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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

STRIKE : स्कूल बैग से परेशान दो छात्रों ने की प्रेस कांफ्रेंस, कहा- करेंगे भूख हड़ताल, हाई कोर्ट ने 2016 की शुरुआत में एक समिति की सिफारिशों के आधार पर महाराष्ट्र सरकार को स्कूली बच्चों के बस्ते का बोझ कम करने के दिशा-निर्देश जारी किए

STRIKE : स्कूल बैग से परेशान दो छात्रों ने की प्रेस कांफ्रेंस, कहा- करेंगे भूख हड़ताल, हाई कोर्ट ने 2016 की शुरुआत में एक समिति की सिफारिशों के आधार पर महाराष्ट्र सरकार को स्कूली बच्चों के बस्ते का बोझ कम करने के दिशा-निर्देश जारी किए

चंद्रपुर (महाराष्ट्र), प्रेट्र। विद्यालय के भारी बस्ते के बोझ से परेशान सातवीं कक्षा के दो छात्रों ने भूख हड़ताल करने की धमकी दी है। महाराष्ट्र में चंद्रपुर जिले के विद्या निकेतन स्कूल के इन छात्रों ने स्थानीय प्रेस क्लब में मीडिया से अपना दर्द साझा करने के दौरान यह चेतावनी दी। दरअसल, मंगलवार को चंद्रपुर प्रेस क्लब में जुटे पत्रकार तब अचंभित रह गए, जब स्थानीय स्कूल के दो छात्र आए और भारी बस्ते के कारण रोजाना होने वाली कठिनाइयों पर प्रेस कांफ्रेंस की इच्छा जाहिर की।

करीब 12 वर्षीय इन बच्चों ने कहा, हमें रोजाना आठ विषयों की 16 किताबें स्कूल ले जानी पड़ती हैं। कई बार यह संख्या 18 से 20 तक होती है। हमारा बस्ता पांच से सात किलो का होता है। उसे तीसरी मंजिल पर स्थित कक्षा तक ले जाना बहुत थकाऊ है। छात्रों ने बताया, हमारी रोजाना हर विषय की आठ कक्षाएं होती हैं। हम प्रत्येक विषय की किताबें लाते हैं। इसके अलावा कभी-कभी कुछ अन्य किताबों को भी लाने की जरूरत होती है।

छात्रों ने कहा कि उन्होंने प्रधानाचार्य को बस्ते का बोझ कम करने के लिए एक-दो बार प्रार्थना पत्र भी दिया, लेकिन उनकी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। विद्यालय प्रबंधन की ओर से किसी भी संभावित अनुशासनात्मक कार्रवाई पर दोनों छात्रों ने कहा, यह 'सिर्फ' हमारी मांग है। किसी अन्य समस्या का हमें पहले से पता नहीं है। यदि विद्यालय ने उनकी शिकायत का निवारण नहीं किया, के सवाल पर वे बोले, अपनी मांगें पूरी होने तक हम भूख हड़ताल पर चले जाएंगे।

हाई कोर्ट ने जारी किए हैं निर्देश

मुंबई हाई कोर्ट ने 2016 की शुरुआत में एक समिति की सिफारिशों के आधार पर महाराष्ट्र सरकार को स्कूली बच्चों के बस्ते का बोझ कम करने के दिशा-निर्देश जारी किए थे। हालांकि प्रदेश सरकार ने हाई कोर्ट को बताया था कि उन्होंने भी स्कूल के प्रधानाचार्यो और विद्यालय प्रबंधन को इनका पालन कराने की जवाबदेही तय की है।

सरकारी वकील के मुताबिक, सूबे के करीब 1.06 लाख विद्यालय इन निर्देशों का पालन करने को बाध्य हैं। हालांकि एक सवाल के जवाब में उन्होंने नकारात्मक लहजे में कहा, क्या छात्रों को भी इसके बारे में पता है। छात्रों को इस समस्या के समाधान के लिए कुछ अन्य विकल्प भी सुझाए गए थे।

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