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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

मंत्री ने की 5वीं व 8वीं में बोर्ड परीक्षा की वकालत : चौथी तक ही बच्‍चों को पास किया जाए

मध्‍यप्रदेश के मंत्री ने की 5वीं व 8वीं में बोर्ड परीक्षा की वकालत : चौथी तक ही बच्‍चों को पास किया जाए

प्रतीकात्‍मक फोटो

भोपाल: देशभर में पांचवीं और आठवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा होने की संभावना है। मध्य प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री पारस जैन के सुझाव पर सेंट्रल एडवायजरी बोर्ड ऑफ एजुकेशन (कैब) की उप-समिति ने पांचवीं और आठवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा कराने की सिफारिश की है। केंद्रीय मंत्री परिषद को अब इस पर फैसला करना है। शिक्षा के स्तर में सुधार लाने के मकसद से बैठक में पांचवीं और आठवीं की बोर्ड परीक्षा कराए जाने पर चर्चा हुई।

चौथी तक ही बच्‍चों को पास किया जाए

राज्य के शिक्षा मंत्री पारस जैन ने सुझाव दिया कि मौजूदा अधिनियम के प्रावधान के अनुसार, कक्षा चौथी तक तो बच्चों को उत्तीर्ण किया जाता रहे, लेकिन कक्षा पांचवीं में बोर्ड पैटर्न पर परीक्षा कराई जाए। परीक्षा में अनुत्तीर्ण विद्यार्थियों को एक माह का समय देकर उनकी पुन: परीक्षा ली जाए। ऐसी व्यवस्था आठवीं कक्षा के लिए भी रहे।

शिक्षकों का उत्‍तरदायित्‍व तय किया जाए

जैन के अनुसार उप-समिति ने इस बात की भी अनुशंसा की है कि प्रत्येक कक्षा का लर्निग स्तर हो। शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए शिक्षकों का उत्तरदायित्व निर्धारित किया जाए। स्कूली पाठ्यक्रम भी समयानुसार पूरा हो, ताकि विद्यार्थी की स्कूल जाने की आदत बनी रहे। उप-समिति की बैठक में राजस्थान के स्कूल शिक्षा मंत्री वासुदेव देवयानी, उत्तराखंड के स्कूल शिक्षा मंत्री एम.एस. नाथानी और महाराष्ट्र के शालेय शिक्षा मंत्री विनोद श्रीधर तावडे ने भाग लिया। राजस्थान के शिक्षा मंत्री देवयानी उप-समिति के अध्यक्ष हैं।


चौथी कक्षा तक ही हो 'फेल न करने की नीति': महाराष्ट्र सरकार

प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर...

नयी दिल्ली: महाराष्ट्र ने छात्रों को ‘फेल ना करने’ की नीति में सुधार की सिफारिश करते हुए कहा है कि यह नीति चौथी कक्षा तक ही होनी चाहिए।

राज्य शिक्षा मंत्रियों की केंद्रीय शिक्षा परिषद की उप समिति की बैठक में महाराष्ट्र के स्कूली शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े ने कहा कि यह नीति चौथी कक्षा से आगे के लिए नहीं होनी चाहिए।

'5वीं से 8वीं कक्षा वालों को मिले एक और मौका'
हालांकि पांचवीं से आठवीं कक्षा तक नियमित परीक्षाएं होनी चाहिए। अगर छात्र परीक्षा में फेल होते हैं तो उन्हें एक महीने के भीतर दोबारा परीक्षा में बैठने का मौका दिया जाना चाहिए। अगर वे दोबारा परीक्षा में फेल होते हैं तो उन्हें उसी कक्षा में बनाए रखना चाहिए।


तावड़े ने वर्तमान नीति से निपटने के लिए टीचर्स को खास ट्रेनिंग दिए जाने पर भी जोर दिया।

दिल्ली और राजस्थान जैसे कई राज्यों ने नीति का विरोध किया है। नीति छात्रों से दबाव कम करने और उनके स्कूल छोड़ने को रोकने के लिए लायी गयी थी।

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1 Comments

  1. 🌹🚩नव वर्ष की पूर्व संध्या पर आप सब बन्धु-बान्धवों को "आज का प्राइमरी का मास्टर । बेसिक शिक्षा न्यूज" की पूरी टीम की तरफ से हार्दिक शुभकामनाएं ।
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