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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

शासन तंत्र पर भारी पड़ रहा है सिद्धार्थनगर बीएसए का दबदबा : ज्वाइनिंग प्रक्रिया के कारण बीएसए का वित्तीय पावर सीमिति कर दिया गया-

शासन तंत्र पर भारी पड़ रहा है सिद्धार्थनगर बीएसए का दबदबा : ज्वाइनिंग प्रक्रिया के कारण बीएसए का वित्तीय पावर सीमिति कर दिया गया-

"बीएसए का तैनाती प्रक्रिया दूषित है। पूरे प्रकरण के बावत शासन को अवगत कराया जा चुका है। वित्तीय दायरा भी कम कर दिया गया है। मुख्य कोषाधिकारी को निर्देशित किया गया है कि बिना मेरे संज्ञान में लाए किसी तरह का भुगतान नहीं होगा। बीएसए का वेतन भी रोक दिया गया है |"
-डॉ सुरेन्द्र कुमार,डीएम,सिद्धार्थनगर |

सिद्धार्थनगर: शासन तंत्र पर बीएसए का दबदबा भारी पड़ रहा है। मुख्यमंत्री से शिकायत कर इनका निलंबन कराने वाले कतिपय नेता भी बैकफुट पर हैं। सरकार की चुप्पी भी समझ में नहीं आ रहा। जिलाधिकारी ने भी पूरे प्रकरण से शासन को अवगत करा दिया है। शासन के जवाब का इंतजार है। हालांकि ज्वाइनिंग प्रक्रिया के कारण बीएसए का वित्तीय पावर सीमिति कर दिया गया है।

~BSA का स्टे आदेश : सिद्धार्थनगर के बेसिक शिक्षा अधिकारी के निलंबन पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के लखनऊ बेंच ने रोक का दिया आदेश (स्टे आदेश के लिए यहां क्लिक करें |)

बता दें कि 6 मई को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के आगमन के दौरान सदर विधायक विजय पासवान, पूर्व विधायक लाल जी यादव, जिला पंचायत अध्यक्ष प्रतिनिधि चिंकूयादव, राज्य महिला आयोग की सदस्य जुबैदा चौधरी, पूर्व ब्लाक प्रमुख एवं शोहरतगढ़ के विधायक प्रतिनिधि उग्रसेन सिंह समेत तमाम नेताओं ने बीएसए को निलंबित कर कार्यवाही करने की मांग की थी। जिलाध्यक्ष अजय चौधरी ने भी बीएसए को हटाने की पुरजोर पैरवी की थी। विधान सभा अध्यक्ष माता प्रसाद पाण्डेय ने भी बीएसए के हटाने की हामी भरी थी। नेताओं की मंशा के अनुरूप शिकायतों को संज्ञान में लेकर मुख्यमंत्री ने तत्काल प्रभाव से बीएसए डा कौशल किशोर को निलंबित कर दिया था। इसके खिलाफ बीएसए को माननीय उच्च न्यायालय से स्टे मिला। जिस पर बिना शासन और विभाग के निदेशक की अनुमति से वह यहां आकर ज्वाइन कर लिए हैं। तबसे स्थानीय सपा नेता परेशान हैं। विधायक विजय पासवान का कहना है कि माननीय उच्च न्यायालय के आदेश का सभी सम्मान करते हैं, लेकिन इनकी ज्वाइ¨नग प्रक्रिया गलत है। शीघ्र एक प्रतिनिधि मंडल मुख्यमंत्री से मिलकर बीएसए के तानाशाह रवैये के बारे में बात करेगा। बेसिक शिक्षा मंत्री से भी बात होगी। सपा जिलाध्यक्ष अजय चौधरी ने कहा कि मुख्यमंत्री विदेश दौरा पर थे, अब आ गए हैं। शीघ्र ही इस मामले में वार्ता की जाएगी। बीएसए के इस तरह की ज्वाइनिंग अनुचित है।

दूसरी तरफ जिलाधिकारी ने बेसिक शिक्षा निदेशक एवं सचिव को पत्र लिखा है। पत्र में डीएम ने कहा की वित्तीय अनियमितता एवं लेखाधिकारी अनुराग श्रीवास्तव को जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी का कार्यभार सौंपा गया था। 22 मई को डा. कौशल किशोर द्वारा माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा स्थगनादेश प्राप्त करके बिना अधोहस्ताक्षरी की अनुमति, बिना शासन की अनुमति एवं बिना आपके अनुमति प्राप्त किए सीधे एक पक्षीय रूप से कार्यभार ग्रहण कर लिया है। डीएम ने कहा है कि मेरी दृष्टि से यह कार्यभार ग्रहण करने की प्रक्रिया दूषित है। यह अनुशासन हीनता भी है। सचिव बेसिक शिक्षा उत्तर प्रदेश रिट याचिका में मुख्य रूप से पक्षकार थे, स्थगनादेश सचिव बेसिक शिक्षा के माध्यम से क्रियान्वित कराया जाना चाहिए था। बिना शासन, प्रशासन एवं निदेशालय को संज्ञान में लाए पदभार ग्रहण करना आपत्तिजनक है।
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बीइओ का तबादला:-

उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष राधेरमण त्रिपाठी ने इटवा एवं नौगढ़ में तैनात खंड शिक्षा अधिकारी जगदीश यादव के अनियमितता की शिकायत शासन एवं विभाग से की थी, जिसे संज्ञान लेते हुए शिक्षा निदेशक गोरखपुर विनोद कुमार शर्मा ने जगदीश का स्थानांतरण बस्ती जनपद के गौर ब्लाक में कर दिया है। इनके स्थान पर गौर से राम सुयश वर्मा का यहां तबादला किया गया है। बीइओ पर यह नियम के विपरीत अध्यापकों को दूसरे विद्यालयों पर संबंद्ध किये थे। स्थायी अध्यापक रहते हुए दूसरे विद्यालय के अध्यापकों से वित्तीय प्रभार देकर काम कराया जा रहा था।
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"बीएसए का तैनाती प्रक्रिया दूषित है। पूरे प्रकरण के बावत शासन को अवगत कराया जा चुका है। वित्तीय दायरा भी कम कर दिया गया है। मुख्य कोषाधिकारी को निर्देशित किया गया है कि बिना मेरे संज्ञान में लाए किसी तरह का भुगतान नहीं होगा। बीएसए का वेतन भी रोक दिया गया है |"
-डॉ सुरेन्द्र कुमार,डीएम,सिद्धार्थनगर |

       खबर साभार : दैनिकजागरण

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