logo

Basic Siksha News.com
बेसिक शिक्षा न्यूज़ डॉट कॉम

एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

उत्तर प्रदेश के इस स्कूल में जल रही ज्ञान की अनोखी लौ



एक अनोखी मिसाल

आपको पता ही होगा कि शायद ही कोई मध्य वर्गीय परिवार अपने बच्चे का दाखिला गांव के किसी प्राइमरी स्कूल में कराने की कभी सोचता भी होगा, क्योंकि वहां की शिक्षा व्यवस्था की हालत किसी से भी छिपी नहीं है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट की एक बेंच ने बीते दिनों एक फैसला सुनाया था कि हर सरकारी अफसर का पाल्य इन्हीं प्राइमरी स्कूलों में पढ़ेगा ताकि वहां कि हालत सुधारी जा सके, इस फैसले पर अमल कब होगा ये तो हमारी प्रशासनिक प्रणाली जाने लेकिन उत्तर प्रदेश में बस्ती जिले के पूर्व माध्यमिक विद्यालय परसाजागीर में इन दिनों एक अनोखी मिसाल देखने को मिल रही है।

यहां के एकमात्र शिक्षक डॉ. सर्वेष्ट मिश्रा की पहल से बच्चों को वो सारी सुविधा मिल रही है जो एक कांवेंट स्कूल के छात्र को मिलती है। इस स्कूल में बच्चे सिर्फ मिड डे मिल और तन पर पहनने के लिए स्कूली कपड़ो के लिए ही नहीं आते वरन् आपसी सहयोग से स्कूल का माहौल ऐसा तैयार कर दिया गया है कि बच्चे अपने घर अब स्कूल के समय में रुकते भी नहीं

सरकारी मदद से आगे बढ़ कर किया काम

सर्वेष्ट बताते हैं कि जब वे इस स्कूल में आए तो कुल 4 शिक्षक थे, लेकिन धीरे-धीरे वो भी अन्य जगह स्थानांतरित हो कर चले गए और फिर वो स्कूल को चलाने के लिए अकेले बचे। स्कूल में अपनी ज्वाइनिंग के बाद उन्होंने पहले बच्चों की उपस्थिति और उससे भी पहले उनके ड्रेस कोड पर ध्यान दिया।

गनेशपुर क्षेत्र के अपने कुछ मित्रों और व्यवसायियों की मदद से सर्वेष्ट ने बच्चों को सरकार द्वारा दिए जाने वाले ड्रेस से अलग उन्हें आईडी कार्ड और बेल्ट मुहैया कराया। विद्यालय में हर रोज प्रार्थना सभा भी होती है और बच्चे योग की मदद से अपना स्वास्थ्य भी बेहतर बनाते हैं।

बच्चे अब स्कूल केवल मिड डे मील के लिए नहीं आते। उनके आने का उद्देश्य अब बदल चुका है। गांव के लोग जो पहले अपने बच्चों को कक्षा 5 पास करने के बाद गांव में ही स्थित किसी कॉंवेंट स्कूल में पढ़ाना पसंद करते थे वो अब इस विद्यालय को अपनी सूची की प्राथमिकता में रख रहे हैं। यही नही बच्चों में पढ़ाई के प्रति उनकी रोचकता बरकरार रखने के लिए सर्वेष्ट उन्हें कंप्यूटर की भी शिक्षा उपलब्ध कराते हैं।
ताकि न बुझ सके ज्ञान का दीप

सर्वेष्ट बताते हैं कि सरकार बच्चों को केवल किताबे उपलब्ध कराती है लेकिन उन्हें लिखने और अभ्यास करने के लिए कॉपी और कलम मुहैया नहीं कराती है, जिसके लिए वो बच्चों को कॉपी और कलम भी देते हैं। विद्यालय की शैक्षिक गुणवत्ता बढ़ाने के लिए यहां प्रत्येक तीन महीने पर बच्चों को पुरस्कृत भी किया जाता है।

सर्वेष्ट के मुताबकि बच्चों को यह पुरस्कार इसलिए दिए जाते हैं ताकि वे नियमित उपस्थित रहें, उनकी पढ़ाई लिखाई केवल किताबों तक सीमित न रह कर सामाजिक भी हो और वे खुद में दूसरों की मदद करने की प्रवृत्ति भी पैदा कर सकें।

इसी माह 28 बच्चों को पुरस्कार दिए गए और 19 गरीब बच्चों को आपसी सहयोग से उनके जरुरत की शैक्षणिक सामग्रियां दी गई ताकि संसाधनों के अभाव में उनके ज्ञान का दीप न बुझ सके।

Posted via Blogaway


Post a Comment

0 Comments