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मीना की दुनिया (Meena Ki Duniya) - रेडियो प्रसारण एपिसोड 65 । कहानी का शीर्षक - "अम्मा मेरी"

मीना की दुनिया (Meena Ki Duniya) - रेडियो प्रसारण एपिसोड 65 । कहानी का शीर्षक - "अम्मा मेरी"

मीना की दुनिया-रेडियो प्रसारण

एपिसोड-65

दिनांक-28/01/2016

आकाशवाड़ी केन्द्र - लखनऊ

समय 11 : 15 से 11 : 30 तक

आज की कहानी का शीर्षक- “ अम्मा मेरी”

 आज मीना के गाँव के स्कूल में बच्चों के माता-पिता का स्कूल की बहिन जी से मिलने का दिन है|

मीना- अरे बिंदिया! तुम्हारी अम्मा नहीं आयीं?...पर आज तो बहिन जी से सबके अम्मा बाबूजी के मिलने का दिन है|

बिंदिया- (हिचकिचाते हुए)बाबूजी तो यहाँ नहीं है.....और अम्मा...वो उनकी तबियत खराब है|

मीना- ...तो तुमने पहले क्यों नहीं बताया?....अरे बिंदिया! तू तो पढ़ाई में कितनी अच्छी है और चित्रकारी में तो तेरे जैसा क्लास में कोई दूसरा नहीं, फिर हर बात में इतना क्यों हिचकिचाती हो?

मीना की माँ आवाज लगाती है, ‘अरे मीना!’

मीना- अम्मा..बाबूजी....,बिंदिया मेरे अम्मा बाबूजी आ गए...चल मैं तुमसे कल मिलती हूँ|

     स्कूल दिवस पर बिंदिया के घर से कोई नहीं आया| गुमसुम उदास वह बाक़ी बच्चों के माँ-बाप को चुपचाप देखती रही......फिर कुछ देर बाद अपने घर को लौट गयी|

    उधर बिंदिया के घर पर ..........

बिंदिया की माँ- बिंदिया...ऐ बिंदिया, जरा एक बाल्टी पानी तो ले आ|

बिंदिया- लाई अम्मा|

   तभी मीना, बहिन जी के साथ वहां आ पहुँचती है|बिंदिया उनका परिचय अपनी माँ से कराती है|

मीना- (बिंदिया की माँ से) अब तबियत कैसी है आपकी चाची|

बिंदिया की माँ- तबियत, तबियत तो ठीक है मेरी|“कल आप हमसे मिलने स्कूल नही आयीं” बहिन जी जोड़ती हैं|

बिंदिया की माँ-..वो असल में बहिन जी, हम बहुत गरीब लोग हैं| बिंदिया के बाबूजी का पांच बरस पहले स्वर्गवास हो गया| हम घरों,दीवारों की रंगाई-पुताई करके,इधर-उधर से मेहनत मजदूरी करके दो बखत की रोटी कमाते हैं| बिंदिया पढ़ लेती है यही बहुत है|

“...और फिर बिंदिया तो क्लास में तो बहुत तेज़ है, इस बार इसने हर विषय में बहुत अच्छा किया|”बहिनजी ने बीच में टोका|

बिंदिया की माँ- बहिन जी हम छोटी जात के लोग हैं,बिंदिया तो अभी बच्ची है और हमारा स्कूल जाना किसी को अच्छा नहीं लगेगा|

बहिन जी- पर बहन हम लोग स्कूल में जात-पात,अमीरी-गरीबी नहीं मानते....आप स्कूल आओगी तो बिंदिया को भी हिम्मत मिलेगी| ये बहुत चुपचाप रहती है स्कूल में|

बिंदिया की माँ- स्कूल जाने की खुद मेरी हिम्मत नहीं होती बही जी| अच्छा वो सब छोडो ....पहली बार आयीं है आप हमारे घर, चाय बनाती हूँ आपके लिए|

   मीना घर के दीवारों की चित्रकारी के बारे में पूंछती है...तो बिन्दिया बताती है, ‘ ये सब मेरी अम्मा ने बनाई है|’

    मीना बहिन जी के कान में कुछ फुसफुसाती है|इतने में बिंदिया की माँ अन्दर से मुरमुरे लेकर आती हैं|

बहिन जी मुरमुरे खाते हुए कहती हैं, “हूँ..हूँ...हैं तो बहुत स्वादिष्ट ....अरे मीना! मुझे एक बात सूझी है, क्यों न बिंदिया और उसकी माँ मिलकर हमारी स्कूल की दीवारों पर इसी तरह के चित्र बना दे ...बहुत सुन्दर लगेगा|” बहिन जी आगे कहती हैं, “कल इतवार है, स्कूल की छुट्टी है सुबह से शुरु कर दो, मैं हेडमास्टर साहिबा से बात कर लेती हूँ, ठीक है ना|’’

बिंदिया की माँ- जैसी आपकी मर्जी बहिन जी|

   अगले दिन सुबह-सुबह बिंदिया और उसकी माँ ने स्कूल की दीवारों पर चित्रकारी शुरु कर दी|

       सभी गाँव वाले सरपंच जी के साथ चित्रकारी देखने आते हैं| सभी बिंदिया की माँ की चित्रकारी की तारीफ करते हैं, और बिंदिया की माँ से ये आग्रह भी करते हैं कि वह बच्चों को भी  चित्रकारी सिखाये|....मास्टर जी सुझाव देते हैं की बिंदिया की माँ चित्रकारी की क्लास में बच्चों को चित्र बनाना सिखाएगी|

बिंदिया की माँ- बहिन जी मुझे माफ कर दीजिये मई आपसे मिलने स्कूल कभी नहीं आयी, मुझे स्कूल आने में बड़ी झिझक होती थी|

बहिन जी- पर आपने देखा ...लोगों ने आपकी कितनी इज्जत की| स्कूल में जात-पात, अमीरी-गरीबी कुछ नही होती, अगर आप शामिल होंगी तो आप बच्चों की मदद कर सकेंगी| इन्हें बेहतर समझ सकेंगी| 

बहिन जी साथ में जोड़ती हैं,म “और इसके लिए हमें मीना का भी शुक्रिया अदा करना होगा|.....स्कूल की दीवारों पर चित्रकारी की बात मीना के ही मन में आयी थी|”

आज का गीत-

चलो चलो कदम कदम, रंग दो सबको अपने रंग|

  इस सड़क पर उस सड़क पर भागो दौड़ो दनादन||-२

आगे दूर जाना है’  बंद घरों को पाना है|

गाँव-गाँव शहर-शहर, सुबह शाम या दोपहर|

चलो चलो ......................

अम्मा का दुलार ले,पापा का हाथ थाम के|

डरना नहीं रुकना नहीं,देखो कभी झुकना नहीं|

चलो चलो......................

दुनियां को बताएंगे, बनके कुछ दिखलाएंगे|

हार जीत हो खुशी या ग़म,हँसते चलें हर कदम|

चलो चलो......................

आज का खेल- ‘नाम अनेक अक्षर एक’

         अक्षर-‘प’

व्यक्ति- पी० टी० उषास्थान- पटनापक्षी-  पपीहावस्तु- पतंग

आज की कहानी का सन्देश-

‘भेद-भाव और ऊँच-नीच को,दूर करे विद्यालय मेरा|

अमीर-गरीब संग सब बैठ खाएं,तभी मिटेगा,अशिक्षा का अँधेरा||

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1 Comments

  1. 📌 मीना की दुनिया (Meena Ki Duniya) - रेडियो प्रसारण एपिसोड 65 । कहानी का शीर्षक - "अम्मा मेरी"
    👉 http://www.basicshikshanews.com/2016/01/meena-ki-duniya-65.html

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