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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

टीईटी-2011 की परीक्षा में भी दो लाख ओएमआर सीटों में व्हाइटनर लगी कापियां जांची गई थी, पुलिस ने जांच में इसे स्वीकारा : सिर्फ दारोगा और सिपाही भर्ती परीक्षा में ही व्हाइटनर का प्रयोग नहीं; कोर्ट में मामला जाने के बाद टीईटी 2011 के तथ्य हो रहे उजागर

टीईटी-2011 की परीक्षा में भी दो लाख ओएमआर सीटों में व्हाइटनर लगी कापियां जांची गई थी, पुलिस ने जांच में इसे स्वीकारा : सिर्फ दारोगा और सिपाही भर्ती परीक्षा में ही व्हाइटनर का प्रयोग नहीं; कोर्ट में मामला जाने के बाद टीईटी 2011 के तथ्य हो रहे उजागर

इलाहाबाद : प्रदेश में सिर्फ दारोगा और सिपाही भर्ती परीक्षा में ही व्हाइटनर का प्रयोग नहीं किया गया, इससे पहले टीईटी-2011 की परीक्षा में भी बड़ी संख्या में व्हाइटनर लगी कापियां जांची गई थी। पुलिस ने जांच में इसे स्वीकार किया है। पुलिस भर्ती का मामला हाईकोर्ट में जाने के बाद अभ्यर्थियों ने और परीक्षाओं के तथ्य टटोलने शुरू किए तो टीईटी का मामला भी उजागर हुआ।

प्रदेश में 41610 सिपाही भर्ती परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं में वाइटनर लगे होने का प्रकरण उछला था। हाईकोर्ट के आदेश पर मई 2015 में 6254 अभ्यर्थी अपात्र भी हुए। इसके चार साल पहले शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) 2011 में अपनों को पास कराने के लिए वाइटनर का जमकर प्रयोग हुआ। प्रदेश की इस पहली टीईटी परीक्षा को माध्यमिक शिक्षा परिषद ने कराया था।

इसमें करीब 11 लाख अभ्यर्थी बैठे थे। दिल्ली की जिस कंप्यूटर फर्म एके प्रिटेंड डेट क्रिएट साल्यूशन नई राजधानी दिल्ली ने टीईटी 2011 का परीक्षा परिणाम तैयार किया। उसके प्रोग्रामर अशोक कुमार उप्रेती ने पुलिस को लिखित दिया है कि इस परीक्षा का पूरा परिणाम तैयार करने की जिम्मेदारी उसी की थी। उन्हें कुल 11 लाख उत्तर पुस्तिकाओं में से करीब दो लाख ओएमआर सीट में वाइटनर लगा था। इस पर अशोक ने आपत्ति की तो शिक्षा विभाग के अफसरों ने निर्देश दिया कि इसे ऐसे ही प्रोसेस करके रिजल्ट तैयार करो। यही नहीं अशोक ने स्वीकारा है कि कुछ सेंटरों से मूल ओएमआर सीट प्राप्त ही नहीं हुई थी, उनके बदले कार्बन कॉपी प्रति मिली। अशोक ने कार्बन कॉपी प्रति की स्कैनिंग कराने से मना किया और मूल कॉपी मांगी। इस पर अफसरों ने उसे निर्देशित किया कि मूल कॉपी नहीं मिल पाएगी यदि स्कैनिंग में समस्या है तो इसी से मैनुअल पंच करके रिजल्ट तैयार करो।

प्रोग्रामर अशोक ने स्वीकारा कि प्रदेश के विभिन्न मंडलों से आने वाला अभ्यर्थियों की उपस्थिति एवं अनुपस्थिति का विवरण भी कुछ ही मंडलों से प्राप्त हो सका। यही नहीं परिणाम जारी होने के बाद भी सैकड़ों अभ्यर्थियों का मास्टर डाटा न मिल पाने के कारण परिणाम ठीक से तैयार नहीं हो सका। अशोक ने पुलिस को लिखित दिया है कि तैयार रिजल्ट से वह खुद संतुष्ट नहीं है। कुछ ऐसे अभ्यर्थी पास हुए हैं, जिन्होंने परीक्षा ही नहीं दी।

घोटाले के जांच अधिकारी पुलिस क्षेत्रधिकारी अकबरपुर सुभाष चंद्र शाक्य ने रिपोर्ट में स्पष्ट लिखा है कि तमाम विवेचना एवं गवाह व अभिलेखों में टीईटी 2011 के परीक्षा परिणाम में काफी अनियमितता पाई जा रही हैं। कार्बन ओएमआर शीट का मूल्यांकन हुआ है और तमाम शीटों में वाइटनर लगा मिला है। उल्लेखनीय है कि टीईटी-2011 के परिणाम के आधार पर ही प्रदेश में हजारों शिक्षकों की भर्ती हुई है।

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        खबर साभार : दैनिकजागरण

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  1. टीईटी-2011 की परीक्षा में भी दो लाख ओएमआर सीटों में व्हाइटनर लगी कापियां जांची गई थी, पुलिस ने जांच में इसे स्वीकारा : सिर्फ दारोगा और सिपाही भर्ती परीक्षा में ही व्हाइटनर का प्रयोग नहीं; कोर्ट में मामला जाने के बाद टीईटी 2011 के तथ्य हो रहे उजागर
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