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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

घर भेजी जा रहीं कस्तूरबा की छात्राएं विद्यालय में राशन न होने से भोजननहीं बन रहा : छात्राओं का भविष्य खराब होने के डर से अभिभावक परेशान-

घर भेजी जा रहीं कस्तूरबा की छात्राएं विद्यालय में राशन न होने से भोजननहीं बन रहा : छात्राओं का भविष्य खराब होने के डर से अभिभावक परेशान-

महराजगंज/सिसवा बाजार। कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय की छात्राआें के भविष्य पर संकट मडराने लगा है। राशन समाप्त होने का हवाला देकर छात्राओं को विद्यालय से घर वापस लौटाया जा रहा है। इससे छात्राआें समेत उनके अभिभावकों की चिंताएं बढ़ गई हैं।

कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय में कक्षा छह से आठ तक की छात्राआें को निशुल्क शिक्षा दी जाती है। इन विद्यालयों में छात्राआें को निशुल्क भोजन, कपड़ा व अन्य सामग्री दी जाती है। इसके लिए शासन प्रति वर्ष बजट जारी करता है। जिले में 13 कस्तूरबा विद्यालय संचालित हैं। प्रत्येक विद्यालय में करीब 100 छात्राएं शिक्षा ग्रहण करती हैं। विद्यालयों में राशन सप्लाई पहले टेंडर प्रक्रिया से होता था लेकिन तत्कालीन डीएम सौम्या अग्रवाल ने टेंडर प्रक्रिया की जगह क्रय समिति के माध्यम से राशन खरीददारी करने का निर्देश दिया। इसपर अमल भी हुआ। कस्तूरबा विद्यालय के जिम्मेदारों का कहना है कि अक्टूबर से अब तक राशन के लिए धनराशि नहीं भेजी गई है। राशन का बजट नहीं मिलने से वार्डेन दुकानाें से सामान उधार लेकर भोजन बनवाती थीं, लेकिन अब दुकानदाराें ने भी राशन आदि उधार में देना बंद कर दिया है। इससे विद्यालयों पर भोजन बनवाने का संकट पैदा हो गया है। कई दिनों से विद्यालय पर भोजन नहीं बन रहा है। छात्राआें को अब विद्यालय से घर भेजा जा रहा है। कस्तूरबा गांधी विद्यालय सिसवा पर करीब 15 छात्राएं बची हैं। वार्डेन शशिकला मिश्रा का कहना है कि बजट नहीं मिलने से भोजन बनवाने में परेशानी हो रही है। दुकानाें से उधार लेकर भोजन बनवाया जाता था, लेकिन अब दुकानदार ने उधार देना बंद कर दिया है। इसकी सूचना जिला स्तर व ब्लॉक स्तर के अधिकारियों को दी गई। लेकिन बजट नहीं मिला। यही हाल अन्य विद्यालयों का भी है। जिला समन्वयक बालिका शिक्षा केके सिंह का कहना है कि बजट के बारे में सहायक वित्त एवं लेखाधिकारी सर्व शिक्षा अभियान जानकारी दे सकते हैं।

क्या कहते हैं अभिभावक क्या कहती हैं छात्राएं
मामले की जांच हो-

सरकार एक ओर जहां महिला सशक्तिरण की बात करती है वहीं उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। किसकी लापरवाही से बच्चियों को भोजन नहीं मिल रहा है इसकी जांच होनी चाहिए।
- दिनेश यादव, सिसवा बाजार

अब कहां करें पढ़ाई-

विद्यालय पर भोजन नहीं मिल रहा है। बिना भोजन के पढ़ाई कैसे करेंगे। राशन नहीं होने की बात कहकर विद्यालय से घर भेज दिया गया है। अब पढ़ाई कहां और कैसे करें इसकी चिंता बढ़ गई है।
- शालिनी, कक्षा सात, सिसवा

भविष्य पर संकट-

विद्यालय में बड़ी उम्मीद से पढ़ाई कर रही थी। लेकिन अब भविष्य अंधकारमय लग रहा है। बीच पढ़ाई में ही घर भेज देने से पढ़ाई कैसे होगी। बिना कोर्स पूरा हुए परीक्षा कैसे देंगे। इसकी भी चिंता बढ़ गई है।
- महिमा, कक्षा सात, सिसवा

बीएसए को दी गई सूचना-

राशन का आवंटन जिले स्तर से मिलता है। कस्तूरबा विद्यालय पर राशन के लिए बजट नहीं होने और भोजन नहीं बनने की जानकारी जिला समन्वयक केके सिंह और बीएसए को दे दी गई है। उन्हीं के स्तर से कार्यवाही होनी है।
- संतोष शुक्ला, खंड शिक्षा अधिकारी

बीईओ को दी गई है जिम्मेदारी-

कस्तूरबा गांधी विद्यालयों पर बजट की कमी नहीं है। राशन के लिए बजट नहीं होने पर सभी खंड शिक्षा अधिकारियों को वैकल्पिक व्यवस्था करने का निर्देश दिया गया है। शीतावकाश में कुछ छात्राएं घर चली गई होंगी और लौट कर नहीं आई होंगी। छात्राआें को वापस विद्यालय पर आना चाहिए। लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
- सुनील कुमार श्रीवास्तव, डीएम

       खबर साभार : अमरउजाला

     

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