे काम रुक गया। बेसिक शिक्षा विभाग ने निर्वाचन आयोग से टेंडर खोलने की अनुमति भी मांगी। लेकिन उसमें भी काफी विलंब हुआ।

अब तक टेंडर प्रक्रिया ही नहीं पूरी : सात मार्च को खोली गई तकनीकी बिड में 15 में से 13 प्रकाशकों को अर्ह घोषित किया गया। उसके बाद विभाग ने दावा किया था कि बीते 28 मार्च को फाइनेंशियल बिड खोलकर प्रकाशकों से अनुबंध करते हुए 10 अप्रैल तक किताबें छपनी शुरू हो जाएंगी। लेकिन स्थिति यह है कि अब तक फाइनेंशियल बिड ही नहीं खोली जा सकी। विभागीय जानकारों की मानें तो टेंडर प्रक्रिया में कुछ शिकायत को लेकर मामला फंस गया है। जिसकी वजह से किताबें छापने की प्रक्रिया नहीं शुरू हो पाई।

डीआईओएस ने दो सदस्यीय कमेटी बनाकर दिए जांच के आदेश

पहले आचार संहिता से काम प्रभावित हुआ। उसके बाद तकनीकी बिड खुली तो कुछ शिकायतें आ गईं, जिससे फाइनेंशियल बिड नहीं खोली जा सकी। अब तक किताबें न छपने का यही कारण है। फिर भी हमारी कोशिश है जल्द किताबें छापने की प्रक्रिया शुरू हो जाए, ताकि जुलाई में बच्चों को किताबें मुहैया करा दी जाएं।
अमरेंद्र सिंह, पाठ्यपुस्तक अधिकारी उप्र

पुरानी किताबों से पढ़ाई का आदेश

विभाग की फजीहत न हो, इसके लिए पाठय पुस्तक अधिकारी अमरेंद्र सिंह ने फिलहाल पुरानी किताबों से ही पढ़ाई शुरू कराने के लिए कहा है। इस संबंध में उन्होंने बीएसए को निर्देश जारी किए हैं। जिसमें कहा है कि किताबों की छपाई में हो रही लेटलतीफी की वजह से पिछले साल की किताबों को जमा कराकर उसे छात्र-छात्राओं को दिया जाए, जिससे पढ़ाई शुरू हो सके। उन्होंने नई किताबें आने पर पुरानी किताबें वापस लेने के भी निर्देश दिए हैं।

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  1. 📌 BOOKS : परिषदीय स्कूलों के 12 करोड़ किताबों का मुद्रण प्रकाशन फंसा, बिना किताबों के ही शुरू हो गया नया सत्र, पुरानी किताबों से पढ़ाई का आदेश, बेसिक शिक्षा की किताबों के टेन्डर में घपले का भी आरोप
    👉 http://www.basicshikshanews.com/2017/04/books-12.html

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