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परिषदीय शिक्षकों से शिक्षणेत्तर कार्य लेने पर जवाब तलब : हाईकोर्ट ने सरकार के जवाब पर मांगा हलफनामा-

परिषदीय शिक्षकों से शिक्षणेत्तर कार्य लेने पर जवाब तलब : हाईकोर्ट ने सरकार के जवाब पर मांगा हलफनामा-

१-शिक्षकों से शिक्षणेत्तर कार्य लेने पर जवाब तलब

२-हाईकोर्ट ने सरकार के जवाब पर मांगा हलफनामा

३-सरकार का पक्ष शिक्षण अवधि के बाद उनको दूसरे कार्य सौंपती है |

इलाहाबाद। परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों से जनगणना, आर्थिक गणना, स्थानीय निकाय चुनाव की ड्यूटी जैसे तमाम शिक्षणेत्तर कार्य लिए जाने पर हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार से हलफनामा दाखिल कर जवाब देने को कहा है। इससे पूर्व मांगी गई जानकारी पर प्रदेश सरकार के अधिवक्ता ने अपना पक्ष रखा, जिस पर कोर्ट ने हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया। पूर्व पार्षद कमलेश सिंह और अधिवक्ता सुनीता शर्मा की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही मुख्य न्यायमूर्ति डॉ. डीवाई चंद्रचूड और न्यायमूर्ति सुनीत कुमार की पीठ ने 17 मार्च तक सरकार को अपना पक्ष रखने के लिए कहा है।
 
याचिका पर सरकार का पक्ष रखते हुए स्थायी अधिवक्ता रामानंद पांडेय ने बताया कि सरकार शिक्षण अवधि के बाद उनको दूसरे कार्य सौंपती है। इससे शिक्षा का कार्य प्रभावित नहीं होता है। खंडपीठ ने पूछा कि किन कानूनी प्रावधानों के तहत शिक्षकों से शिक्षणेत्तर कार्य लिए जाते हैं। सरकार इस पर हलफनामा दाखिल करे। याची के अधिवक्ता विजय चंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 में लागू किया गया। इसके अनुसार बच्चों को अनिवार्य शिक्षा देना सरकार का दायित्व है, मगर सरकारी विद्यालयों में कक्षा एक से आठ तक पढ़ाने के लिए नियुक्त अध्यापकों से तमाम प्रकार के शिक्षणेत्तर कार्य लिए जा रहे हैं, जिससे बच्चों की पढ़ाई का नुकसान होता है। अध्यापकों से बीएलओ ड्यूटी, पंचायत चुनाव, नगर निगम चुनाव, राशन कार्ड की जांच, जनगणना जैसे कार्य लिए जाते हैं। याची का कहना है कि इससे अनुच्छेद 21 (क)(अ) में प्रदत्त शिक्षा के मौलिक अधिकार का हनन हो रहा है |

           खबर साभार : अमरउजाला

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