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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

अब प्रधानाध्यापकों को मोबाइल भत्ता : सरकार हर साल उन्हें एक हजार रुपये मोबाइल भत्ता के रूप में देगी-

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कानपुर : मोबाइल फोन के खर्च का बोझ अब प्राथमिक शिक्षकों की जेब पर नहीं पड़ेगा। सरकार हर साल उन्हें एक हजार रुपये मोबाइल भत्ता के रूप में देगी। फिलहाल यह धनराशि प्राथमिक और जूनियर स्कूलों के प्रधानाध्यापक व प्रभारी प्रधानाध्यापकों को मिलेगी। वह इस भत्ते का उपयोग बच्चों की उपस्थिति के संदेश भेजने में करेंगे। इसके लिए उनके मोबाइल फोन का नंबर जिला सूचना एवं विज्ञान केंद्र (एनआईसी) से लिंक किया जाएगा।

सरकार चाहती है कि एक भी बच्चा स्कूल जाने से वंचित न रहे। इसीलिए स्कूल चलो अभियान के प्रावधान कड़े कर दिए गये हैं। अब शिक्षक जब घर -घर बच्चों के दाखिले के लिए जाएंगे तो दरवाजे पर क्रम संख्या और तारीख लिखेंगे। साथ ही यह भी व्यवस्था की गई है कि अब स्कूल में बच्चों की उपस्थिति कम से कम 70 फीसद हो। उपस्थिति जांचने के लिए एनआईसी में विशेष सॉफ्टवेयर बनाए हैं। इसमें बच्चों का नाम, माता पिता का नाम, रोल नंबर आदि दर्ज रहेगा। सरकार इस विशेष सॉफ्टवेयर के जरिए समाजवादी पेंशन के लाभार्थियों के बच्चों पर भी नजर रखेगी ताकि पता चल सके कि उनके बच्चे स्कूल आते हैं या नहीं। उनके लिए प्राथमिक स्कूल में बच्चों का दाखिला अनिवार्य कर दिया गया है।

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बच्चों की उपस्थिति के आधार पर ही समाजवादी पेंशन धारकों की पेंशन में प्रत्येक वर्ष बढ़ोत्तरी होगी। शिक्षक बच्चे का रोल नंबर व कक्षा लिखकर एनआईसी के नंबर पर एसएमएस करेंगे। शिक्षकों को एमएमएस भेजने के लिए अपनी जेब से धन न खर्च करना पड़े इसलिए ही उन्हें एक हजार रुपये वार्षिक भत्ता देने का फैसला किया गया है। एक साल में पूरे प्रदेश में तीस करोड़ रुपये खर्च आएगा। यह धनराशि सर्व शिक्षा अभियान के मद से ही खर्च होगी। शासन ने प्रधानाध्यापक और प्रभारी प्रधानाध्यापकों को अपना नंबर जून तक एनआईसी में दर्ज कराने के लिए कहा है।

        खबर साभार : दैनिकजागरण

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