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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

संस्कृत को नहीं बनाया जाएगा अनिवार्य विषय-

संस्कृत को नहीं बनाया जाएगा अनिवार्य विषय-

1-मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने दी जानकारी

2-शिक्षा के भगवाकरण के आरोप को किया खारिज

नई दिल्ली। शिक्षा का भगवाकरण किए जाने के आरोपों को खारिज करते हुए केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी ने स्पष्ट कर दिया है कि संस्कृत को अनिवार्य विषय नहीं बनाया जाएगा और उन्होेंने इस मांग को खारिज कर दिया है।

स्मृति ईरानी ने कहा, ‘जो लोग मुझ पर संघ का प्रतीक या प्रतिनिधि होने का आरोप लगा रहे हैं, दरअसल वे हमारी ओर से किए जा रहे अच्छे कामों से लोगों का ध्यान हटाना चाहते हैं। मैं जानती हूं कि आगे भी मेरी आलोचनाएं जारी रहेंगी और मुझे इससे कोई समस्या नहीं है।’ देश के करीब 500 केंद्रीय विद्यालयों में जर्मन भाषा की जगह संस्कृत को तीसरी भाषा के रूप में लाए जाने के विवादास्पद फैसले के संबंध में उनसे सवाल पूछे गए थे। उन्होंने बताया कि वर्ष 2011 में हस्ताक्षरित एक सहमति पत्र के तहत जर्मन पढ़ाया जाना संविधान का उल्लंघन है। इसकी जांच के आदेश पहले ही दे दिए गए हैं कि इस सहमति पत्र पर हस्ताक्षर कैसे हुए।

संस्कृत को अनिवार्य भाषा बनाए जाने की मांगों के जवाब में ईरानी ने कहा कि तीन भाषा का फॉर्मूला पूरी तरह स्पष्ट है कि संविधान की आठवीं अनुसूची के तहत आने वाली किसी भी भाषा का विकल्प चुना जा सकता है। मगर उन्होंने इस बात को दोहराया कि जर्मन को विदेशी भाषा के तौर पर पढ़ाया जाना जारी रहेगा। स्मृति ईरानी ने कहा, ‘हम फ्रेंच पढ़ा रहे हैं, हम मंदारिन पढ़ा रहे हैं, उसी तरीके से हम जर्मन पढ़ाते हैं। मुझे यह समझ नहीं आता कि लोगों को वह बात क्यों नहीं समझ आ रही है, जो मैं कह रही हूं।’ ईरानी ने इससे पूर्व जर्मन के स्थान पर संस्कृत को लाए जाने के फैसले को मजबूती से सही ठहराते हुए कहा था कि मौजूदा व्यवस्था संविधान का उल्लंघन करती है। नई राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली के संबंध में उन्होंने बताया कि शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े सभी लोगों व विशेषज्ञों से चर्चा चल रही है। इस प्रणाली को अगले साल से लागू करने पर विचार चल रहा है। एजेंसी

बच्चे के दाखिले के लिए दिया था इंटरव्यू

नई दिल्ली। देश की शिक्षा मंत्री होने के बावजूद स्मृति ईरानी को अपने बच्चों के दाखिले के लिए स्कूल में बाकी अभिभावकों की तरह इंटरव्यू देना पड़ा था। उन्होंने कहा, ‘मुंबई से दिल्ली शिफ्ट होना काफी मुश्किल भरा रहा। सबसे पहले हमें अभिभावक के रूप में इंटरव्यू देना पड़ा। इसके बाद अध्यापकों और प्रधानाचार्य ने बच्चों का इंटरव्यू लिया।’ ईरानी ने आगे कहा, ‘मुझे लगता है कि यह सही है कि प्रत्येक नागरिक के लिए एक निश्चित प्रक्रिया तय है। मैं अभिभावक अध्यापक बैठक में भी नियमित रूप से जाती हूं।’

        खबर साभार : अमरउजाला

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