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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

कितने बच्चों को खिलाया खाना प्रतिदिन देनी होगी सूचना : सत्यापन के बाद भुगतान-

कितने बच्चों को खिलाया खाना प्रतिदिन देनी होगी सूचना : सत्यापन के बाद भुगतान-

१-आंगनबाड़ी केंद्रों में भोजन के गोलमाल पर सरकार सख्त

२-सत्यापन पर पूरी तरह संतुष्ट हेने के बाद भुगतान

लखनऊ। आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को बंटने वाले हॉट एंड कुक्ड फूड के गोलमाल पर सरकार सख्त हो गई है। इस पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं। अब आंगनबाड़ी केंद्रों से प्रतिदिन की रिपोर्ट तलब की जाएगी। प्रत्येक केंद्र पर कितने बच्चों ने खाना खाया इसकी सूचना प्रतिदिन दर्ज की जाएगी।

आंगनबाड़ी केंद्रों में तीन से छह वर्ष तक की आयु के बच्चों को हॉट एंड कुक्ड फूड परोसा जाता है। प्रदेश के कई जिलों के आंगनबाड़ी केंद्रों में एनजीओ भोजन बना रहे हैं। कई स्थानों पर गड़बड़ी की शिकायत मिल रही है।

इसे देखते हुए सरकार ने इन केंद्रों की जांच कराने का निर्णय किया है। सरकार ने अब प्रतिदिन कितने बच्चों ने खाना खाया इसकी रिपोर्ट मांगी है। प्रत्येक आंगनबाड़ी केंद्र को इसकी सूचना देनी होगी। सूचनाएं दो तरह से एकत्र की जाएंगी। एक सूचना परियोजना स्तर पर ली जाएगी जबकि दूसरी जिला स्तर पर जुटाने को कहा गया है। केंद्रों की सूचना बाल विकास परियोजना अधिकारी के पास रोज दो बजे तक पहुंच जानी चाहिए। जबकि जिला कार्यक्रम अधिकारी के पास यह सूचना चार बजे तक आ जानी चाहिए।

बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार के निदेशक आनन्द कुमार सिंह की ओर से जारी आदेश में बाल विकास परियोजना अधिकारी व मुख्य सेविकाओं से प्रतिदिन रेंडम जांच के लिए कहा गया है। जिला कार्यक्रम अधिकारी प्रतिदिन सूचना की खुद रेंडम जांच कर इसकी प्रमाणिकता सुनिश्चित करेंगे। इस मामले में लापरवाही बरतने पर बाल विकास परियोजना अधिकारी व जिला कार्यक्रम अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

•आंगनबाड़ी केंद्रों में भोजन के गोलमाल पर सरकार सख्त

सत्यापन के बाद भुगतान-

आंगनबाड़ी केंद्रों में प्रतिदिन एनजीओ द्वारा परोसे जाने वाले हॉट एंड कुक्ड फूड की मात्रा रजिस्टर में दर्ज होगी। इसमें खाने का वजन व खाना खाने वाले बच्चों की संख्या दर्ज होगी। आंगबाड़ी कार्यकर्त्री के बाद मुख्य सेविका व बाल विकास परियोजना अधिकारी इस रजिस्टर का सत्यापन करेंगे। सत्यापन पर पूरी तरह संतुष्ट होने के बाद ही जिला कार्यक्रम अधिकारी एनजीओ को भुगतान करेंगे।

        खबर साभार : अमरउजाला

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