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सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ जांच को नए दिशा-निर्देश जारी : हाईकोर्ट के निर्देश पर सरकार को नए सिरे से तय करनी पड़ी प्रक्रिया-

सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ जांच को नए दिशा-निर्देश जारी : हाईकोर्ट के निर्देश पर सरकार को नए सिरे से तय करनी पड़ी प्रक्रिया-

१-मुख्य सचिव ने आरोप पत्र देने से दंड तक की कार्रवाई की समय सीमा तय की
२-हाईकोर्ट के निर्देश पर सरकार को नए सिरे से तय करनी पड़ी प्रक्रिया
३-जांच में अब नहीं चल सकेगी मनमानी
४-सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ जांच को नए दिशा-निर्देश जारी

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लखनऊ। सरकारी सेवकों के खिलाफ होने वाली जांचों को मनमानी तरीके से लटकाने या जल्दबाजी में निपटाकर रफा-दफा करने की कार्यवाही पर अंकुश के लिए विभागीय कार्यवाही व जांच से जुड़ी प्रक्रिया नए सिरे तय कर दी गई है। सरकार को नया आदेश हाईकोर्ट के निर्देश पर जारी करना पड़ा है। अब आरोपी कर्मचारी को जांच के दौरान आरोपों पर सफाई के लिए किसी भी दशा में दो महीने से ज्यादा का वक्त नहीं दिया जाएगा। जांच की चरणबद्ध कार्यवाही भी तय समय सीमा में ही निपटानी होगी।

प्रदेश में सरकारी सेवकों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही व दंड के लिए उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक अनुशासन एवं अपील नियमावली 1999 है। कई मामलों में शासन से लेकर हाईकोर्ट तक यह शिकायत पहुंची थी कि नियमावली के प्रावधानों का ठीक से पालन नहीं किया जा रहा है जिससे कई बार कर्मियों का अनावश्यक उत्पीड़न किया जाता है। नियमावली में तय प्रक्रिया में भी कई विसंगतियां सामने आई थीं। हाईकोर्ट ने विभागीय जांचों को तेजी से निपटाने के लिए सरकार को कदम उठाने को कहा था।

अब मुख्य सचिव आलोक रंजन ने पुरानी प्रक्रिया को रद्द करते हुए विभागीय जांच से जुड़ा विस्तृत दिशा-निर्देश जारी कर दिया है। इसमें जांच अधिकारी नामित करने से लेकर आरोपी कर्मी को नोटिस देने, जवाब प्राप्त करने और उसके परीक्षण के साथ ही कार्यवाही पर निर्णय के निर्देश हैं। इसमें हर स्तर पर कार्यवाही की समय सीमा भी तय कर दी गई है।

सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ जांच को नए दिशा-निर्देश जारी

मुख्य सचिव ने आरोप पत्र देने से दंड तक की कार्रवाई की समय सीमा तय की

•जांच जहां तक संभव हो, स्थानीय अधिकारी से कराया जाए।

•आरोप पत्र जल्द से जल्द दिया जाए। इसमें समस्त आरोप स्पष्ट होने चाहिए।

•आरोप पत्र पर 15 दिन में जवाब मांगा जाएगा। किसी भी दशा में यह समय सीमा दो महीने से अधिक नहीं होगी।

•जांच अधिकारी नियुक्ति प्राधिकारी को जांच रिपोर्ट देगा। नियुक्ति प्राधिकारी रिपोर्ट का परीक्षण करेगा।

•जांच अधिकारी की रिपोर्ट से सहमत होने पर आरोपी कर्मी को नोटिस देकर रिपोर्ट पर जवाब मांगेगा। कर्मी को दो सप्ताह में जवाब देना होगा।

•यदि नियुक्ति प्राधिकारी, जांच अधिकारी की रिपोर्ट से सहमत नहीं है तो उसका स्पष्ट कारण देना होगा। इस पर भी कर्मी की दो सप्ताह में राय ली जाएगी।

•कर्मी की राय आने के बाद 15 दिन में कार्यवाही कर दी जाएगी।

•जो प्रकरण राज्य लोक सेवा आयोग की अनुमति से जुड़े हैं, उनके लिए भी समय सीमा तय की गई है।

          खबर साभार : अमरउजाला

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