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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

CHILDREN, TEACHERS : दिखावे से सचेत हों शिक्षक, गरीब बच्चों की गुरबत पर गुरुजी की सेल्फी, बच्चों को फल बांटकर सोशल मीडिया पर फोटो कर रहे वायरल, सरकारी फलों से अपनी वाल पेपर सजा रहे हैं, परिषदीय स्कूलों के शिक्षक, सीधे-सीधे मानहानि के दायरे में फोटो डालने वाले शिक्षक एवं लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करेंगे - रेखा शर्मा एडवोकेट, अध्यक्ष जिला अभिभावक समिति।

CHILDREN, TEACHERS : दिखावे से सचेत हों शिक्षक, गरीब बच्चों की गुरबत पर गुरुजी की सेल्फी, बच्चों को फल बांटकर सोशल मीडिया पर फोटो कर रहे वायरल, सरकारी फलों से अपनी वाल पेपर सजा रहे हैं, परिषदीय स्कूलों के शिक्षक, सीधे-सीधे मानहानि के दायरे में फोटो डालने वाले शिक्षक एवं लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करेंगे - रेखा शर्मा एडवोकेट, अध्यक्ष जिला अभिभावक समिति।

राहुल सक्सेना, बुलंदशहर । ‘गुरु यानि भगवान’ संसार में गुरु को भगवान से बड़ा दर्जा दिया गया है। गुरुजी बच्चों की गरीबी का मजाक उड़ाएं तो यह भारतीय संस्कृति का ही उपहास है। जनपद के कुछ विद्यालयों में ऐसा किया जा रहा है। बच्चों के हाथ में रोटी सब्जी देने के अलावा फल पकड़ाकर उनकी फोटो खींची जाती है और यह फोटो सोशल मीडिया पर वायरल की जाती है। जबकि कोई भी शिक्षक इस तरह से बच्चों की बिना मर्जी के उनके फोटो खींचकर वायरल नहीं कर सकता है। यह सीधे-सीधे गरीबी की मजाक उड़ाना है। फेसबुक, वहाट्सएप और अन्य ग्रुपों पर बच्चों के खाना खाते, फल दिखाते फोटो खूब वायरल हो रहे हैं।

शासन ने बेसिक शिक्षा विभाग के प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में एक दिन फल वितरण करने के आदेश दिए थे। जनपद के अधिकतर स्कूलों में तो फलों का वितरण किया ही नहीं जा रहा है। कुछ स्कूलों में वितरण हो भी रहा है। परिषदीय स्कूलों के शिक्षक बच्चों के हाथ में फल देकर और भोजन पकड़ाकर उनके साथ खड़े होकर फोटो खींचते हैं। इसके बाद उन्हें सोशल मीडिया पर वायरल करते हैं। शिक्षकों में ऐसे फोटो वायरल करने की होड़ लगी हुई है।

यदि कुछ शिक्षक फोटो नहीं खिंचा पाते हैं तो वह सेल्फी खींचकर फेसबुक और वहाट्सएप के साथ अन्य ग्रुपों पर वायरल कर रहे हैं। शिक्षक अपने साथी शिक्षकों और फेसबुक फ्रेंड्स को ऐसे फोटो के माध्यम से वर्चस्व बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। बच्चे भी शिक्षक-शिक्षिकाओं के डर की वजह से फोटो खींचने के लिए मना नहीं करते हैं। कुछ जागरूक अभिभावक इसका विरोध भी कर रहे हैं, लेकिन उनकी कोई सुनने को तैयार नहीं है। नियम के अनुसार कोई भी शिक्षक बच्चों के फोटो बिना अनुमति के खींचकर वायरल नहीं कर सकता है।

लोगों का मानना है कि भले ही बच्चे गरीब हो, लेकिन सबका अपना सम्मान होता है। किसी भी व्यक्ति को किसी की गरीबी का मजाक उड़ाने का अधिकार नहीं है। गुरु जैसे पद पर बैठने के बाद तो यह बिलकुल भी शोभा नहीं देता है और न ही गुरु से इस तरह की कल्पना की जाती है। क्योंकि भारतीय संस्कृति में गुरु का दर्जा भगवान से भी बड़ा है।

ऊंचागांव के एक स्कूल में केला दिखाते बच्चे। अरनिया के एक स्कूल में सेब दिखाते बच्चे।परिषदीय स्कूलों में अधिकतर गरीब परिवारों के बच्चे शिक्षा ग्रहण करते हैं। उनके माता पिता भी ज्यादा जागरूक नहीं होते हैं।

🔴 नियमानुसार कोई भी शिक्षक सरकारी पैसे पर बच्चों को भोजन कराकर उनकी बिना मर्जी के फोटो वायरल करने का अधिकार नहीं है। यह सीधे-सीधे मानहानि के दायरे में आता है। अभिभावक समिति इसका विरोध करती है। इस तरह के फोटो डालने वाले शिक्षक एवं लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करेंगे।
- रेखा शर्मा एडवोकेट, अध्यक्ष जिला अभिभावक समिति।

🔵 शिक्षकों को केवल इस तरह के फोटो अपने शिक्षा विभाग के ग्रुप पर ही डालने चाहिए, जिससे अधिकारी मानिटरिंग कर सकें। ये फोटो बाहरी ग्रुप या फेसबुक पर डालने के लिए नहीं हैं। फेसबुक पर भी ऐसे फोटो डालना गलत है। इसका संगठन विरोध करेगा।
- सुरेन्द्र यादव, जिलाध्यक्ष प्राथमिक शिक्षक संघ।

🌕 बच्चों के फोटो फेसबुक या अन्य ग्रुपों पर डालना गलत है। विभाग का ग्रुप है उस पर फोटो डालने के आदेश दिए गए हैं। वह इसलिए बनाया गया है कि विद्यालयों में भोजन बन रहा है, फल वितरित हो रहे हैं या नहीं। शिक्षकों को चेतावनी दी जाएगी। यदि उसके बावजूद कुछ शिक्षक ऐसा करते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
- वेदराम बीएसए।


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  1. 📌 CHILDREN, TEACHERS : दिखावे से सचेत हों शिक्षक, गरीब बच्चों की गुरबत पर गुरुजी की सेल्फी, बच्चों को फल बांटकर सोशल मीडिया पर फोटो कर रहे वायरल, सरकारी फलों से अपनी वाल पेपर सजा रहे हैं, परिषदीय स्कूलों के शिक्षक, सीधे-सीधे मानहानि के दायरे में फोटो डालने वाले शिक्षक एवं लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करेंगे - रेखा शर्मा एडवोकेट, अध्यक्ष जिला अभिभावक समिति।
    👉 http://www.basicshikshanews.com/2016/09/children-teachers.html

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