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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

अर्हता को लेकर असमंजस में गणित एवं विज्ञान शिक्षक अभ्यर्थी : हाईपावर कमेटी की रिपोर्ट अब तक अदालत में पेश नहीं-

अर्हता को लेकर असमंजस में गणित एवं विज्ञान शिक्षक अभ्यर्थी : हाईपावर कमेटी की रिपोर्ट अब तक अदालत में पेश नहीं-

१-पशोपेश : अर्हता को लेकर असमंजस में शिक्षक अभ्यर्थी
२-29 हजार गणित एवं विज्ञान शिक्षकों की भर्ती का मामला
३-हाईपावर कमेटी की रिपोर्ट अब तक अदालत में पेश नहीं

इलाहाबाद : प्रदेश के उच्च प्राथमिक स्कूलों में 29 हजार गणित और विज्ञान विषय के शिक्षकों की भर्ती में अर्हता विवाद का निपटारा न होने से शिक्षक अभ्यर्थियों में असमंजस की स्थिति है। वे इस बात से आशंकित हैं कि कहीं विवाद पर फैसला आने से पहले ही नियुक्तियां न शुरू कर दी जाएं। इसके लिए उन्होंने प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा को अपना प्रत्यावेदन भी भेजा है।

~क्लिक कर पढ़ें-गणित व विज्ञान शिक्षकों की नियुक्ति की राह हुई आसान |

गणित एवं विज्ञान के शिक्षकों की भर्ती के लिए पहले शैक्षिक अर्हता बीएससी निर्धारित की गई थी। बाद में इसमें यह संशोधन किया कर दिया गया कि ऐसे अभ्यर्थी भी नियुक्ति किए जा सकते हैं जिनकी स्नातक उपाधि में एक विषय गणित या विज्ञान रहा हो। इस संशोधन के बाद बीएससी एजी, होम साइंस, बीटेक, बीसीए व बीफार्म डिग्री वालों ने भी इस पद के लिए आवेदन किए थे। काउंसिलिंग का आदेश जारी होने के बाद कुछ अभ्यर्थियों ने शासन के इस आदेश पर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दी थी। उच्च न्यायालय ने अंतिम सूची पर रोक लगा दी थी। इस बीच शासन ने अर्हता विवाद के निपटारे के लिए तीन सदस्यीय हाई पावर कमेटी का गठन कर दिया था।विभागीय सूत्रों के अनुसार कमेटी पिछले साल अगस्त माह में ही अपनी रिपोर्ट दे चुकी है। अभ्यर्थियों के अनुसार इसे आज तक उच्च न्यायालय में प्रस्तुत नहीं किया गया। 

~यहां क्लिक कर पढ़ें-29 हजार जूनियर शिक्षक भर्ती होने की सम्भावना हुई बलवती |

दूसरी और इस भर्ती में नियुक्त पत्र जारी करने को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है। हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करने वाली नीलिमा कुमारी गौतम के अपनी याचिका वापस लेने के बाद माना जा रहा था कि नियुक्तियों का रास्ता साफ हो जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उनकी याचिका के साथ कनेक्ट दो अन्य याचिकाओं के आधार पर स्थगन आदेश अभी भी प्रभावी है।अभ्यर्थियों का मानना है कि इन याचिकाओं पर जारी अंतरिम आदेश कभी हट सकता है और उसके बाद नियुक्ति का क्रम भी शुरू हो जाएगा। 

ऐसे में कहीं अर्हता विवाद के कारण वे पीछे न रह जाएं। बाद में यदि उन्हें नियुक्ति मिलती भी है तो भी वे अन्य अभ्यर्थियों से जूनियर साबित होंगे। अभ्यर्थियों ने प्रमुख सचिव को प्रत्यावेदन देकर उनसे अनुरोध किया है कि अर्हता विवाद खत्म होने के बाद सभी अभ्यर्थियों को एक साथ ही नियुक्ति दी जाए। इसके पीछे तर्क यह है कि सभी अभ्यर्थियों ने एक साथ ही आवेदन किया है |

       खबर साभार : दैनिकजागरण

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