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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

पुराने आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए हुई धन की व्यवस्था : आंगनबाड़ी केंद्रों व बाल मैत्रिक शौचालयों का मरम्मत कराना सुनिश्चित कराया जाए ताकि उन्हें उपयोग में लाया जा सके।

पुराने आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए हुई धन की व्यवस्था : आंगनबाड़ी केंद्रों व बाल मैत्रिक शौचालयों का मरम्मत कराना सुनिश्चित कराया जाए ताकि उन्हें उपयोग में लाया जा सके।

लखनऊ। शासन ने पूर्व के वर्षों में ग्रामीण क्षेत्रों में बनाए गए आंगनबाड़ी केंद्रों व बाल मैत्रिक शौचालयों के रखरखाव व मरम्मत के लिए बजट का रास्ता बना दिया है। ग्राम पंचायतों को चतुर्थ राज्य वित्त आयोग की रकम से यह काम करने की इजाजत दे दी गई है।

पंचायतीराज विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि गांवों में बड़ी संख्या में आंगनबाड़ी केंद्र और बाल मैत्रिक शौचालय बनाए गए हैं। इनके रखरखाव के लिए कोई वित्तीय व्यवस्था नहीं है। इसकी वजह से इनमें से तमाम केंद्र व शौचालय जीर्ण-शीर्ण हालत में हैं और उपयोग लायक नहीं रह गए हैं। ऐसे में शासन ने चतुर्थ वित्त आयोग के अंतर्गत ग्राम पंचायतों को उपलब्ध कराई गई धनराशि से इनके रखरखाव व मरम्मत का फैसला किया है।

प्रमुख सचिव पंचायतीराज चंचल कुमार तिवारी ने सभी मंडलायुक्तों व जिलाधिकारियों को भेजे नए निर्देश में बताया है कि चतुर्थ वित्त आयोग से दी जाने वाली रकम का 50 फीसदी हिस्सा ग्राम पंचायतों की पूर्व में सृजित संपत्तियों के रखरखाव पर खर्च हो सकता है। इसी 50 फीसदी रकम में से पंचायतें आंगनबाड़ी केंद्रों व बाल मैत्रिक शौचालयों का रखरखाव व मरम्मत भी कराएंगी। बाकी 50 फीसदी रकम से नए काम कराए जा सकते हैं।

तिवारी ने निर्देशित किया है कि पूर्व के वर्षों में बने आंगनबाड़ी केंद्रों व बाल मैत्रिक शौचालयों का मरम्मत कराना सुनिश्चित कराया जाए ताकि उन्हें उपयोग में लाया जा सके।

इसके अलावा नए आंगनबाड़ी केंद्रों के निर्माण में ग्राम पंचायत का अंश, चतुर्थ राज्य वित्त आयोग के अंतर्गत ग्राम पंचायत स्तर पर उपलब्ध धनराशि से दिया जाएगा।जिलाधिकारी अब अपने स्तर से जिलों की ग्राम पंचायतों को शासन के इस निर्देश की विधिवत जानकारी देंगे।

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