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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

नहीं बंटा दूध, फफक पड़ीं हेडमास्टर : दूध वितरण ने शिक्षकों और हेडमास्टरों को उलझाया ; प्रदेश सरकार नौनिहालों को दूध पिलाकर उन्हें कुपोषण से चाहती है मुक्त कराना

नहीं बंटा दूध, फफक पड़ीं हेडमास्टर : प्रदेश सरकार नौनिहालों को दूध पिलाकर उन्हें कुपोषण से चाहती है मुक्त कराना


इलाहाबाद : प्रदेश सरकार नौनिहालों को दूध पिलाकर उन्हें कुपोषण से मुक्त कराना चाहती है। बावजूद इसके कई स्कूलों में प्रधानों की मनमानी से दूध का वितरण सही ढंग से नहीं हो पा रहा है। ऐसा ही एक मामला बुधवार को बजहा गांव के प्राइमरी स्कूल में सामने आया। यहां पर प्रधान और रसोइया के असहयोग से हेडमास्टर बच्चों को दूध नहीं बांट सकीं। स्कूल में मौजूद 'दैनिक जागरण टीम' ने इस बारे में उनसे सवाल किया तो वह फफक पड़ीं। जागरण टीम के प्रयास से मामला अधिकारियों तक पहुंचा तो जांच बैठा दी गई।

जागरण टीम बुधवार को 11 बजे दूध वितरण की स्थिति का जायजा लेने धूमनगंज थाने से दस किलोमीटर दूर बजहा गांव के प्राइमरी स्कूल पहुंची। वहां पर बच्चों ने बताया कि आज न तो दूध मिला, न ही कोफ्ता-चावल। इस पर हेडमास्टर बीना श्रीवास्तव ने बताया कि सुबह रसोइया से उनका कुछ विवाद हो गया था। इसलिए उसने खाना नहीं बनाया और दूध भी नहीं आ सका। दूध वितरण न होने के सवाल पर वह अपना मर्म छिपा नहीं सकीं और फफक पड़ीं। बोली कि अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों का सहयोग न मिलने से दूध का वितरण नहीं हो पा रहा है। उन्होंने बताया कि इस स्कूल में करीब सौ बच्चे पंजीकृत हैं। बुधवार को करीब 50 बच्चे आए थे। दोपहर का भोजन और दूध न मिलने पर उसमें से भी करीब 30 बच्चे 10 बजे के बाद ही घर चले गए। वहीं ग्रामीणों ने बताया कि ग्राम प्रधान की दबंगई के चलते यहां मिड-डे मील और दूध कम ही बंटता है। यहां के प्रधान एक पूर्व सांसद के करीबी हैं, इसलिए उनकी दबंगई के आगे गांव के लोग विरोध भी नहीं करते हैं। इसके अलावा पीलपगांव के प्राइमरी और जूनियर हाईस्कूल में 65 लीटर, जलालपुर घोसी के प्राइमरी स्कूल में 14 लीटर दूध का वितरण किया गया। वहीं जिले भर के 3786 स्कूलों में से 3526 स्कूलों में दूध का वितरण हुआ।

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मामले की जांच शुरू

मिड-डे-मील के समन्वयक राजेश त्रिपाठी का कहना है कि बजहा के प्राइमरी स्कूल में दूध और मिड-डे मील न बंटने के मामले की जांच कराई जा रही है। उसमें जो भी दोषी होगा उस पर कार्रवाई होगी। पिछले हफ्ते की अपेक्षा इस बार अधिक स्कूलों में दूध का वितरण हुआ है। यह क्रम जारी रहेगा और इसके लिए धनराशि भेजी जा चुकी है। हालांकि बुधवार को जिले के 3786 स्कूलों में से 260 में वितरण नहीं हो सका।

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दूध वितरण में उलझे शिक्षक-हेडमास्टर

पहले किताब और ड्रेस वितरण, फिर मिड-डे मील और अब दूध वितरण। इन्हीं सब में शिक्षकों और हेडमास्टरों का समय गुजर रहा है। तमाम मशक्कत के बावजूद बच्चों की पढ़ाई का स्तर नहीं सुधर रहा है। दरअसल मिड-डे मील और दूध का वितरण कराने की जिम्मेदारी प्रधानों की है, लेकिन अधिकतर प्रधान इसमें रुचि नहीं ले रहे हैं। चूंकि शासन का निर्देश है इसलिए हेडमास्टर और शिक्षक दूध और मिड-डे मील के वितरण में डटे हैं। ऐसे में बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है।

        खबर साभार : दैनिकजागरण

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