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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

MDM : जिम्मेदार बदले न बदली व्यवस्था, घटिया भोजन खिला रहीं एमडीएम संस्थाएं, मंत्री की जांच में भी बच निकला संचालक

MDM : जिम्मेदार बदले न बदली व्यवस्था, घटिया भोजन खिला रहीं एमडीएम संस्थाएं, मंत्री की जांच में भी बच निकला संचालक

लखनऊ। बेसिक शिक्षा अधिकारी के अन्तर्गत आने वाले मिड डे मील योजना को क्रियान्वित करने के लिए न तो अभी तक जिम्मेदार बदले गये और न ही व्यवस्था में बदलाव ही हो पा रहा है। शायद यही कारण है कि कागजों पर ही खाना बंटवाकर जिम्मेदार अपने कर्तव्यों से इतिश्री पा ले रहे हैं। मंगलवार को नारी शिक्षा निकेतन इण्टर कालेज में बंटे मिड डे मील की पड़ताल में पता चला कि छात्राओं को नाम मात्र का भोजन परोसकर ठेकेदार हजारों रुपये का बिल रोजाना बना रहे हैं। स्कूली छात्राओं ने बताया कि दाल में आरारोट मिलाने की वजह से यह गाढ़ी जरूर कर दी जाती है, लेकिन स्वाद नहीं आती, कभी-कभी तो इसकी वजह से पेट भी खराब हो जाता है। यही नहीं मंगलवार को बच्चों के लिए लाया गया चावल भी बेहद घटिया था।

गौरतलब है कि उन्मेष संस्था के संचालकों को उत्तर प्रदेश राज्य खाद्य एवं आवश्यक वस्तु निगम से चावल व गेहूं दिया जाता है, जो अच्छी क्वालिटी का होता है। आरोप है कि खाना वितरण कर रही संस्था उन्मेष के पदाधिकारी अवनीश पाण्डेय इसे खुले बाजार में बेच लेते हैं और घटिया चावल की आपूत्तर्ि करते हैं। चूंकि मिलीभगत के चलते कागजों पर ही इसकी क्वालिटी चेक की जाती है, ऐसे में संस्था के पदाधिकारियों को विभाग से खुली छूट मिली हुई है। कालेज में मिड डे मील भोजन कर रही बच्चियों ने खराब क्वालिटी की शिकायत की। छह से आठ तक के कुल 210 बच्चों के लिए मात्र बीस बच्चों का ही भोजन था। जैसे ही कुछ बच्चों ने इसे खाया वह खत्म हो गया, फिर क्या था कि संस्था उन्मेष के कर्मचारी मोबाइल पर चैटिंग करते हुए बर्तन बटोरकर चलते बने। बहरहाल इस बावत जिला समन्वयक आनन्द गौड़ से जब पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वह बीडीओ कार्यालय आए हैं, सम्बन्धित स्कूल व संस्था से जानकारी करके ही कुछ बता सकेंगे।

मंत्री की जांच में भी बच निकला संचालक

लखनऊ। नौनिहालों को मेन्यू के हिसाब से खाना न परोसने व घटिया खाना परोसने वाली संस्था उन्मेष व उसके संचालन अवनीश पाण्डेय की शिकायत पिछले दिनों तत्कालीन बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री वसीम अहमद से की गयी थी, जिसके बाद उक्त जांच को मध्यान्ह भोजन प्राधिकरण की तत्कालीन निदेशक सुश्री श्रद्धा मिश्रा को सौंपा गया था, लेकिन ऊंची पहुंच के चलते जांच दब गयी। कार्रवाई न होने से समिति के हौसले और बुलन्द हो गये और इसके बाद तो कई प्रधानाचायरे की शिकायतें भी कागज का पुलिन्दा साबित हुई।

बहरहाल अब एमडीएम के निदेशक हेमन्त कुमार बनाये गये हैं, जो तेज-तर्रार छवि के बताये जाते हैं। देखना यह है कि उक्त जांचों का अब क्या निष्कर्ष निकलता है।

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