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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

कागजों पर मदरसे (Madarasa) बंट रहा करोड़ों का अनुदान! : आयोग में सुनवाई के दौरान हुआ खुलासा

कागजों पर मदरसे, बंट रहा करोड़ों का अनुदान! : आयोग में सुनवाई के दौरान हुआ खुलासा

मुरादाबाद में जिन मदरसों के नाम पर केंद्र और राज्य सरकारों से हर साल करोड़ों का अनुदान लिया जा रहा है, असल में उनका कोई नाम-ओ-निशान ही नहीं है। करोड़ों के इस अनुदान का अल्पसंख्सक विभाग के अधिकारी और मदरसा प्रबंधक बंदरबाट कर रहे हैं। इसका खुलासा राज्य सूचना आयोग में मुरादाबाद के मदरसों से संबंधित मांगी गई सूचना पर सुनवाई के दौरान हुआ। 

इसके बाद राज्य सूचना आयुक्त हाफिज उस्मान ने मुरादाबाद के डीएम को पूरे मामले की जांच के आदेश दिए हैं। साथ ही सूचना आयोग के आदेश के बाद भी मदरसों के बारे में जानकारी न देने वाले जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी पर पचीस हजार रुपये का जुर्माना लगाया है।

यह था मामला 

बिलारी, मुरादाबाद निवासी राविल हुसैन ने पिछले साल मुरादाबाद के जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी से आरटीआई के तहत जिले के अनुदानित और वित्तविहीन मदरसों के बारे में सूचना मांगी थी। उन्होंने पूछा था कि जिले में कितने मदरसे हैं और 2005 से 2015 के बीच कितने मदरसों को तहतानिया, फौकानिया और आलिया स्तर की मान्यता दी गई। उन्होंने जिले में संचालित मदरसों के नाम, पतों के साथ उनके पंजीकरण और नवीनीकरण की सूचना भी मांगी। साथ ही पूछा कि मदरसों में केंद्र सरकार द्वारा संचालित मदरसा आधुनिकीकरण योजना के तहत कितने शिक्षकों को मानदेय का भुगतान किया जा रहा है।

आवेदक के आरोप गंभीर हैं। दस्तावेज से इसकी पुष्टि भी हो रही है। मैंने डीएम मुरादाबाद को पूरे मामले की जांच के आदेश दिए हैं और एक महीने में जांच रिपोर्ट आयोग में दाखिल करने को कहा है। 
- हाफिज उस्मान, राज्य सूचना आयुक्त
विभाग ने कहा गोपनीय है जानकारी

कागजों पर मदरसे, बंट रहा करोड़ों का अनुदान!
और न ही व्यक्तिगत। वह सरकारी अभिलेख हैं। सुनवाई के दौरान आवेदक ने दस्तावेज प्रस्तुत किए, जिससे खुलासा हुआ कि अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने दर्जनों ऐसे मदरसों को मान्यता दी, जिनका जमीन पर अस्तित्व ही नहीं है। एक-एक भवन में चार से पांच मदरसों को मान्यता मिल गई। राविल का का आरोप है कि विभागीय अधिकारी, मदरसों प्रबंधकों से मिल कर केंद्र और राज्य से मिलने वाला करोड़ों का अनुदान हजम कर रहे हैं। इसी के खुलासे के डर से अधिकारी सूचना देने से इनकार कर रहे हैं। जिला अल्पसंख्यक कल्याण विभाग से सूचना न मिलने पर राविल ने राज्य सूचना आयोग में अपील की।

आयोग के हस्तक्षेप के बाद मुरादाबाद के अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने इन सूचनाओं को गोपनीय और व्यक्तिगत बताते हुए उन्हें देने में असमर्थता जताई। राज्य सूचना आयुक्त हाफिज उस्मान ने बताया कि आवेदक ने जो सूचनाएं मांगी हैं, वह न तो गोपनीय हैं |

        खबर साभार : नवभारतटाइम्स

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  1. कागजों पर मदरसे (Madarasa) बंट रहा करोड़ों का अनुदान! : आयोग में सुनवाई के दौरान हुआ खुलासा
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