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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत तीन साल में नहीं बन पाए 243 स्कूल : वर्ष 2011-12 में हुए थे स्वीकृत;राज्य सरकार से अतिरिक्त धनराशि का अनुरोध

सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत तीन साल में नहीं बन पाए 243 स्कूल : वर्ष 2011-12 में हुए थे स्वीकृत;राज्य सरकार से अतिरिक्त धनराशि का अनुरोध

लखनऊ। सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत वर्ष 2011-12 में स्वीकृत 243 प्राथमिक एवं जूनियर विद्यालयों का निर्माण तीन साल बाद भी नहीं शुरू हो सका। अब जब निर्माण की लागत कई गुना बढ़ गई तो राज्य परियोजना निदेशालय ने केंद्र सरकार से अतिरिक्त बजट की मांग की। जिसे नामंजूर कर दिया गया। लिहाजा अब इन विद्यालयों के निर्माण के लिए अतिरिक्त बजट की व्यवस्था राज्य सरकार से कराए जाने की तैयारी है। मौजूदा समय में केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश में एक भी नए प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालय के निर्माण पर रोक लगा रखी है।

सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत वर्ष 2011-12 में उत्तर प्रदेश में 237 प्राथमिक तथा 6 उच्च प्राथमिक विद्यालयों के निर्माण को मंजूरी मिली थी। साथ ही बजट भी दिया गया था। लेकिन कई जगह पर जमीन की दिक्कत व अन्य कारणों के चलते निर्माण अब तक नहीं शुरू हुआ। अब वर्तमान में प्राथमिक विद्यालय भवन निर्माण की लागत 6.73 लाख रुपए से बढ़कर 13.15 लाख तथा उच्च प्राथमिक विद्यालय भवन निर्माण की लागत 9.01 लाख रुपए से बढ़कर 20.66 लाख रुपए हो गई है। जिससे स्कूलों के निर्माण का मामला फंस गया।

सर्व शिक्षा अभियान की वार्षिक कार्ययोजना एवं बजट 2015-16 के अप्रेजल के लिए बीते मार्च में मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) की पीएबी की बैठक में इन विद्यालयों के लिए वर्तमान मानक के अनुसार अतिरिक्त धनराशि का प्रस्ताव रखा गया। लेकिन मंत्रालय ने इसे नामंजूर कर दिया।

अब तीन गुना हो गई निर्माण की लागत

केंद्र सरकार द्वारा अतिरिक्त धनराशि के प्रस्ताव पर रोक लगाने के बाद अब बीते माह मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बेसिक शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक हुई थी। जिसमें तय हुआ कि इन 243 विद्यालयों के निर्माण के लिए वर्तमान मानक के अनुसार जो भी अतिरिक्त धनराशि की जरूरत होगी उसके लिए राज्य सरकार से अनुरोध किया जाएगा।

           खबर साभार : डीएनए

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