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मीना की दुनिया (Meena Ki Duniya) रेडियो प्रसारण एपिसोड 44 । कहानी का शीर्षक - "चंदा मामा दूर के"

मीना की दुनिया (Meena Ki Duniya) रेडियो प्रसारण एपिसोड 44 । कहानी का शीर्षक - "चंदा मामा दूर के"

 एपिसोड- 44

कहानी का शीर्षक- “ चंदा मामा दूर के”


मीना के माँ,राजू और मीना को कहानी सुना रहीं हैं, “.....फिर चंदा मामा उनके घर आये और उन दोनों भाई बहिन को चाँदनी में लिपटी किताबें दे गए...फिर उन दोनों ने खूब मन लगाकर पढ़ाई की|

“माँ, कितने अच्छे दिन हैं न...चंदा मामा” मीना बोली, “माँ वो वाली कविता सुनाओ न....चंदा मामा की|”

मीना की माँ कविता सुनाती हैं,

                 “ चंदा मामा दूर के,    पुए पकाये बूर के|

आप खाएं थाली में, राजू को दें प्याली में|

प्याली गई.......................................”




      मीना और राजू कहानी सुनते-सुनते सो गये| अरे! लगता है मीना आँख लगते ही सपनों की दुनियां में पहुँच गयी और वहां मीना ने मिलने कोई बहुत ही खास आया है|

मीना- चंदा मामा! जानते हैं, मैं आपको याद ही कर रही थी और आप आ गए|

चंदा मामा- हूं....अच्छा बताओ..तुम्हारा आज का दिन कैसा रहा?

मीना- अच्छा था,....और हाँ जानते हैं चंदा मामा, बापू मेरे लिए नए जूते लेकर आये हैं|

चंदा मामा- ह्ह्ह...अच्छा, लगता है नए जूते पाके तुम बहुत खुश हो|

मीना- हाँ चंदा मामा, बहुत सुन्दर जूते हैं|

चंदा मामा- मीना आज मैंने सोचा कि मीना इतनी अच्छी बच्ची है तो क्यों न मैं..मीना को एक तोहफा दूँ| ......मीना, जो भी तुम्हारी एक इच्छा हो उसे मांग लो और मैं उसे पूरी कर दूँगा|

   

       मीना बहुत सोच-विचार करती है कि उसके पास बहुत प्यार करने वाले माँ बाबा है,खेलने के लिए रानो,सुमी,...बहुत सारे दोस्त हैं, राजू और मिठ्ठू हैं, स्कूल भी बहुत अच्छा है....बहिन जी भी बहुत प्यार करतीं हैं.......माँगू तो क्या माँगू?

चंदा मामा- तुम अच्छी तरह सोच लेना, मैं कल फिर आऊँगा ...तब माँग लेना|

“ठीक है चंदा मामा|”, मीना ने कहा|


       आज तो मीना सुबह-सुबह बहुत खुश लग रही है|

मीना- माँ..... कल रात सपने में चंदा मामा आये थे| उन्होंने कहा कि वो मेरी कोई भी एक इच्छा पूरी करेंगे|

माँ- जानती हो मीना, चंदा मामा सिर्फ बहुत अच्छे बच्चों के सपने में आते हैं| उनसे जो भी मांगना हैं न ...खूब सोच-समझ के मांगना|

       मीना,राजू और मिठ्ठू के साथ स्कूल को निकल पड़ती है|

राजू मीना से पूंछता है, ‘मीना, माँ तुझे जो कह रही थी वो सच है, चंदा मामा वाली बात...|’

“हाँ...बिलकुल सच है, ..क्यों?” मीना ने कहा|

राजू- तेरे सपने में ही चंदा मामा क्यों आये? माँ तो कहती है कि मैं भी अच्छा बच्चा हूँ|

मीना- राजू थोडा इंतज़ार कर ले...मैं बड़ी हूँ न इसीलिए चंदा मामा पहले मेरे सपने में आये|

राजू- अच्छा मीना, मैं बताता हूँ तू सपने में क्या मांग?...मोनू के पास वो चाबी से चलने वाला ट्रक हैं न.... वो|


        आज तो रास्ते भर ये बच्चे चंदा मामा से क्या मांगें? इसी सोच में लगे हैं| अरे! बातों-बातों में ये क्या हो गया?

मीना- ही..छी...ये क्या लग गया मेरे जूतों में?

राजू- उंह हूं ....कितनी बदबू आ रही है,लगता है यहाँ पे किसी ने खुले में शौच किया था...जूते पे लग गया........मीना वो सूखी पत्तियां हैं न उससे साफ कर ले|

मीना- नहीं राजू, यहाँ तो पानी तक नही है हाथ धोने के लिए| याद है बहिन जी ने क्या बताया था? पहले हमें खुले में शौच नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से कीटाणु फैलते हैं, अगर हमारे हाथ गंदे हैं तो हम बीमार पड़ सकते हैं|

पहले मुझे जूतों को अच्छी तरह धोना होगा और उसके बाद अपने हाथ साबुन से रगड़-रगड़ के धोने होंगे|

“छीं... मेरे जूते|” मीना आगे बोली|

राजू- एक काम करते हैं, सरपंच काका का घर यहाँ से पास ही है वहां चलें|

“अरे! हाँ,सरपंच काका के घर के बाहर हैंडपंप भी लगा है, चलो....|” मीना बोली|


सरपंच काका- मीना बेटी....क्या हुआ?

     मीना सारी बात बताती है|

“...आ मीना बेटी, मैं हैंडपंप चलता हूँ तू धो ले|” सरपंच काका ने कहा|

राजू- लेकिन गाँव वाले खुले में शौच करते क्यों हैं?

मीना- गाँव वाले भी क्या करें? सबके घरों में तो शौचालय है नहीं|

सरपंच काका- पर खुले में शौच को जाना न तो सही है न ही सम्मानजनक|

मीना- ..और काका सांप या बिच्छू किसी के भी काटने का डर रहता है|....काका मैं वो साबुन हाथ धोने के लिए ले लूँ?


     राजू मीना को सलाह देता है कि वो अपने लिए नए जूते मांग ले|

और उसी दिन शाम को.....

मीना की माँ- अरे! मीना सो भी गयी इतनी जल्दी|

      माँ मीना के सर पर प्यार से हाथ फेर कर चली गई और उधर मीना के सपने में चंदा मामा आ गए|


चंदा मामा- क्यों मीना? लगता है तुमने सोच लिया..तुम्हें क्या चाहिए?

मीना- हाँ चंदा मामा, मैं चाहती हूँ हमारे गाँव में सबके घर में शौचालय हो और सब इसी का इस्तेमाल करें|

“तुमने ये ही क्यों माँगा?...मीना|” चंदा मामा ने पूँछा|

मीना- चंदा मामा, लोग हमारे गाँव में खुले में जाते है, अगर सबके पास शौचालय होगा तो सभी उसका इस्तेमाल करेंगे फिर बीमारियाँ भी नहीं फैलेंगी|

...क्या आप मेरी ये इच्छा पूरी करोगे?

चंदा मामा- ह्ह्ह...जरूर पूरी होगी|

        फिर सुबह हो गयी मीना,राजू और मिठ्ठू के साथ स्कूल चली और आज तो कमाल हो गया..रास्ता साफ-साफ दिखाई दे रहा था|

“देखा..मैंने कहा था न , अब कोई खुले में नही बैठेगा| चंदा मामा ने तो.....|” मीना अपनी बात पूरी कर पाती कि राजू बोला, “इधर-इधर मीना....छी, वहां तो आज भी गन्दगी है| और देखो वहां कुछ बच्चे भी...हूं ....मीना चंदा मामा ने तो कुछ नहीं किया|”

         मीना उदास हो गयी| उसे लगा चंदा मामा ने अपना वादा पूरा नही किया यही सोचती-सोचती मीना अपने स्कूल पहुँची|

बहिन जी- बच्चों, देखो हमसे कौन मिलने आया है? गाँव के सरपंच जी और वो तुम सबसे कुछ कहना चाहते हैं|

सरपंच जी- ...प्यारे बच्चों, पंचायत बहुत दिनों से सोच रही थी कि गाँव वाले खुले में शौंच न करें क्योंकि ऐसा करने से बीमारियाँ फैलती हैं न...|

    मीना, राजू भी अपनी बात रखते है|

बहिन जी- हाँ बच्चों, मीना और राजू ने बिलकुल ठीक कहा| एक और जरुरी बात.....खुले में शौच जाने के लिए हम घरों से बहुत दूर जाते हैं| अगर हम घर पर या स्कूल में शौचालय का प्रयोग करते हैं तो सुरक्षित रहते हैं और हर तरह की मुश्किल से बचे रहते हैं|

       सरपंच जी घोषणा करते हैं कि पूरे गाँव में शौचालय बनाये जायेंगे और पहला शौचालय बनेगा हमारे स्कूल में|

   चंदा मामा फिर से मीना के सपने में आये,

“ह्ह्ह...मीना मैंने वादा किया था और उसे पूरा भी किया|”


आज का गाना-

खुल्ले में नहीं जाना है,

सबको आज बताना है|

घूम-घूम के दौड़-दौड़ के,

सबको ये समझाना है|

खुल्ले में नहीं जाना है

खुल्ले में नहीं जाना है|

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हो कोई बिटिया जादू की पुड़िया,

बच्चे बड़े या घर की बुढ़िया

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खुल्ले में नहीं जाना है|-२


आज का खेल- ‘नाम अनेक अक्षर एक’

       अक्षर- ‘म’

 व्यक्ति- ममता बनर्जी

 जगह-  मुंबई (महाराष्ट्र)

 जानवर- मोर (राष्ट्रीय पक्षी)

 वस्तु- मंजन

आज की कहानी का सन्देश-

‘खुले में न शौच करें

फैलेगी बीमारी|

अस्वस्थ रहोगे प्रतिदिन,

नही कोई होशियारी|



Dayanand Tripathi

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