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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

SCHOOL : शिक्षकों ने मिटाए शूल तो खिलने लगे फूल, प्राइमरी-जूनियर विद्यालय एमएम गेट कर रहा निजी स्कूल की बराबरी, शिक्षकों ने मिलकर सुधारा स्कूल का स्तर, दूसरे के लिए कायम की मिसाल

SCHOOL : शिक्षकों ने मिटाए शूल तो खिलने लगे फूल, प्राइमरी-जूनियर विद्यालय एमएम गेट कर रहा निजी स्कूल की बराबरी, शिक्षकों ने मिलकर सुधारा स्कूल का स्तर, दूसरे के लिए कायम की मिसाल

गौरव भारद्वाज, आगरा । परिषदीय स्कूल का नाम सुनते ही दिमाग में टूटा-फूटा भवन, जमीन पर बैठे बच्चे और अटक-अटक कर हंिदूी की किताब पढ़ने की तस्वीर सामने आती है। सालों से लाखों खर्च कर चल रहे सरकारी प्रयास भी इस तस्वीर को बदलने में कामयाब नहीं हो सके हैं, लेकिन इस अंधेरी हकीकत में ताजनगरी का एक स्कूल उम्मीद की नई रोशनी दिखा रहा है। कहने को यह भी परिषदीय स्कूल है, लेकिन बच्चों के पढ़ाई के स्तर से लेकर व्यवस्थाएं तक निजी स्कूलों से कहीं कमतर नहीं दिखतीं। यह सब मुमकिन हुआ है केवल शिक्षकों के समर्पण और प्रतिबद्धता से।

थाना एमएम गेट के बराबर एक छोटी सी गली में प्राथमिक और जूनियर विद्यालय चलते हैं। विद्यालय भवन को बाहर से देखने पर लगता है कि यहां भी अन्य सरकारी विद्यालयों की तरह होगा। मगर अंदर जाते ही लगा कि ये स्कूल कुछ अलग है। जगह कम थी, लेकिन अधिकांश बच्चे बैंच पर बैठे थे। जिनको बैंच नहीं मिली वो जमीन पर थे। सबकी साफ यूनीफार्म और गले में प्राइवेट स्कूल की तरह आइकार्ड लटका था।

प्राइमरी सेक्शन के प्रधानाध्यापक मुज्जमिल हुसैन ने बताया कि जब वो यहां आए थे तो स्कूल की स्थिति खराब थी। बच्चे स्कूल नहीं आते थे। उन्होंने प्रण लिया कि छात्र संख्या बढ़ाएंगे। इसके लिए वो घर-घर गए और बच्चों को स्कूल लाए। आज प्राइमरी विद्यालय में 92 छात्र हैं। इन बच्चों को पढ़ने में शिक्षिका पिंकी व सुनीता भी पूरा योगदान देती है। विद्यालय में शिक्षा का स्तर किसी भी प्राइवेट स्कूल से कम नहीं है।

सामान्य ज्ञान भी मजबूत, सबने दिए फटाफट जवाब: स्कूल की दीवारों पर कई वैज्ञानिकों के फोटो लगे हुए हैं। जब छात्रों से उन हस्तियों के बारे में पूछा तो फटाफट उनके बारे में बता दिया। प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और राष्ट्रपति के नाम सबको पता थे। कुछ बच्चों ने तो अमेरिका के नए राष्ट्रपति के बारे में भी बताया।

चार दिन नहीं आए तो शिक्षक घर पर: विद्यालय में लगातार बिना बताए चार दिन छुट्टी करने वाले छात्रों के घर पर शिक्षक जाते हैं। पिछले दिनों तीन छात्रओं ने स्कूल छोड़ दिया था, ऐसे में शिक्षक घर पहुंचे और अभिभावकों को समझाया। तब वो स्कूल आईं।

सबको स्वेटर और नए जूते: शिक्षकों ने बताया कि सभी लोग आपसी सहयोग और कुछ संस्थाओं के मदद से बच्चों की जरूरतों को पूरा करते है। सभी बच्चों को नए स्वेटर और नए जूते दिए गए हैं।

जूनियर में बढ़े छात्र

तीन साल पहले जूनियर विद्यालय में केवल 12 छात्र पंजीकृत थे। प्रधानाध्यापक फरहाना परवीन और सहायक अध्यापक शिव कुमार शर्मा ने आसपास की बस्तियों में जाकर लड़कियों को स्कूल जाने के लिए प्रेरित किया। अब उनके यहां 33 बच्चे हैं।

प्रधानाध्यापिका का कहना है कि उनके पास बच्चों को बैठाने की जगह नहीं है, इसलिए भी परेशानी होती है। बिजली, पानी की सुविधा मिले तो और छात्र बढ़ें।

छात्र संसद भी गठित: विद्यालय के सभी शिक्षकों का प्रयास है कि उनके यहां के बच्चे निजी स्कूलों के बच्चों से किसी भी स्तर पर कम न हो। इसके लिए स्कूल में छात्र संसद भी गठित की जाती है। कक्षा आठ की सुनैना छात्र संसद की प्रधानमंत्री और पदमा शिक्षा मंत्री है। सबको अपने दायित्व का निर्वहन करना होता है।

🌑 प्राइमरी-जूनियर विद्यालय एमएम गेट कर रहा निजी स्कूल की बराबरी

🔴 शिक्षकों ने मिलकर सुधारा स्कूल का स्तर, दूसरे के लिए कायम की मिसाल

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  1. 📌 SCHOOL : शिक्षकों ने मिटाए शूल तो खिलने लगे फूल, प्राइमरी-जूनियर विद्यालय एमएम गेट कर रहा निजी स्कूल की बराबरी, शिक्षकों ने मिलकर सुधारा स्कूल का स्तर, दूसरे के लिए कायम की मिसाल
    👉 http://www.basicshikshanews.com/2017/02/school.html

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