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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

स्कूलों में कुपोषण भी होगा पाठ्यक्रम का हिस्सा;पोषाहार वितरण में रखा जाए ध्यान : जागरूकता के लिए मुख्य सचिव ने दिए निर्देश-

स्कूलों में कुपोषण भी होगा पाठ्यक्रम का हिस्सा;पोषाहार वितरण में रखा जाए ध्यान : जागरूकता के लिए मुख्य सचिव ने दिए निर्देश-

लखनऊ (ब्यूरो)। स्कूलों में कक्षा से लेकर इंटर तक के छात्रों को कुपोषण के प्रति जागरूक करने के लिए इसे पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। मुख्य सचिव आलोक रंजन ने शुक्रवार को राज्य पोषण मिशन की राज्य कार्यकारी समिति बैठक में अधिकारियों को इस बाबत निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि राज्य पोषण मिशन में बच्चों में कुपोषण के रोकथाम व प्रबंधन के लिए लक्ष्य निर्धारित करके काम करना होगा। जिला स्तरीय व अन्य अधिकारी औचक निरीक्षण कर यह सुनिश्चित करें कि सभी आंगनबाड़ी नियमित रूप से संचालित हो।

मुख्य सचिव ने बेसिक व माध्यमिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिया कि कक्षा 6 व 9 में स्वास्थ्य एवं पोषण संबंधित विषयों को पढ़ाई कराई जाए और इसे पाठ्यक्रम में अनिवार्य रूप से शामिल किया जाए। कक्षा 6 के विज्ञान पाठ्यक्रम में स्वास्थ्य पोषण के दैनिक व्यवहार, स्वच्छता का महत्व, शौचालय इस्तेमाल करने का महत्व, पर्याप्त पौष्टिक आहार, कुपोषण का चक्र, किशोरावस्था में पोषण का महत्व, सरकार से मिलने वाली स्वास्थ्य सेवाओं की जानकारी दी जाएगी। इसी तरह कक्षा 7 के विज्ञान पाठ्यक्रम में स्वास्थ्य पोषण की सेवाएं, आंगनबाड़ी केंद्र पर दी जाने वाली सेवाएं, ग्राम्य स्वास्थ्य पोषण दिवस, वृद्ध निगरानी, पंजीरी वितरण, स्वास्थ्य केंद्रों पर दी जाने वाली सेवाएं तथा कक्षा 8 के विज्ञान में कुपोषण और बीमारी, वृद्धि निगरानी का महत्व, गंभीर कुपोषण एनीमिया आदि विषयों को जोड़ा जाएगा।

उन्होंने कहा कि कक्षा 9 से इंटरमीडिएट के गृह विज्ञान के पाठ्यक्रम में स्वास्थ्य पोषण संबंधी जानकारी दिलाने के लिए सामाजिक विज्ञान व नैतिक शिक्षा के पाठ्यक्रम में कुपोषण, किशोरावस्था में पोषण का महत्व, कुपोषण और बीमारी का महत्व, वृद्धि निगरानी का महत्व, गंभीर कुपोषण, एनीमिया, सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की जानकारी शामिल की जाएगी।

प्रार्थनासभा में भी देंगे जानकारी:-

ब्लैक बोर्ड के लिए संदेशों, स्लोगनों में पोषण गतिविधियों को ‘आज का शब्द, आज का वाक्य’ के जरिये व्यक्त किए जाएंगे। स्कूलों में पोषण के विषय में वाद-विवाद प्रतियोगिताएं और नाटकों का आयोजन कराया जाएगा। प्रदेश में रैपिड असेसमेंट सर्वे के माध्यम से पोषण के मानकों में प्रगति का आकलन करना होगा। पोषण मिशन की गतिविधियों के कारण जन समुदाय में जानकारी देने के लिए रेडियो तथा टीवी से जानकारियां दी जाएंगी।

जागरूकता के लिए मुख्य सचिव ने दिए निर्देश : पोषाहार वितरण में रखा जाए ध्यान-

मुख्य सचिव ने कहा कि 6 माह से 6 वर्ष तक के बच्चों व गर्भवती महिलाओं के दिए जाने वाले पोषाहार उनको अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराया जाएगा। लोगों को सूचना देकर नियत तिथि पर पोषाहार का वितरण कराया जाएगा। अति कुपोषित बच्चों के लिए स्नेह शिविर आयोजित करने के साथ जन समुदाय के स्तर पर कुपोषण की रोकथाम के लिए एक लाभदायक प्रयास होगा। सामुदायिक गतिविधियों अन्न प्राशन, गोदभराई का आयोजन कराकर लोगों को कुपोषण के प्रति जागरूक किया जाए।

         खबर साभार : अमरउजाला

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