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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

प्रदेश के प्राइमरी एवं जूनियर हाईस्कूल के शिक्षकों से अध्ययन के अलावा अन्य कार्य लिया जाना अवैध : इलाहाबाद हाईकोर्ट; श्री लल्लन मिश्र अध्यक्ष-उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने किया स्वागत-

हाईकोर्ट ने कहा-नहीं लिया जा सकता गैरशैक्षणिक कार्य-

इलाहाबाद (एसएनबी)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के प्राइमरी व जूनियर हाईस्कूल शिक्षकों को राशनकार्ड सत्यापन में लगाने को अवैध करार दिया है और कहा है कि शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्य में नहीं लगाया जा सकता। कोर्ट ने कहा है कि शिक्षकों से जनगणना, चुनाव डय़ूटी या आपदा के अलावा अन्य गैर शैक्षणिक कार्य में नहीं लिया जा सकता। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डॉ. डीवाई चंद्रचूड तथा न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल की खण्डपीठ ने अधिवक्ता सुनीता शर्मा की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। कोर्ट ने कहा है कि संविधान के अनुच्छेद 21 एवं अनिवार्य शिक्षा कानून 09 के अन्तर्गत 6 से 14 वर्ष के बच्चों को शिक्षा पाने का मूल अधिकार है। अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने का राज्य का वैधानिक दायित्व है। कोर्ट ने कहा है कि राशनकार्ड सत्यापन अभियान के लिए मुख्य सचिव के परिपत्र में शिक्षकों को लगाने का उल्लेख नहीं है। जिला आपूत्तर्ि अधिकारी इलाहाबाद ने परिपत्र के विपरीत बिना विधिक प्राधिकार के शिक्षकों को सत्यापन कार्य में लगाया है। सत्यापन 2 फरवरी से 27 फरवरी तक कराया गया। सरकार का कहना है कि यह कार्य शिक्षण अवधि के बाद खाली समय में लिया गया। इससे शिक्षण कार्य प्रभावित नहीं हुआ। कोर्ट ने इसे सही नहीं माना और कहा कि शिक्षकों से सत्यापन कार्य नहीं लिया जा सकता। सरकार चाहे तो अपने कर्मचारियों के अलावा संविदा पर कार्य करा सकती है। याची का कहना था कि शिक्षकों को राशनकार्ड सत्यापन कार्य में लगाने से बच्चों के शिक्षा पाने के अधिकार का उल्लंघन होता है। कोर्ट ने याची के तकरे को सही माना और कहा शिक्षकोंको सत्यापन में लगाना उचित नहीं है।


           खबर साभार : राष्ट्रीयसहारा

प्रदेश के प्राइमरी एवं जूनियर हाईस्कूल के शिक्षकों से अध्ययन के अलावा अन्य कार्य लिया जाना अवैध : इलाहाबाद हाईकोर्ट; श्री लल्लन मिश्र अध्यक्ष-उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने किया स्वागत-

इलाहाबाद। प्रदेश के करीब चार लाख शिक्षकों के लिए राहत भरी खबर है। हाईकोर्ट ने प्राथमिक और जूनियर हाईस्कूल विद्यालयों में पढ़ाने वाले शिक्षकों से पढ़ाई के अलावा दूसरा कोई काम नहीं लेने का निर्देश दिया है। एडवोकेट सुनीता शर्मा की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही मुख्य न्यायमूर्ति डॉ. डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल की खंडपीठ ने शिक्षकों से लिए जा रहे राशनकार्ड सत्यापन के कार्य पर रोक लगा दी है।


खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि शिक्षकों से चुनाव ड्यूटी, जनगणना और आपदा को छोड़कर कोई भी गैर शैक्षणिक कार्य नहीं लिया जा सकता है। इस मामले में संवैधानिक प्रावधानों की व्याख्या करते हुए खंडपीठ ने कहा कि अनुच्छेद 21(ए) में अनिवार्य शिक्षा मौलिक अधिकार है। सरकार छह से 14 वर्ष की आयु के बच्चों को निशुल्क शिक्षा उपलब्ध कराने को बाध्य है। कोई भी ऐसा कार्य जो इस उद्देश्य की पूर्ति में बाधा बनता है अनुचित होगा। राशन कार्ड सत्यापन का कार्य मुख्य सचिव द्वारा जारी सर्कुलर के तहत शुरू कराया गया। इस सर्कुलर में शिक्षकों से काम लेने के लिए नहीं कहा गया है। इसके बावजूद स्थानीय स्तर पर अधिकारी ने अपनी सुविधा से शिक्षकों की ड्यूटी लगा दी। ऐसा करने उनको वैधानिक अधिकार नहीं था।


याची के वकील विजयचंद्र श्रीवास्तव का कहना था कि शिक्षकों को पूरे वर्ष किसी न किसी कार्य में व्यस्त रखा जाता है। सरकार का कहना था कि दो फरवरी से 27 फरवरी तक सत्यापन का कार्य कराया गया। काम शैक्षणिक कार्य समाप्त होने के बाद लिया जाता है। खंडपीठ सरकार की दलील से सहमत नहीं थी।


           खबर साभार : अमरउजाला


प्रदेश के प्राइमरी एवं जूनियर हाईस्कूल के शिक्षकों से अध्ययन के अलावा अन्य कार्य लिए जाने के अवैध : इलाहाबाद हाईकोर्ट; श्री ल्लन मिश्र अध्यक्ष-उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने किया स्वागत-

"उच्च न्यायालय के फैसले से प्राथमिक शिक्षा की गुणवत्ता में बढ़ोतरी होगी। शिक्षकों को भी इससे राहत मिलेगी। संघ फैसले का स्वागत करता है।"
-लल्लन मिश्र
अध्यक्ष- उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ

इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के प्राइमरी एवं जूनियर हाईस्कूल के शिक्षकों से अध्ययन के अलावा अन्य कार्य लिए जाने के अवैध ठहराया है। कोर्ट ने कहा है कि अनिवार्य शिक्षा प्रदान करना राज्य का वैधानिक दायित्व है और इसकी जिम्मेदारी से निर्वहन किया जाना चाहिए।

कोर्ट ने राशन कार्ड सत्यापन में शिक्षकों को लगाए जाने को गलत माना है। कहा है कि अध्यापकों को गैर शैक्षणिक कार्य में नहीं लगाया जा सकता। उनसे जनगणना, चुनाव ड्यूटी या आपदा के समय ही अतिरिक्त कार्य लिया जा सकता है।

यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डा. डीवाई चन्द्रचूड तथा न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल की खंडपीठ ने अधिवक्ता सुनीता शर्मा की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। कोर्ट ने कहा है कि संविधान के अनुच्छेद 21(4) एवं अनिवार्य शिक्षा कानून 2009 के अन्तर्गत 6 से 14 वर्ष के बच्चों को शिक्षा पाने का मूल अधिकार है। राशनकार्ड सत्यापन अभियान के लिए मुख्य सचिव के परिपत्र में अध्यापकों को लगाने का उल्लेख नहीं है। जिला आपूर्ति अधिकारी, इलाहाबाद ने परिपत्र के विपरीत बिना विधिक प्राधिकार के अध्यापकों को सत्यापन कार्य में लगाया।

सत्यापन 2 फरवरी से 27 फरवरी तक कराया गया। सरकार का कहना था कि यह कार्य शिक्षण अवधि के बाद खाली समय में लिया गया। इससे शिक्षण कार्य प्रभावित नहीं हुआ। कोर्ट ने इसे सही नहीं माना और कहा कि अध्यापकों से सत्यापन कार्य नहीं लिया जा सकता। सरकार चाहे तो अपने कर्मचारियों के अलावा संविदा पर कार्य करा सकती है।

याची के अधिवक्ता विजय चन्द्र श्रीवास्तव का कहना था कि अध्यापकों को राशन कार्ड सत्यापन कार्य में लगाने से बच्चों के शिक्षा पाने के अधिकार का उल्लंघन होता है। कोर्ट ने याची के तर्को को सही माना।

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इन योजनाओं से छुटकारा-

-पल्स पोलियो, मिड-डे मील, बाल गणना, आर्थिक गणना, लैपटाप वितरण आदि..।

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करने पड़ेंगे यह काम-

-जनगणना, चुनाव ड्यूटी और आपदा के समय सौंपी गई जिम्मेदारियां

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"उच्च न्यायालय के फैसले से प्राथमिक शिक्षा की गुणवत्ता में बढ़ोतरी होगी। शिक्षकों को भी इससे राहत मिलेगी। संघ फैसले का स्वागत करता है।"
-लल्लन मिश्र
अध्यक्ष- उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ

            खबर साभार : दैनिकजागरण


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