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मीना की दुनिया (Meena Ki Duniya) - रेडियो प्रसारण, एपिसोड- 45 । आज की कहानी का शीर्षक- “नाटक मण्डली”

मीना की दुनिया (Meena Ki Duniya) - रेडियो प्रसारण, एपिसोड- 45 । आज की कहानी का शीर्षक- “नाटक मण्डली”

मीना की दुनिया-रेडियो प्रसारण
एपिसोड- 45 
दिनांक-27/11/2015
आकाशवाणी केंद्र-लखनऊ ; समय-11:15am से 11:30am तक

आज की कहानी का शीर्षक- “ नाटक मण्डली”

आज मीना के स्कूल में क्रिकेट का मैच हो रहा है|
“मैच बहुत दिलचस्प मोड़ पर पहुँच चुका है| मीना की टीम को जीतने के लिए छः रन चाहिए लेकिन सिर्फ एक बॉल में| मोनू गेंद फेंकने के लिए तैयार और आख़िरी गेंद का सामना करेंगी मीना......”
मीना....मीना.....मीना.....मीना.....मीना....
“......और बॉल जा रही है सीमा रेखा के बाहर| और ये छक्का| और इसी के साथ मीना की टीम जीत गयी है| दीपू,सुमी,सुनील ने मीना को कन्धों पर उठा लिया है और वो सब मैदान का चक्कर लगा रहे हैं|”
मैच के बाद मीना की बहिन जी ने पूरी टीम को बधाई दी, ‘मीना,दीपू,रानो,सुनील,रोशनी तुम सबको बहुत-बहुत बधाई|.......बच्चों मुझे तुम पाँचों से एक बहुत जरूरी काम है|...दरअसल हमारे गाँव में एक नाटक मंडली आयी हुई है और आज शाम को वो लोग यहीं इसी मैदान में एक नाटक प्रस्तुत करना चाहते हैं|’
सभी बच्चे ये सुनकर खुशी से उछल पडते हैं|
बहिन जी आगे कहती हैं, ‘मैंने ये एक सूची तैयार की है जिसमे वो सब काम लिखे हैं जो तुम आपस में बाँटकर कर सकते हो| लेकिन......|
“लेकिन क्या बहिन जी?” रोशनी बोली|
बहिन जी- रोशनी मैं सोच रही हूँ कि ये सब करने में कहीं तुम्हारे मैच का अभ्यास ना छुट जाए|
मीना- कोई बात नही बहिन जी, अगली मैच तो बहुत दूर है|
बहिन जी- ठीक है मीना,ये लो सूची|
मीना सूची पढ़ती है- पहला काम...गाँव के सभी लोगों को नाटक के बारे में बताना और उन्हें नाटक देखने के लिए आमंत्रित करना|
दूसरा काम...स्कूल के मैदान को रंग-बिरंगी कागजों से सजाना|
तीसरा काम...सभी दर्शकों के बैठने के लिए कुर्सियों,बैंच आदि लगाना|
बहिन जी तब तक उर्मिला जी से मिलने चली जाती हैं| उर्मिला जी नाटक मंडली की प्रधान हैं| बहिन जी उर्मिला जी को बताती हैं, “....शाम की तैयारी के लिए कुछ बच्चों को वो काम सौंप दिये हैं| मुझे पूरा विशवास है कि वो जल्द ही सभी तैयारियां कर लेंगे|”
नाटक शाम को सात बजे शुरु होना था| बहिनजी चार बजे के आस-पास स्कूल पहुँची| ये देखने कि मीना और उसके दोस्तों ने सभी तैयारियां ठीक से की हैं या नही| लेकिन वहाँ पहुँच के बहिन जी हैरान रह गयीं|
“ह्ह्ह बात करनी तो आती नही,चली हैं लोगों को आमंत्रित करने|” दीपू ने ताना मारा|
“दीपू तुम अपने आप को देखो....”
“क्या हुआ? हो गयी सजावट|”
“.....इन्हें बस बातें करना ही आता है”
मीना झल्लाई, ‘दीपू,रानो,सुनील,रोशनी अगर हम एक दुसरे को दोष देते रहेंगे तो नाटक की तैयारियां कैसे करेंगे?’
बहिन जी तैयारियों की प्रगति पूंछती हैं|
मीना- ‘मैं बताती हूँ बहिन जी, रानो गाँव में सब लोगों को नाटक के लिए आमंत्रित करने गयी थी लेकिन....|
“बहिन जी, वो मैं बात करने मैं शर्माती हूँ न इसीलिये मैं किसी को भी गाँव से आमंत्रित नही कर पायी|” रानो ने जबाब दिया|...आमंत्रित कर भी लेती तो क्या होता? ....क्योंकि दीपू और सुनील से सजावट ही नहीं हो पायी|
दीपू बोला- हमें पता ही नहीं था कि कैसे रंग के कागज़ से सजावट करनी है?...और हम सजावट कर भी लेते तो क्या होता? मीना और रोशनी ने कुर्सियां ही नहीं बिछायीं| गाँव वाले यहाँ आकर किस पर बैठते?
“ये बैंच इतने भारी थे कि हमसे उठे ही नहीं|.....और आप ही बताइए हम क्या करते?” रोशनी ने जबाब दिया|
बहिन जी- एक मिनट...एक मिनट...एक मिनट....शांत हो जाओ सब लोग| मीना तुम ठीक से बताओ,आखिर हुआ क्या?
मीना सारी बात बताती है, ‘बहिन जी आपके कहने पर हमने तीनों काम बाँट लिए थे| रानो गाँव वालों को आमंत्रित करने गयी| दीपू और सुनील ने सजावट की जिम्मेदारी ली और....रोशनी और मैंने कुर्सियां और बैंचे बिछाने का जिम्मा लिया| लेकिन कोई भी काम नहीं हो पाया|’
बहिन जी समझाती हैं, ‘बच्चों तुमने काम तो आपस में बाँट लिए लेकिन तुम ये भूल गए कि अलग-अलग लोगों में अलग-अलग क्षमताएं और अलग-अलग कमियां होती हैं| यानी कुछ लोग उसी काम को बहुत अच्छे से कर सकते हैं जबकि कुछ लोग उसी काम को ठीक से नहीं कर पाते|....तुम सब एक ही क्रिकेट टीम में हो ना और तुम्हारी टीम हर बार जीतती भी है, है ना| कभी सोचा है क्यों? क्योंकि तुमने अपने-अपने काम बिलकुल सही ढंग से बाँटे हुए हैं| मीना, दीपू अच्छी बल्लेबाजी कर लेते हैं इसीलिये वो दोद्नो पारी की शुरुआत करते हैं| रानो,रोशनी बहुत तेज भाग सकती हैं इसलिए उन्हें सीमा रेखा के पास फील्डिंग करने को कहा जाता हैं| सुनील बहुत फुर्तीला है इसलिय ये विकेट कीपर है| तुम सबको अच्छी तरीके से मालुम है कि किस खिलाड़ी में क्या क्षमता है और क्या कमी? 
मीना बोली- मैं समझ गयी बहिनजी, हमें ये तीनो काम भी अपनी क्षमताओं और कमियों के आधार पर बांटने चाहिए थे|......जैसे कि हम सब जानते हैं कि रानो दूसरों से बात करने में थोडा झिझकती है तो हमें उसे गाँव वालों को आमंत्रित करने नहीं भेजना चाहिए था|
बहिन जी- बिलकुल ठीक|
दीपू ने कहा, ‘हाँ बहिन जी, नाटक का निमंत्रण देने सुनील और मीना को जाना चाहिए था क्योंकि दोद्नो किसी से बात करने बिलकुल नहीं झिझकते|
बहिन जी- तुम ठीक कह रहे हो दीपू|...रोशनी तुम बताओ कुर्सियां और बैंच बिछाने की जिम्मेदारी किसको दी जानी चाहिए थी?
रोशनी- हाँ...दीपू को..|क्योंकि दीपू बहुत ताकतवर है|
“बहिन जी मैं कुछ कहूँ” रानो ने पूँछा| ‘सजावट की जिम्मेदारी रोशनी और मुझे मिलनी चाहिए थी क्योंकि हम दोनो को कला में विशेष रुचि है|’
बहिन जी- बिलकुल सही|
“नाटक शुरु होने में अभी घंटे का समय है| सुनील और मैं सभी गाँव वालों को आमंत्रित कर आते हैं| तब तक दीपू कुर्सियां और बैंच बिछा लेगा| रानो और रोशनी सजावट कर लेंगी| मैंने ठीक कहा न दोस्तों|” मीना बोली|
सभी चिल्लाये....बिलकुल ठीक| और शाम को सात बजे.......
उर्मिला जी- बहिन जी मैं इन बच्चों को धन्यवाद कहना चाहती हूँ क्योंकि सभी की मेहनत के कारण ये नाटक शुरु हो सका|
मीना बोली- उर्मिला दीदी,धन्यवाद तो हमें कहना चाहिए बहिन जी का| क्योंकि बहिन जी ने ही हमें समझाया कि एक मजबूत टीम कैसे बनाई जाती हैं| वरना गाँव वाले आज नाटक में हम पाँचों की लड़ाई देख रहे होते| 
सब हँस पड़ते हैं|

आज का गाना- 

इतना मत सोचो अक्ल पे जोर नहीं दो ज्यादा
खुशी बांटने से बंटती है गम हो जाये आधा
दिल पे मत रख दिल की बात
बाँट ले दोस्तों के साथ
जब बैठोगे साथ में मिलके सुनोगे जब सबकी बात
जब ढूंढोगे मुश्किल का हल
तो उलझन झट से सुलझ जायेगी
बातों-बातों में बात बन जायेगी-२
सुनी सुनायी बातों में तुम कभी न देना ध्यान
सोच के लेना फैसला रख खुले आँख और कान
हर एक खबर पे आँख गढ़ाके
उत्तर समझाना ठोक बजाके
तभी बनेगी सोच सटीक
तभी करोगे निर्णय ठीक
बातों-बातों में बात बन जायेगी-२

आज का खेल- ‘अक्षरों की अन्त्याक्षरी’

शब्द-‘नमक’
• न- नाक (नाक पे मक्खी न बैठने देना)
• म- मुंह (मुंह की खाना)
• क- कान (कान पकड़ना यानी अपनी गलती 
मानना)

आज की कहानी का सन्देश- 

“मुश्किल नहीं काम कोई भी बात ये तुम सब जानो|
खुद अपनी-अपनी ताकत और कामों को पहचानो|”

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