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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

HIGHCOURT : राज्य चुनाव आयोग बताए, मतदाता सूची बनाने के लिए कौन है काबिल हाईकोर्ट, शिक्षकों से नगरपालिका चुनावों की वोटर लिस्ट बनबाने के खिलाफ दायर याचिका पर माँगा जबाब

HIGHCOURT : राज्य चुनाव आयोग बताए, मतदाता सूची बनाने के लिए कौन है काबिल हाईकोर्ट, शिक्षकों से नगरपालिका चुनावों की वोटर लिस्ट बनबाने के खिलाफ दायर याचिका पर माँगा जबाब

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश राज्य चुनाव आयोग से पूछा है कि मतदाता सूची बनाने के लिए वह किन लोगों को काबिल मानता है और क्या उनसे यह काम करवा सकता है?

शिक्षकों को पढ़ाना छोड़कर नगरपालिका चुनावों की मतदाता सूची बनाने में लगाए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर अदालत ने आयोग से यह बताने को कहा है। याचिकाकर्ता शिखर अग्रवाल ने याचिका में कहा था कि सूबे में सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को आगामी नगरपालिका चुनावों के लिए मतदाता सूची बनाने के काम में लगाया जा रहा है। इससे स्कूलों में पाठ्यक्रम पूरा नहीं हो सकेगा तथा सीधे तौर पर पूरी शिक्षा व्यवस्था को नुकसान होगा।

याचिका में आयोग और प्रमुख सचिव उप्र शहरी विकास विभाग को इस काम में शिक्षकों की ड्यूटी लगाने से रोकने का आदेश देने की गुहार लगाई गई थी। इसके जवाब में आयोग और प्रदेश सरकार की ओर से कहा गया कि इसके लिए उन्हें कानूनी अनुमति मिली हुई है।

सेवाएं लेना लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा

मतदाता सूची बनाना किसी भी चुनाव का सबसे मूल काम है, इसे रोका नहीं जा सकता। मतदाता सूची बनाने के लिए किसी की सेवा लेना लोकतांत्रिक प्रक्रिया का ही एक हिस्सा है।

इस प्रक्रिया में हर नागरिक की भागीदारी होती है, उन्हें इससे मुक्त नहीं किया जा सकता। नागरिकों में वे भी शामिल हैं जो सरकारी सेवा में कार्यरत हैं।
इस मामले में जस्टिस अमरेश्वर प्रताप साही और जस्टिस डॉ. विजय लक्ष्मी ने कहा कि उप्र नगरपालिका मतदाता सूची निर्माण व संशोधन नियमावली 1994 के नियम चार व छह के अनुसार मतदाता पंजीकरण अधिकारी चाहे तो ऐसे व्यक्ति से वार्ड की मतदाता सूची बनाने का काम ले सकता है जिसे वह इसके काबिल समझता हो।

मौजूदा मामले में भी आयोग ने नियम चार का ही उपयोग किया है, हालांकि नियमावली में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि आयोग किसे ‘काबिल व्यक्ति’ मान सकता है?
उप्र नगर निगम अधिनियम 1959 के सेक्शन 41 (11) के अनुसार आयोग अगर चाहे तो उन क्षेत्रों के लिए निर्देश जारी कर सकता है जिनके लिए प्रावधान स्पष्ट नहीं है।

जवाब दाखिल करने की जारी की समय सीमा

याचिका में शिक्षकों की नियुक्ति पर सवाल उठाया गया है जिन्हें ड्यूटी में लगाए जाने से शिक्षण व्यवस्था को नुकसान होने की बात कही गई है। ऐसे में कोर्ट को यह जानने में आयोग का सहयोग चाहिए कि वे ‘काबिल व्यक्ति’ कौन हो सकते हैं जो मतदाता सूची बनाएं।
अगर आयोग चाहे तो सेक्शन 41 (11) का उपयोग करते हुए योग्य व्यक्ति को परिभाषित कर सकता है। इसके लिए आयोग की ओर से समय मांगा गया, जिस पर हाईकोर्ट ने 7 अगस्त की तारीख निर्धारित की है।
निर्धारित हैं शिक्षकों के गैर-शैक्षिक कार्य हाईकोर्ट ने कहा कि आरटीई के सेक्शन 27 के प्रावधानों के अनुसार शिक्षकों को जनगणना, आपदा राहत और क्षेत्रीय, विधानसभा व लोकसभा चुनावों के अलावा किसी गैर-शैक्षिक कार्य में नहीं लगाया जा सकता।

संविधान राज्य चुनाव आयोग को अधिकार देता है कि वह पंचायत चुनावों के लिए जरूरत के अनुसार स्टाफ को नियुक्त करे। यह प्रावधान त्रिस्तीय पंचायत चुनाव के लिए है जबकि याचिका में शहरी व अर्द्धशहरी नगरपालिका चुनाव का मुद्दा उठाया गया है।

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