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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

MAN KI BAAT : सरकारी सेवाओं के कर्मचारियों व अधिकारियों में लंबे समय तक मनचाही जगह पर टिके रहने की आदत पड़ गयी, इसी के परिणाम स्वरूप......

MAN KI BAAT : सरकारी सेवाओं के कर्मचारियों व अधिकारियों में लंबे समय तक मनचाही जगह पर टिके रहने की आदत पड़ गयी, इसी के परिणाम स्वरूप......

🔴 बनानी होगी नजीर

लंबे समय से एक ही जगह जमे खंड शिक्षाधिकारियों (बीईओ) को दूसरी जगह स्थानांतरित करने की शासन की नीति शत प्रतिशत सफल नहीं हो पायी। नये शिक्षा सत्र की शुरुआत में स्थानांतरित 96 खंड शिक्षाधिकारियों में से लगभग डेढ़ दर्जन ने नई जगह कार्यभार ग्रहण नहीं किया। इनमें से करीब पांच ने छह माह की जोड़तोड़ के बाद मनचाही जगह तबादला करा लिया है। करीब एक दर्जन ऐसे भी हैं जो अभी किसी संपर्क की बदौलत तबादला मनचाही जगह कराने की कोशिश में हैं। अब इन्हें अपने प्रयासों में सफलता मिल पाती है कि नहीं यह वक्त बतायेगा।

दरअसल उप्र की सरकारी सेवाओं के कर्मचारियों व अधिकारियों में लंबे समय तक मनचाही जगह पर टिके रहने की आदत पड़ गयी है। पुलिस, प्रशासन, चिकित्सा, शिक्षा या अन्य किसी विभाग का मामला हो सरकारी कर्मचारी मलाईदार पद पा जाने पर उसे किसी कीमत पर नहीं छोड़ना चाहते। कुछ को गृहजिले का मोह हो जाता है। कुछ कर्मचारी किसी जिले में घर बनवा लेते हैं इसलिए वो शहर नहीं छोड़ना चाहते। इनका जब तबादला होता है तो उसे रुकवाने के लिए धरती आसमान एक कर देते है।

कभी-कभी परिवारीजन की बीमारी को भी अचूक अस्त्र की तरह इस्तेमाल करते हैं। जब आसानी से बात नहीं बनती तो लंबे चिकित्सा अवकाश पर निकल जाते हैं। इन छुट्टियों में वे किसी न किसी जुगाड़ का सहारा लेकर तबादला रुकवाने या मनचाही जगह में कराने में कामयाब हो ही जाते हैं। इस दौरान सरकारी कार्य का कितना नुकसान हुआ इसकी इन्हें कोई परवाह नहीं रहती। इस बार दस साल से एक ही जगह जमे 96 खंड शिक्षाधिकारियों (बीईओ) को चिह्नित कर तबादले किये गये थे।

बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षकों की तर्ज पर विकासखंड मुख्यालयों में तैनात खंड शिक्षाधिकारियों का तबादला करने के लिए इस बार शासन के निर्देश पर नीति बनाई गई थी, लेकिन डेढ़ दर्जन से अधिक शिक्षाधिकारियों ने सरकार की मंशा पर पानी फेर दिया। इस प्रकरण से सबक लेकर सरकार को अपनी नीति को और कड़ा करना चाहिए। सरकारी सेवाओं में भी सेना जैसा अनुशासन होना चाहिए। सरकार में उच्च पदों पर बैठे लोगों को भी पहल करनी होगी।

उन्हें भी राज्य की मशीनरी को क्षेत्रवाद, जातिवाद के ऐनक से देखना बंद करना होगा। अनुचित सिफारिशों को न केवल नजरअंदाज करना होगा बल्कि ऐसी सिफारिशों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई भी करनी होगी। तभी ऐसी प्रवृत्तियों को रोका जा सकेगा।

  - साभार दैनिक जागरण सम्पादकीय पृष्ठ

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1 Comments

  1. 📌 MAN KI BAAT : सरकारी सेवाओं के कर्मचारियों व अधिकारियों में लंबे समय तक मनचाही जगह पर टिके रहने की आदत पड़ गयी, इसी के परिणाम स्वरूप......
    👉 http://www.basicshikshanews.com/2016/12/man-ki-baat_26.html

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