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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

नये प्राथमिक शिक्षकों के लिए 7 टिप्स (Seven Tips for New Primary Teacher) : प्राइमरी की कक्षा में 5P भी होते-

नये प्राथमिक शिक्षकों के लिए 7 टिप्स (Seven Tips for New Primary Teacher) : प्राइमरी की कक्षा में 5P भी होते-

यदि आप अभी-अभी प्राइमरी टीचर बने हैं, तो आपको क्लास लेने से पहले कुछ बातों को जानना और समझना होगा। इन बातों का पालन करना बहुत मुश्किल नहीं है, आप धीरे-धीरे इन्हें अपनी आदत में ला सकते हैं। ये 7 बातें आपको एक कुशल और चहीता अध्यापक बनने में बहुत मदद करेंगी। ये टिप्स सभी नये प्राइमरी टीचर्स के लिए बहुत ही उपयोगी हैं। ये टिप्स आपको बच्चों के बीच उनका सबसे टीचर बनने में बहुत काम हैं।

Seven Tips for New Primary Teacher

1. बच्चों की पंक्तियों के बीच टहलें

बच्चों को कक्षा में दो या तीन पंक्तियों में विभाजित करके बैठायें और इन पंक्तियों के बीच थोड़ा गलियारा रहने दें ताकि आप आसानी से उनके बीच घूम सकें। ऐसा करने से आप हर बच्चे और उसके कार्यों का व्यक्तिगत रूप से निरीक्षण कर पायेंगे। हर पंक्ति में आपको एक मॉनीटर भी चुनना चाहिए जो अवश्यकता पड़ने पर आपकी मदद कर सके।

जब आप बच्चों के बीच घूमें तो कुछ ही बच्चों पर अपना ध्यान न केंद्रित करें। सभी बच्चों को बराबर देखते रहें और ज़रूरी हो तो उनकी समस्याएँ और राय भी सुनें।

2. पोंछने के लिए अतिरिक्त कपड़े की व्यवस्था करें

अब आप कहेंगे कि मैं यह क्या कह रहा हूँ? जी हाँ आपको अपनी प्राइमरी की कक्षा में अतिरिक्त कपड़े की व्यवस्था करके रखनी चाहिए। ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि प्राइमरी की कक्षा में 5P होते हैं।

5P क्या है?
5P हैं - Pee, Poo, Paint, Pens and Puke अर्थात्‌ मूत्र, मल, रंग, स्याही और उल्टी।

कोई नहीं जानता कि आज क्लास में क्या होने वाला है। हो सकता है कोई बच्चा मूत्र या मल त्याग कर दे। या फिर कला की कक्षा में कोई आपके हाथों या कपड़ों पर रंग या स्याही लग जाए या फिर कक्षा के किसी बच्चे को उल्टी की परेशानी हो जाए या फिर अन्य ऐसा ही कुछ। ऐसी परिस्थितियों में आपके कक्षाकक्ष में अतिरिक्त कपड़े की समुचित व्यवस्था अवश्य होनी चाहिए।

3. विद्यालय प्रधानाध्यापक को अच्छे कार्यों से अवगत करायें

प्रधानाध्यापक किसी स्कूल का मुखिया होता है। अधिकांश समय वह विद्यालय की समस्याओं को सुलझाने में व्यतीत करता है। उसका कार्य आपको लाभ देता है इसलिए आपकी जिम्मेदारी बनती है कि आप उसके प्रयासों के अच्छे परिणाम अवश्य बतायें।

आप इसके अतिरिक्त बच्चों के सर्जनात्मक कार्य जैसे - बच्चों द्वारा बनायी गयी सुंदर कला, ग्रीटिंग कार्ड्स आदि दिखा अथवा भेज सकते हैं ताकि वह आपके काम से संतुष्ट रहे और आपकी छवि उसके सामने एक सजग शिक्षक की बनकर उभरे।

ऐसा करने से आपके और अध्यापक के बीच मधुर सम्बंध बनेंगे।

4. अभिभावक को भी सम्म्मिलित कीजिए

बच्चों का सर्वांगीण विकास किसी एक व्यक्ति के बस की बात नहीं है। इसके लिए आपको पूरे समुदाय का सहयोग लेना होता है। अभिभावक बच्चे के पास की सबसे पहली कड़ी है। आप अपने शिक्षण कार्यों में जितना बच्चों के अभिभावक को जोड़ पायेंगे, बच्चा उतना अधिक सीखेगा।

अभिभावक को शिक्षण प्रक्रिया का हिस्सा बनाना उतना सरल नहीं जितना कि माना जाता है। बहुत से अभिभावक अपने-अपने कामों में उलझे रहते हैं ऐसे में उनको शिक्षण प्रक्रिया में प्रतिभागी बना पाना कड़ी चुनौती होता है।

इसके लिए आपको ऐसी गतिविधियाँ विकसित और आयोजित करनी होगी, जिससे आप बच्चों के अभिभावकों को ये मना पाने में सफल हो जायें कि ये काम उनके बिना सम्भव नहीं और उनकी सहभागिता का बहुत महत्व है।

5. बुलेटिन बोर्ड पर हमेशा कुछ नया लगाएँ

बुलेटिन बोर्ड को कभी ख़ाली न छोड़े। उसपर बच्चों के लिए कुछ शिक्षाप्रद नयापन जोड़ते रहें। ताकि स्कूल के सभी बच्चे उसमें बराबर रुचि दिखाते हैं। इसके लिए आप कक्षा के कुछ बच्चों का भी सहयोग ले सकते हैं। और उनसे विभिन्न विषयों पर नयी जानकारी अथवा चित्र मँगाकर लगा सकते हैं।

6. दिनचर्या की डायरी बनायें -

एक अच्छा अध्यापक वही होता है जो अगले दिन के लिए कार्यक्रम पूर्वनियोजित करके रखता है। पूर्वयोजनाएँ आपको भलीभाँति याद रहें इसके लिए आवश्यक है कि आप दिनचर्या की एक डायरी बना लें, जिसमें भविष्य में किया जाने वाला हर कार्य नोट करें।

जो कार्य अन्य किसी कार्य या वजह से न कर पायें उनपर डायरी में गोला कर लें और भविष्य में उन्हें अवश्य करें।

पूर्वयोजना बनाते समय बच्चों द्वारा दिए गये फ़ीडबैक को अवश्य याद रखें।

7. अभिभावकों से सम्पर्क में रहें -

अध्यापक का बच्चों के माता-पिता से सम्पर्क में रहना बहुत आवश्यक है। इसके विद्यालय में पैरेंट-टीचर मीटिंग भी रखी जाती है। इस मीटिंग का उद्देश्य बच्चों की प्रगति को साझा करना और समस्या को समझकर उसका निपटारा करना होता है।

इसके अतिरिक्त आप बच्चे और उसके अभिभावक से सम्बंधित एक रजिस्टर भी बना सकते हैं। जिसमें अभिभावक का नाम, पता, फोन नम्बर, ईमेल आदि अंकित कर सकते हैं।

जब जैसी आवश्यकता और उपलब्धता हो आप अभिभावक से सम्पर्क करके बच्चे की जानकारी दे अथवा ले सकते हैं।

ये आपको एक सजग शिक्षक रूप में तैयार करती हैं, ताकि आप अपना समय और ऊर्जा बचाकर कक्षानुभवों को बेहतर बना सकें। ऐसा करके आप अपने शिक्षण को आनंददायी गतिविधि बना सकते हैं। इससे न केवल आपका अपने छात्र-छात्राओं पर अच्छा असर पड़ेगा, बल्कि प्रधानाध्यापक और अभिभावकों के बीच भी आपकी लोकप्रियता बढ़ेगी |

       आभार/साभार : विनय प्रजापति जी

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